Post Covid Conditions: नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा, कोविड से स्वस्थ हुए लोग इन बीमारियों की चपेट में आ रहे

After Effects Of Coronavirus: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी अपने आप में बहुत गंभीर समस्या है। अगर इसका सही समय पर सही तरह से इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। क्या आप जानते हैं कि कोविड-19 (Covid-19) के ठीक होने के बाद भी इससे होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है? जी हां, इस बीमारी के लक्षण फ्लू से मिलते जुलते जरूर हैं, लेकिन कोरोना महामारी के बाद ठीक होने के उपरांत भी इंसान कई बीमारियों का शिकार बन जाता है। इन्हीं में हार्ट और लंग्स से सम्बंधित बीमारियां, सांस लेने में तकलीफ होना और ब्रेन फॉगिंग (Brain Fogging) आदि समस्याएं शामिल हैं। क्या आपने कभी सुना है कि कोरोना वायरस ठीक होने के बाद किसी इंसान को नींद से संबंधित समस्याएं होने लगी हो। कुछ मामलों में पाया गया है कि कोरोना ठीक होने के बाद भी लोगों को रतजगा सा महसूस होने लगता है।
कोरोना ठीक होने के बाद भी नींद हो रही कम
हाल में हुई कई रिसर्च में पता चला है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों में बीमारी खत्म होने के लंबे समय बाद तक नींद ना आने जैसी परेशानियां बनी रहती हैं। दुनियाभर में कई रिसर्च टीमों ने कोविड मरीजों की नींद और उनके सोने के तरीके पर रिसर्च की। इनसे ये जानकारी सामने आई कि कई कोरोना से जूझ रहे लोग "स्लीप डिस्टर्बेंस" की समस्या के शिकार हो गए हैं। स्लीप डिस्टर्बेंस वह बीमारी है, जिनमें लोगों को नींद बहुत कम हो जाती है या फिर आती ही नहीं है। इन समस्याओं में इनसोम्निया प्रमुख है, इससे पीड़ित लोगों को देर से नींद आती है। यह लोग रात में कई बार उठकर बैठ जाते हैं, नींद पूरी हुए बिना सुबह काफी जल्दी आंख खुल जाती हैं।
कोरोना संक्रमण के दौरान और इसके बाद नींद की दिक्कतें
कई शोधों से पता चला है कि कोविड होने के बाद नींद में परेशानी होना बहुत ही आम सी बात हो गई है। करीब 250 रिसर्चों के डेटा की जांच में सामने आया कि कोविड से संक्रमित करीब 52 फीसद लोगों को संक्रमण से ठीक होने के बाद भी नींद से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 49 देशों के करीब पांच लाख लोगों में यह समस्या पाई गई है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि संक्रमण के पीक पर होने से ही लोगों को परेशानी हुई हो।
2022 में हुई स्टडी में अमेरिका के रिसर्चरों ने 710 लोगों को स्वास्थ्य उपकरण (health equipment) पहनाए। इन उपकरणों ने उन लोगों की सांस की रफ्तार, दिल की धड़कन, ऑक्सीजन स्तर जैसी चीजें मापीं। इस डेटा से पता चला कि 588 स्वस्थ लोगों और लॉन्ग-कोविड से ठीक हुए 122 लोगों की जांच की तो पाया कि कोविड से उभरे लोग अन्य लोगों की तुलना में कम सोये और उनकी नींद की क्वॉलिटी भी खराब थी।
नींद की कमी का लोगों की सेहत पर कैसा होता है प्रभाव?
हम इंसानों के लिए रात की नींद बहुत ज्यादा जरूरी है। अगर रात में नींद पूरी ना हो पाए तो अगले दिन लोगों को सिर दर्द और थकान महसूस होती है। उन्हें पूरा दिन ध्यान लगाने या काम करने में दिक्कत होती है। जब हम नींद में होते हैं, उस दौरान हमारा शरीर भी खुद को रिचार्ज करता है। नींद से हमारी इम्युनिटी बढ़ती है और हम संक्रमणों का बेहतर तरीके से सामना कर पाते हैं।
लिंफ नोड्स में टी-सेल्स के रीडिस्ट्रिब्यूशन के लिए भी नींद मददगार है, टी-सेल्स वाइट ब्लड सेल्स होते हैं। यही हमारी इम्यूनिटी बढ़ने में अहम भूमिका निभाते हैं, इनसे रिलीज होने वाली एंटीबॉडी वायरस की मौजूदगी को खत्म करती है। बता दें कि जब हम सो रहे होते हैं, उस दौरान हमारा शरीर कई जरूरी काम कर रहा होता है। रिसर्च से पता चलता है कि पढ़ाई करके सोने पर हमने जो पढ़ा होता है, उसे दिमाग याददाश्त में तब्दील करके स्टोर कर लेता है, इसलिए नींद लेना बहुत जरूरी है।
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