Chaitra Navratri 2022 Special: नवरात्रि में माता की असीम कृपा पाने के लिए वास्तु के अनुसार करें शक्ति पूजन

Vastu Tips: भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लक्ष्य भौतिक सुखों तथा आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अनेक देवी-देवताओं की उपासना का विधान है। इनमें मां दुर्गा (Maa Durga) की पूजा-अर्चना प्रमुख है। चैत्र मास (Chaitra Maas) में शुक्ल पक्ष (Shukla Paksh) की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) आरंभ हो जाते हैं, जिनका समापन चैत्र शुक्ल नवमी या रामनवमी (Ramnavmi) को होता है। आदिशक्ति (Aadishakti) की भक्ति के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से की जाती है। मां जगदंबा प्रसन्न होकर भक्तों को अपना ममतामयी आशीर्वाद देती हैं। वास्तु विशेषज्ञ (Vastu Specialist) अनीता जैन (Anita Jain) कहती हैं कि देवी उपासना के इन नौ दिनों में यदि श्रद्धा भक्ति के साथ-साथ कुछ वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर मां दुर्गा की उपासना की जाए तो इससे पूजा में ध्यान लगता है और उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है।
दिशा का रखें ध्यान
उत्तर-पूर्व दिशा बुद्धि, ज्ञान, विवेक, धैर्य और साहस का सूचक है। मानसिक स्पष्टता और प्रज्ञा का दिशा क्षेत्र उत्तर-पूर्व पूजा करने के लिए आदर्श स्थान है। यहां पूजा करने से अच्छा प्रभाव मिलता है, शुभ फलों में वृद्धि होती है एवं आपको हमेशा ईश्वर का मार्गदर्शन मिलता रहता है। कलश स्थापना की सही दिशा
शास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। वास्तु के अनुसार ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) जल एवं ईश्वर का स्थान माना गया है और यहां सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा रहती है। इसलिए पूजा करते समय माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना इस दिशा में करना शुभ फलों में वृद्धि करेगा।
इस तरफ करें मुख
यद्यपि देवी मां का क्षेत्र दक्षिण और दक्षिण पूर्व दिशा माना गया है। इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते समय आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे। शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है एवं दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से आराधक को शांति का अनुभव होता है।
शुभकारी है बंदनवार
देवी मां की पूजा-अनुष्ठान के दौरान घर के प्रवेश द्वार पर आम या अशोक के ताजे हरे पत्तों की बंदनवार लगाई जाती है। ऐसा करने के पीछे मान्यता यह है कि इससे घर में नकारात्मक या बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं। माना जाता है कि देवी मां की पूजा के दौरान देवी के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं, लेकिन मुख्यद्वार पर बंदनवार लगी होने के कारण तामसिक शक्तियां घर के बाहर ही रहती हैं।
दीपक रखने की उचित दिशा
नवरात्र के समय देवी मां की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट होती हैं एवं इससे आस-पास का वातावरण शुद्ध और सुकून भरा हो जाता है। दीपक को पूजा स्थल के आग्नेय यानी दक्षिण-पूर्व में रखना शुभ होता है, क्योंकि यह दिशा अग्नितत्व की दिशा मानी गई है। वास्तु के अनुसार आग्नेय कोण में अखंड ज्योति या दीपक रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा घर में सुख-समृद्धि का निवास होता है।
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