Diwali को क्यों कहा जाता है Festival Of Lights, जानिए 5 दिवसीय उत्सव के हर दिन का महत्व

Significance of the five days of Diwali: रोशनी के त्योहार दिवाली (Diwali) को पूरे भारत (India) में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार धनतेरस से भाई दूज तक पूरे पांच दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन का अपना अलग महत्व होता है। लेकिन आमतौर पर हम और आप दिवाली या दीपावली के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार बताते हैं। इस साल यह महापर्व 22 अक्टूबर से शुरू होकर और 27 अक्टूबर तक चलेगा, क्योंकि 25 तारीख को सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) लगाने वाला है। इस कारण गोवर्धन पूजा (Govardhan) और भाई दूज (Bhai Dooj) की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है। दिवाली को 'रोशनी का त्योहार' भी (Festival of Light) कहा जाता है। परंपराओं के मुताबिक, इस दिन सभी हिन्दू (Hindu) अपने घरों के हर कोने को दिये जलाकर रोशन कर देते हैं।
जानिए दीपावली को क्यों कहा जाता है रोशनी का त्योहार? (why Diwali is called festival of lights)
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक दिवाली (Diwali) भगवान राम (Lord Rama) के माता सीता (Goddess Sita) और छोटे भाई लक्ष्मण (Lord Lakshmana) के साथ उनके राज्य अयोध्या (Ayodhya) वापस आने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भगवान राम को उनकी तीसरी माता कैकेयी के आदेश के तहत 14 साल के लिए वनवास भेज दिया गया था। वनवास के दौरान, उनकी पत्नी सीता का लंकापति रावण ने अपहरण कर लिया।
जिसके बाद भगवान राम ने देवी सीता को बचाने के लिए रावण के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए अपनी एक वानरों की सेना खड़ी की। रावण को हराने और अपने वनवास की अवधि को पूरी करने के बाद, भगवान राम वापस अयोध्या में लौट आए। अपने राजा के स्वागत के लिए अयोध्या को मिट्टी के दीयों से जगमगाया गया।तब से राम की अयोध्या वापसी की वर्षगांठ को दीवाली या दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा और यहीं से दिवाली रौशनी का त्योहार (Festival Of Lights) बन गया। इस दिन हर जगह को रोशन कर दिया जाता है और अंधकार रुपी बुराई पर प्रकाश यानी अच्छाई की जीत होती है।
जानिए दिवाली के पांच दिनों का क्या महत्व है? (Significance of the five days of Diwali)
- पहला दिन जिसे धनतेरस (Dhanteras) के नाम से जाना जाता है, दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन सोना-चांदी खरीदते हैं और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
- दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी (Choti Diwali) के रूप में चिह्नित किया जाता है, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को परास्त किया था।
- तीसरा दिन दिवाली (Deepawali) का है, जिसमें लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) की जाती है। इस दिन सभी लोग शांति और समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं।
- चौथे दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है जो भगवान कृष्ण द्वारा भारी वर्षा और बाढ़ के बीच लोगों को आश्रय प्रदान करने के लिए अपनी छोटी उंगली की नोक पर गोवर्धन पहाड़ी को उठाने के निस्वार्थ कार्य की याद दिलाता है।
- पांचवा और आखिरी दिन भाई दूज (Bhai Dooj) है, जो भाइयों और बहनों के बीच प्यार भरे बंधन का जश्न मनाता है। इस दिन भाई-बहन उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे के प्रति अपना प्यार दिखाते हैं।
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