Family Day 2022: खुशहाल जीवन का आधार है परिवार, जानें इसकी कितनी है अहमियत

Family Day 2022: आज यानी 15 मई को परिवार दिवस (Family Day) मनाया जाता है। इस खास मौके पर हम आपके लिए लेकर आएं हैं सुप्रसिद्ध लेखिका मालती जोशी (Malti Joshi) के विचार, कि कैसे समय के साथ परिवार के स्वरूप में आए बदलाव और दूरियों के बीच आत्मीयता कैसे बनी रहे? लेखिका कहती हैं, परिवार (Family) समाज की सबसे छोटी इकाई जरूर है, लेकिन इसका हमारे जीवन में सबसे अहम स्थान है। जीवन संवारने, उसे ठोस आधार और भावनात्मक संबल देने में परिवार की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। परिवार का साथ, अपनों की समझाइश हमें सही राह दिखाती है, हमें भटकने से रोकती है। वहीं अपनों का प्यार हमें मुश्किल समय में बिखरने नहीं देता है। परिवार का संबल हमारे भीतर एक विश्वास जगाता है कि जीवन में आया संकट दूर हो जाएगा। यही भाव हमें मजबूत बनाए रखता है। साथ ही हमारी खुशियां भी तभी दोगुनी होती हैं, जब अपनों के साथ, परिवार के साथ उन्हें साझा किया जाए। इसलिए इस आधुनिक दौर में हमें परिवार की अहमियत समझनी चाहिए, अपनों के साथ रिश्तों को और मजबूत बनाना चाहिए। इसके लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए।
संवेदनात्मक जुड़ाव को दें महत्व
बीते कोविड महामारी के दौर में हमने परिवार की महत्ता को गहराई से महसूस किया। इस मुश्किल समय में हमारे अपने यानी परिवार ही साथ खड़ा था। परिवार ने ही बीमारी, तकलीफ में हमारा साथ दिया। दूर होने के बावजूद भी हमें अकेलापन, तनाव महसूस नहीं होने दिया। हमने देखा कि कोविड के दौरान लोग वीडियो कॉल पर अपनों से घंटों बातें करते थे, हाल-चाल पूछते थे। कोई परेशानी हो तो साझा करते थे। इन्हीं बातों ने परिवार से हमारा भावनात्मक जुड़ाव गहरा किया। यह भावनात्मक अनुभूति और लगाव आगे भी बना रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि हम कोरोना काल से मिले सबक को याद रखें कि हर मुश्किल में परिवार ही संबल देता है। इसलिए हमें हर दिन पारिवारिक रिश्तों में जुड़ाव बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए। इसके लिए नाते-रिश्तेदारों के घर जाइए, उन्हें अपने घर बुलाइए। जब भी अपनों से मिलें तो उसे आनंदोत्सव की तरह मनाइए। ऐसा होने पर ही परिवार और नाते-रिश्तों में प्यार और आत्मीयता बढ़ेगी।
स्त्रियां निभाएं कारगर भूमिका
जब हम रिश्तों में, परिवार में आत्मीयता बढ़ाने की बात करते हैं तो इसमें सबसे अहम भूमिका महिलाएं निभाती हैं। वे सदियों से ही रिश्तों को, परिवार को जोड़ने का काम करती आई हैं। आज जब महिलाएं काम-काजी हो गई हैं, देहरी के बाहर भी जिम्मेदारियां संभाल रही हैं तो भी वे रिश्तों को सहेजने के पूरे प्रयास करती हैं। दरअसल, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण उनका भावनाओं से भरा मन होता है। वे रिश्तों की अहमियत को अच्छे से समझती हैं। लेकिन कई बार व्यस्तता के कारण उन्हें अपनों से जुड़ाव बढ़ाने का अवसर कम मिल पाता है। ऐसे में वे खास मौकों को महत्व दे सकती हैं। भाई दूज, राखी पर बहनें भाई से मिलें, उनसे मन की बातें करें। होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर मिलन समारोह आयोजित करें। खास मौकों पर अपनों को बधाई, शुभकामनाएं दें। उनकी खुशी का हिस्सा बनें। अपनों के साथ अच्छा समय बिताएं। ऐसे ही कई और प्रयास अपने स्तर पर रिश्तों को जोड़ने के लिए महिलाएं करती रहें। तभी उनका और परिवार का जीवन खुशियों से भरा रहेगा।
परिवार से बच्चों का नाता भी हो गहरा
सिर्फ हम ही पारिवारिक रिश्तों से जुड़ाव को ना बढ़ाएं, बच्चों के मन में भी करीबी रिश्तों के लिए प्यार भरें, क्योंकि आज हम देखते हैं कि पहले की तरह बच्चों को अपने बुजुर्गों के साथ रहने का अवसर नहीं मिलता है। उनसे जो संस्कार, अनुभव मिलते थे, उससे बच्चे अब वंचित हैं। मोबाइल या वीडियो गेम में ही बच्चे व्यस्त रहते हैं। इसके कई बुरे परिणाम भी हम देख रहे हैं। इसलिए एकल परिवार में बड़े हो रहे बच्चों पर माता-पिता ज्यादा ध्यान दें। बच्चों को मोबाइल या वीडियो गेम से ज्यादा अच्छा विकल्प दें। किताबों से उनका परिचय कराएं। बच्चे छोटे हैं तो खुद उन्हें नैतिक मूल्यों, रिश्ते-नातों के महत्व वाली कहानियां सुनाएं। साथ ही समय मिलने पर बच्चों को दादा-दादी, नाना-नानी के घर लेकर जाएं। नाते-रिश्तेदारों, उनके बच्चों से भी अपने बच्चों को मिलवाएं। ऐसा होने पर ही उनका अपने हमउम्र चचेरे-ममेरे भाई-बहनों से रिश्ता गहरा होगा। वे परिवार की अहमियत को समझेंगे। यही सब जरूरी बातें हैं, जो परिवार और रिश्तों में मधुरता लाती हैं, उसे मजबूत बनाती हैं।
राष्ट्र निर्माण में भी अहम योगदान
जहां परिवार एक तरफ हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है, वहीं राष्ट्र निर्माण में भी परिवार की भूमिका अहम होती है। दरअसल, परिवार में रहकर ही एक बच्चा सुसंस्कृत बनता है। वह अपने बड़ों से अच्छे मूल्य ग्रहण करता है। आगे चलकर अच्छी परवरिश के कारण वह एक संवेदनशील व्यक्ति और अच्छा नागरिक बनता है। उसे सही और गलत का फर्क पता चलता है। वह अपने नागरिक दायित्वों को अच्छे से निभाता है। यही सब बातें राष्ट्र निर्माण में अहम साबित होती हैं। इसलिए जरूरी है कि परिवार को हम सब मिलकर एक मजबूत इकाई बनाएं।
प्रस्तुति- पूनम बर्त्वाल (Poonam Bartwal)
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