Breastfeeding Week 2022 : ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय इन गलतियों का रखे ध्यान, नहीं तो बाद में पड़ेगा पछताना

Breastfeeding Week 2022 : ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय इन गलतियों का रखे ध्यान, नहीं तो बाद में पड़ेगा पछताना
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नवजात शिशु को फीड करवाते समय कई महिलाओं को बहुत सी परेशानियों का सामाना करना पड़ता है। ऐसे में क्या करें और क्या न करें।

यह तो हम जानते ही है कि ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) न सिर्फ बच्चे के लिए बल्कि मां के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। मां के दूध में एक बच्चे के स्वस्थ्य विकास के लिए सभी जरुरी पोषक तत्व होते हैं। इससे बच्चे का रोग प्रतिरोधक तंत्र भी विकसित होता है। यही वजह है कि बच्चे के लिए ब्रेस्टफीडिंग बहुत जरुरी माना जाता है। लेकिन ये भी सच है कि ब्रेस्टफीडिंग कराना हर महिला के लिए आसान नहीं होता। हमारी विशेषज्ञ इंदौर के इंदिरा आईवीएफ की गायनेकोलॉजिस्ट एंड ऑब्सटेट्रिशियन डॉ. योगिता परिहार का कहना है कि नवजात शिशु को फीड करवाते समय कई महिलाओं को बहुत सी परेशानियों का सामाना करना पड़ता है। तो चलिए जानते है ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित कुछ प्रमुख परेशानियों (Problems Related To Breastfeeding) और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में।

ब्रेस्टफीडिंग

जब एक बच्चा जन्म लेता है तब न तो उसका रोग प्रतिरोधक तंत्र विकसित होता है। न ही भोजन को पचाने वाले बैक्टीरिया उसके पाचन तंत्र में मौजूद होते हैं। उस नन्ही-सी जान को ऐसे भोजन की जरूरत होती है जो हल्का, सुपाच्य और पोषक हो। मां के दूध में उचित मात्रा में वसा, शूगर, पानी, और प्रोटीन होता है। जो बच्चे के स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत जरूरी है। ऐसे में उसके लिए मां के दूध से उपयुक्त और कौन-सा भोजन हो सकता है। मां के दूध की बच्चे के लिए उपयोगिता को देखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सिफारिश की है कि 6 महीनों तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। इसके बाद 2 साल तक बाहरी दूध और खाने-पीने की दूसरी चीजों के साथ ब्रेस्टफीडिंग जारी रखी जा सकती है।

ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित समस्याएं

अधिकतर महिलाओं को स्तनपान कराने में वैसे तो कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन कई महिलाएं सामान्य रूप से स्तनपान नहीं करा पाती। स्तनपान कराने के दौरान होने वाली प्रमुख समस्याओं में हैं।

हाइपोलैक्टेशन या दूध का कम उत्पादन

बहुत ही कम मामलों में ऐसा देखने को मिलता है कि महिलाओं में दूध का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन न हो। बल्कि अधिकतर महिलाओं में तो जो दूध का उत्पादन होता है वह उनके बच्चे की आवश्यकता से एक-तिहाई ज्यादा होता है। अगर दूध का कम उत्पादन हो तो क्या करें।

क्या करें

दूध के उत्पादन को औसत बनाए रखने के लिए प्रोटीन से भरपूर भोजन का सेवन करें जैसे मांस, साबुत अनाज, सब्जियां, अंडे, डेयरी उत्पाद, दालें आदि। अगर स्तनपान कराने वाली महिलाएं नियमित रूप से पोषक और संतुलित भोजन का सेवन करेंगी तो दूध का निर्माण प्रभावित नहीं होगा।

इसके अलावा बच्चे के जन्म के एक घंटे के दौरान ही उसे स्तनपान करा दें क्योंकि कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर उन्हें दूध नहीं पिलाती उनमें दूध का उत्पादन कम होता है। इसके अलावा कुछ दवाइयों के सेवन या पहले हुई ब्रेस्ट की सर्जरी के कारण भी दूध का निर्माण कम होता है। ऐसे में आप किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें सकते हैं।

हाइपरलैक्टेशन या दूध का अधिक उत्पादन

कुछ-कुछ महिलाओं में दूध का उत्पदान बहुत ज्यादा होता है इससे उनके स्तन भारी हो जाते हैं और उनमें दर्द होता है। जब शरीर उससे अधिक मात्रा में दूध उत्पन्न करता है जितनी बच्चे को आवश्यकता है तो इसे हाइपरलैक्टेशन कहते हैं। इसमें दूध तेजी से और फोर्स से आता है जिससे बच्चे को फीड कराने में भी समस्या आती है। हार्मोन असंतुलन और कुछ दवाइयों के कारण दूध का उत्पादन सामान्य से अधिक होता है।

क्या करें

अगर दूध का उत्पादन सामान्य से अधिक हो रहा हो तो इन बातों का ध्यान रखें। सबसे पहले तो एक बार में एक स्तन से ही दूध पिलाएं और 15-20 मिनट से ज्यादा न पिलाएं। अगर यह समस्या कभी-कभी हो तो दूध बोतल में निकाल लें और आवश्यकता पड़ने पर उसका इस्तेमाल कर लें। बच्चे को अत्यधिक भूखा होने से पहले ही फीड करा लें ताकि वह धीरे-धीरे चूसे इससे स्तन कम स्टीम्युलेट होंगे और दूध का प्रवाह कम होगा। अगर ये समस्या गंभीर है या स्तन से दूध लीक कर रहा है या स्प्रे कर रहा है तो इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

शमीम खान

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