Happy Father's Day 2022: अपने पिता को अकेलापन ना होने दें महसूस, जानिए कैसे दें उनको ढेर सारी खुशियां...

Happy Fathers Day 2022: अपने पिता को अकेलापन ना होने दें महसूस, जानिए कैसे दें उनको ढेर सारी खुशियां...
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कभी नरम तो कभी गरम अंदाज में बच्चों को अनुशासन (Discipline) व व्यावहारिकता (Practicality) का पाठ पढ़ाने वाले पापा ही नई पीढ़ी (New Generation) के सपनों को पंख फैलाने का आसमान देते हैं। वहीं उनके अनुभव हमें जीवन में सही राह दिखाते हैं। इस तरह पिता जीवन के हर पड़ाव पर हमारा संबल बनते हैं। लेकिन एक वक्त के बाद उनको भी हमारी जरूरत होती है। ऐसे में हम हर संभव प्रयास करें कि पिता का जीवन खुशी, सुकून (Happiness and Peace) से भरा रहे।

कभी नरम तो कभी गरम अंदाज में बच्चों को अनुशासन (Discipline) व व्यावहारिकता (Practicality) का पाठ पढ़ाने वाले पापा ही नई पीढ़ी (New Generation) के सपनों को पंख फैलाने का आसमान देते हैं। वहीं उनके अनुभव हमें जीवन में सही राह दिखाते हैं। इस तरह पिता जीवन के हर पड़ाव पर हमारा संबल बनते हैं। लेकिन एक वक्त के बाद उनको भी हमारी जरूरत होती है। ऐसे में हम हर संभव प्रयास करें कि पिता का जीवन खुशी, सुकून (Happiness and Peace) से भरा रहे।

आधुनिक मनोविज्ञान (modern psychology) के माने-जाने नाम सिगमंड फ्रायड का एक अहम कथन है, 'मैं बचपन में एक पिता के संरक्षण के जितना किसी और जरूरत के बारे में नहीं सोच सकता।' इससे स्पष्ट होता है, हर किसी के जीवन में बचपन के दौरान उसे गढ़ने, उसे संवारने में सबसे बड़ी भूमिका पिता की ही होती है। वही हैं, जो हमारी हर जरूरत और ख्वाहिश को पूरा करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। हमें ऊंची उड़ान भरने, आगे बढ़ने का हौसला देते हैं।

जब हम तरक्की की राह पर आगे बढ़ते हैं, अपनी मंजिल को हासिल करते हैं तो हमसे भी ज्यादा खुशी उन्हें मिलती है। जीवन की कठिनाइयों भरी कड़ी धूप में वे हमेशा छांव बनकर हमारे साथ रहते हैं। यानी हमारी बेहतरी, हमारी खुशी और सुखों (happiness and pleasures) के लिए वे हर संभव प्रयास करते हैं। बड़ी बात यह है कि इतना सब कुछ करने के बाद भी वे हमसे कोई अपेक्षा नहीं करते हैं। लेकिन क्या बतौर संतान हमारा दायित्व नहीं है कि जब वे शारीरिक रूप से कमजोर-वृद्ध हो जाएं तो हम भी उनका पूरा ध्यान रखें? उन्हें खुशियां देने और उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करें? जीवन की सांझ में उन्हें अकेलापन महसूस न होने दें?

साझा करें मन की बात

बचपन में हमारी तमाम जिज्ञासाओं, सवालों के जवाब की तलाश पिता पर आकर ही खत्म हुआ करती थी। हम इस बात को गहराई से महसूस करते थे कि पिता के पास ही हमारे सभी सवालों के सही जवाब होंगे। हमारे हर सवाल का जवाब देते हुए वे कभी थकते या खीझते नहीं थे, बल्कि हंसते-मुस्कुराते (laughing and smiling) रहते थे। पिता के साथ बातचीत का, संवाद का यह सिलसिला हमारे रिश्ते को और मजबूत बनाता है। लेकिन जब हम बड़े होने लगते हैं या अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं तो पिता से बातचीत का सिलसिला कम होने लगता है।

इससे हमारे रिश्ते में एक दूरी पैदा होने लगती है। वे तो हमसे आज भी पहले की तरह ही बात करना चाहते हैं, हंसना-खिलखिलाना चाहते हैं। लेकिन हमें जीवन की व्यस्तताओं में उलझा (busyness) देखकर हमें टोकते नहीं। ऐसे में जब भी मौका मिले, हम उनसे अपने मन की बातें जरूर कहें, उनसे उनके मन की बातें सुनें भी। उनके करीब बैठकर, उनके हाथों को अपने हाथों में लेकर उनसे पूछें कि वे क्या सोचते हैं? क्या चाहते हैं? यकीन मानिए, हमारा इतना पूछना ही उनको बेशुमार खुशी (happiness) देगा। अगर हम पापा से दूर रहते हैं तो भी दिन में कम से कम एक बार फोन से उनसे बात तो कर ही सकते हैं। मौका मिले तो उन्हें वीडियो कॉल भी करें।

साथ बिताएं खुशनुमा पल

जिस तरह बचपन में कितना भी व्यस्त रहने के बावजूद हमारे पिता हमारे लिए कुछ वक्त तो निकाल ही लिया करते थे। उसी तरह अब जब वे अधिकांश समय खाली रहते हैं तो हम भी अपनी व्यस्तताओं (busyness) के बीच कुछ पल उनके लिए जरूर निकालें। इस दौरान आस-पास के किसी पार्क में साथ टहलने जाएं। जब मौका मिले, उनके साथ वैकेशन का प्लान भी बनाएं।

ना महसूस हो किसी चीज का अभाव

जिस तरह बचपन में हमारे पिता बिना कहे हमारी हर जरूरत का ख्याल रखते थे, हमें कभी किसी बात का, चीज का अभाव नहीं होने देते थे। उसी तरह अब जब वे पूरी तरह स्वावलंबी (self-supporting) नहीं रह गए हैं तो हमें भी उनकी हर जरूरत का ख्याल रखना चाहिए। आर्थिक समस्याओं (financial problems) का सामना वे कभी ना करें, इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए। किसी तरह की बीमारी-तकलीफ में उनकी देखभाल में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। ऐसा होने पर ही हमारे पिता स्वस्थ, चिंतामुक्त रहेंगे, सुकून भरा जीवन जिएंगे।

अगर अब तक आप अपने जीवन की व्यस्तताओं की वजह से अपने अपने पिता का ध्यान नहीं रख पाई हैं तो इस फादर्स-डे (Father's Day) से ऐसी कोशिशों की शुरुआत कीजिए। यकीन मानिए, फादर्स-डे (Father's Day) पर आपकी तरफ से उन्हें यही सबसे प्यारा उपहार होगा।

पूनम बर्त्वाल

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