प्रेग्नेंसी के दौरान महिला में हर महीने होता हैं बदलाव, जानें किस महीने में क्या होते हैं चेंजेस

प्रेग्नेंसी के दौरान महिला में हर महीने होता हैं बदलाव, जानें किस महीने में क्या होते हैं चेंजेस
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प्रेग्नेंसी का पल हर महिला के लिए खास होता है। कोख में नौ महीने तक बच्चे को पालना आसान नहीं है। ऐसे में महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

प्रेग्नेंसी का पल हर महिला के लिए खास होता है। कोख में नौ महीने तक बच्चे को पालना आसान नहीं है। ऐसे में महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

प्रेग्नेंसी में पहले महीने से लेकर डिलेवरी तक महिलाओं में कई तरह के बदलाव आते हैं। ऐसे मिहलाएं जो खासतौर पर पहली बार मां बनीं हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि शरीर में क्या बदलाव होते है।

प्रेग्नेंसी में हर महीने कुछ न कुछ बदलाव होते रहते हैं। ऐसे में कुछ महिलाएं शरीर में होने वाले इन बदलावों को देखकर परेशान हो जाती हैं। परेशान होने की बजाए जानें हर महीने क्या-क्या होते हैं बदलाव-

पहला महीना

प्रेग्नेंसी के 2 हफ्ते बीतने पर ही महिलाएं भावनात्मक तौर पर थोड़ा कमजोर महसूस करने लगती है। प्रेग्नेंसी के पहले महीने गर्भावस्था की जटिलताओं के कारण ऐसा होना लाजमी है।

दूसरा महीना

गर्भावस्था के दूसरे महीने में महिलाओं को मिचली, उल्टी और थकान जैसी समस्या होती है। शरीर में हुए बदलावों के कारण ऐसा होना स्वाभाविक है। यह समस्या समय बीतने के साथ-साथ ठीक हो जाती है।

तीसरा महीना

प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में स्तनों का आकार बढ़ने लगता है। साथ ही परिवेश के आस-पास डार्कनेस हो जाती है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है डिलेवरी के बाद यह समस्या धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।

चौथा महीना

गर्भावस्था के चौथे महीने में हार्मोन्स बनने के कारण महिला की दिल की धड़कन ज्यादा तेजी हो जाती है। ऐसा कई बार खून की कमी के कारण भी हो सकता है। इस स्थिति में अधिक फलों और खून बढ़ाने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।

पांचवा महीना

प्रेग्नेंसी के पांचवें महीने में गर्भ में पल रहे बच्चे मूवमेंट होने लगती है। साथ ही पेट का साइज भी बढ़ने लगता है। इस महीने से महिला को ज्यादा आराम करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय किडनी थोड़ा धीरे काम करने लगती है, जिससे यूरिन अधिक लगती है।

छठा और सातवां महीना

प्रेग्नेंसी के छठें और सातवें महीने के लक्षण सामान्य होते हैं। इन महीनों में हार्टबर्न, कुछ-कुछ खाने की इच्छा, अनिद्रा, पीठ दर्द और पेट का तेजी से बढ़ना जैसे बदलाव होते हैं।

आठवां महीना

गर्भावस्था के आठवें महीने में थकान बढ़ जाती है। साथ ही महिला को भ्रम होने लगता है कि शायद डिलवरी होने वाली है। इन सबके अलावा इस महीने में असहज महसूस होना, अनिद्रा, थकावट और ज्यादा पेशाब आने जैसी समस्याएं होती हैं।

नौवां यानि आखिरी महीना

आखिरी महीने में पेट का आकार जितना बढ़ना होता है बढ़ जाता है। साथ ही स्तन से रिसाव शुरू होने लगता है। यह बदलाव इस बात का संकेत है कि अब महिला का शरीर स्तनपान के लिए तैयार है।

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