चिंता से निजात पाने के लिए ये हैं रामबाण उपाय

जब मन उदास या बोझिल होता है, तो हम उससे छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के उपायों को आजमाते हैं। लेकिन कई बार इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता।
दरअसल, ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं कि उदासी को कैसे दूर किया जाए? कुछ तरीकों को आजमाकर अपने उदास मन को उत्साह-ऊर्जा से भर सकती हैं।
मूड किसी भी वजह से खराब हो सकता है, जैसे अचानक कोई बुरा ख्याल आना, किसी से झगड़ा होना, कोई बुरी खबर मिलना, बॉस की फटकार, पति के साथ हुई नोंक-झोक।
इन बातों से न सिर्फ मन उदास हो जाता है बल्कि किसी भी काम में रुचि नहीं रहती। ऐसा लगता है मानो उत्साह बिल्कुल खत्म हो गया है। इसलिए जब मन उदास हो, तो कुछ थेरेपीज की मदद लेकर, खुद को टेंशन फ्री, एनर्जेटिक बना सकते हैं।
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ड्रॉइंग थेरेपी
जब भी मन उदास हो, कागज-कलम लेकर उस पर ड्रॉइंग करें। जरूरी नहीं कि आप एक अच्छी चित्रकार हों, बस जो मन करे, वही पन्ने पर उकेरती रहें। चिड़िया, पतंग कुछ भी बनाएं। जैसे-जैसे आप कागज पर ड्रॉ करेंगी, वैसे-वैसे आपके मन का बोझ भी कम होता चला जाएगा। आपकी सारी नेगेटिव एनर्जी, उन लकीरों के जरिए कागज पर क्रिएटिव रूप से सामने आएगी। इससे आप काफी रिलैक्स महसूस करेंगी।
चाइल्ड प्ले थेरेपी
मूड चाहे जितना खराब हो, घर में अगर कोई छोटा बच्चा है, तो उसके साथ कोई खेल खेलें। उसके साथ कुछ देर के लिए बच्ची बन जाएं। बच्चे को गोद में लेकर उसके साथ लाड़-प्यार जताएं। उसके साथ उसकी रुचि के मुताबिक कोई खेल खेलें, जैसे लूडो, मोनोपोली, सांप-सीढ़ी, चेस। आप उसके साथ कार्टून फिल्में भी देख सकती हैं। यकीन मानिए, इससे आपका सारा तनाव दूर हो जाएगा।
ऑटो सजेशन
जब मूड ऑफ हो, खुद को शिथिल छोड़ दें। इस दौरान न अतीत के बारे में सोचें, न भविष्य के बारे में। सिर्फ वर्तमान के बारे में सोचें। खुद से कहें, 'जो होगा देखा जाएगा, ये जिदंगी खुशहाल रहनी चाहिए।'
इस दौरान शवासन (एक प्रकार का योगासन) करते हुए खुद को सलाह दें- 'खुश रहो, टेंशन फ्री रहो, ये प्रॉब्लम टेंपरेरी है।' अगर आप घर में हैं, तो शवासन करते हुए ऐसे शब्द दोहराएं। जब आपके मस्तिष्क में ये पॉजिटिव सिग्नल जाएंगे, तो आपको काफी राहत मिलेगी और बिगड़ा हुआ मूड जल्दी ही ठीक हो जाएगा।
टच थेरेपी
टच यानी स्पर्श में बड़ा जादू होता है। जब मन उदास हो और तरह-तरह के खराब ख्याल दिमाग में आ रहे हों, तो किसी सहेली, बहन या पति के स्पर्श में आएं यानी उससे गले लगें। उसे भी कहें कि वह आपको अपने आलिंगन में भर ले। इससे आपकी सारी उदासी पल भर में दूर हो जाएगी। यह थेरेपी एंग्जायटी और अटेंशन डेफिसिट डिसआॅर्डर से पीड़ितों पर काफी असरकारक होती है।
सूजोक थेरेपी
एक्यूपंक्चर के पारंपरिक रूप में जरूरी परिवर्तनों के साथ कोरियन प्रोफेसर पार्क जे वू ने सूजोक थेरेपी की शुरुआत की। प्रोफेसर पार्क का मानना है कि शरीर का हर हिस्सा हमारे हाथों और पैरों से संबंध रखता है। जैसे अंगूठा सिर और गर्दन का प्रतिनिधित्व करता है। उनके मुताबिक इन हाथ-पैरों में कुछ एनर्जी प्वाइंट्स ऐसे होते हैं, जहां प्रेशर देने पर उनसे संबद्ध बॉडी पार्ट को आराम मिलता है। यह थेरेपी टीश्यूज, सेल्स और आॅर्गंस में एनर्जी का संतुलन करती है। मूड सुधारने में यह बेहद कारगर साबित हो सकती है। हां, इसमें एनर्जी प्वाइंट की सही लोकेशन जानना जरूरी है, इसलिए इस थेरेपी को करने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।
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