Navratri 2019 : शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार करने का महत्व और सही तरीका

Navratri 2019 : प्राचीन काल से ही नवरात्रि के प्रथम दिन मां दुर्गा की स्थापना के समय देवी का सोलह श्रृंगार करने की पंरपरा रही है और पर उनके सभी नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। ऐसे में आज हम आपको शारदीय नवरात्रि के आने से पहले आपको सोलह श्रृंगार करने का सही तरीका, सोलह श्रृंगार सामग्री, सोलह श्रृंगार करने का महत्व लेकर आए हैं। आइए जानते हैं मां दुर्गा का सोलह श्रृंगार क्यों किया जाता है।
सोलह श्रृंगार की सामग्री
1. लाल चुन्नी या चुनरी
2. सिंदूर
3. लाल बिंदी
4. काजल या सुरमा
5. बालों को सजाना
6. गले की माला या मंगलसूत्र
7. लाल लिपस्टिक
8. मेंहदी
9. लाल या हरे रंग की चूड़ी
10. पायल
11. बिछिए
12. लाल नेलपॉलिश
13. चोटी में लगाने वाला रबर बैंड या रिबन
14. कानों के झुमके या ईयररिंग्स
15. महावर
16. इत्र
कैसे करें मां का श्रृंगार / How to do Maa Durga Shringaar
1. शारदीय नवरात्रि पर मां की स्थापना करने के लिए सबसे पहले एक चौकी सजाएं, जिस पर आटे और अक्षत से आसन को सजाएं। आप चाहें, तो एक खूबसूरत रंगोली भी बना सकते हैं।
2. इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को आसन पर रखें और फिर सबसे पहले मां को गंगाजल से स्नान करवाएं।
3. इसके बाद मां को वस्त्र अर्पित करें, फिर मां को ज्वेलरी,मेंहदी, सिंदूर, महावर और अन्य सुहाग की सामग्री को अर्पित करें।
4. अब मां को इत्र लगाएं और फिर सिंदूर का तिलक लगाएं फिर फूलमाला पहनाएं।
सोलह श्रृंगार करने का महत्व / Importance of Solah Shringaar
पुरातन काल से ही मां दुर्गा और उनके सभी स्वरुपों के साथ महिलाओं के सोलह श्रृंगार करने को बहुत ही शुभ माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, जिस घर की महिलाएं अक्सर सोलह श्रृंगार करती हैं वहां पर सुख, समृद्धि का वास होता है और अखंड सौभाग्य वरदान मिलता है।
सोलह श्रृंगार करने के महत्व की बात करें, तो महिलाओं के सोलह श्रृंगार करने से उनकी खूबसूरती में ही निखार नहीं आता है बल्कि आयुर्वेद में महिलाओं के सोलह श्रृंगार करने से उनकी सेहत पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के वैज्ञानिक तर्को सहितों उल्लेख मिलता है।
सोलह श्रृंगार में मौजूद हर एक श्रृंगार का अलग अर्थ होता है, आमतौर पर सिंदूर को सुहाग और सौभाग्य की निशानी माना जाता है। जबकि उसमें उपयोग होने वाला पारा और अन्य प्राकुतिक तत्व मस्तिष्क को शांत रखने में मदद करता है। महावर और मेंहदी को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। काजल या सुरमा आंखों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही काजल का काला रंग बुरी नजर से बचाता है।
जबकि हाथों में पहनी जाने वाली चूड़ियों और पैरों में पहनने वाली पायल,बिछिए से शरीर को स्वस्थ रखने वाले प्रेशर प्वाइंट्स पर दबाव पड़ता है। जिससे शरीर में रक्त संचार सामान्य बना रहता है। साथ ही चांदी धातु पहनने की वजह से शरीर का तापमान सामान्य रहता है। इसके अलावा महिलाओं के सोलह श्रृंगार करने से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
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