क्या फेयर एंड लवली क्रीम का नाम बदलने की पहल काफी है?

दुनिया भर में काले गोरे के खिलाफ चल रहे आंदलोन के बीच यूनिलिवर कंपनी ने अपनी फेयरनेस क्रीम फेयर एंड लवली का नाम बदलने जा रही है। यूनिलिवर कंपनी सिर्फ फेयर एंड लवली ब्रांड से इंडिया में ही 50 करोड़ रूपये सालाना कमाती है। दुनिया भर में अश्वेतों के प्रति फर्क रोकने के मुहिम के बीच इस क्रीम पर भी सवाल उठ रहे थे।
पूरी दुनिया में नस्लीय मानसिकता को लेकर बहस छिड़ गई है
हाल ही में यूनिलिवर कंपनी में कहा है कि वह अपने ब्रैंड की पैकेंजिंग से फेयर, व्हाइटनिंग और लाइटनिंग जैसे शब्दों को हटा देगी। इसके अलावा, विज्ञापनों और प्रचार सामग्री में हर रंग की महिलाओं को जगह दी जाएगी। भारत के अलावा, यह क्रीम बांग्लादेश, इंडोनेशिया, थाईलैंड, पाकिस्तान और एशिया के कई देशों में बिकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में एक अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से ही पूरी दुनिया में नस्लीय मानसिकता को लेकर बहस छिड़ गई है।
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इंडियन कल्चर में फेयर शब्द को बड़ा महत्व दिया जाता है
यह खबर अच्छी है काफी लड़कियों को सुकून भी मिला होगा। लेकिन इतना काफी नहीं है। इंडियन कल्चर में फेयर शब्द को बड़ा महत्व दिया जाता है। जिस तरह का 'गोरा कॉम्प्लेक्स' भारतीय समाज में है उस तरह का कॉम्प्लेक्स शायद ही कहीं हो।
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