Happy Women's Day: पुरानी विचारधारा को तोड़ इन महिलाओं ने लिखी सफलता की कहानी, समाज को दिया संदेश

Happy Womens Day: पुरानी विचारधारा को तोड़ इन महिलाओं ने लिखी सफलता की कहानी, समाज को दिया संदेश
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Happy Women's Day: इस वर्ष वूमेंस-डे पर 'ब्रेक द बायस' यानी 'पूर्वाग्रह को तोड़ें' कैंपेन भी चलाया जा रहा है। इस कैंपेन का मकसद यही है कि महिलाएं, उन सभी पूर्वाग्रहों को तोड़ कर आगे बढ़ें, जो उनके बारे में बनाए गए हैं। कई महिलाएं ऐसा कर भी रही हैं।

Happy Women's Day: एक देश (Country), समाज (Society) के तौर पर हम समग्र प्रगति तभी कर सकते हैं, जब उसमें लैंगिक स्तर (Gender Level) पर कोई भेदभाव ना किया जाए, महिलाओं (Women) को किसी सीमा में सीमित ना किया जाए। लेकिन ऐसा तभी मुमकिन है, जब महिलाओं को लेकर बनाए गए पूर्वाग्रह दूर हों। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं भी आगे आएं, वे ऐसे क्षेत्रों में भी अपनी अलग पहचान बनाएं, जिन्हें पारंपरिक रूप से पुरुषों का क्षेत्र माना जाता है। कई महिलाएं ऐसा कर भी रही हैं। अपनी इस स्टोरी में हम आधी आबादी के लिए बनाए गए पूर्वाग्रह तोड़ने वाली कुछ महिलाओं की उपलब्धियों पर लेकर आएं हैं जिन्हे अपने शब्दों में पूनम बर्त्वाल (Poonam Bartwal) ने बयान किया है।

निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman)

भारतीय राजनीति में महिलाओं की संख्या कम है लेकिन वे जब भी महत्वूपर्ण पदों पर रही हैं तो देश की तरक्की में बहुत योगदान दिया है। हालांकि फाइनेंस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को संभालने की जिम्मेदारी उन्हें नहीं मिली, इसे पुरुषों का क्षेत्र ही माना जाता रहा। लेकिन कुछ सालों पहले निर्मला सीतारमण भारत की पहली वूमेन फाइनेंस मिनिस्टर बनीं। इस पद की जिम्मेदारियां वे बखूबी संभाल रही हैं। अपनी क्षमता और प्रदर्शन के कारण ही पिछले साल फोर्ब्स की 100 पॉवरफुल वूमेन की लिस्ट में वे 37वें स्थान पर थीं। निर्मला सीतारमण की उपलब्धि आधी आबादी को हौसला देती है कि आप अपनी क्षमता और मेहनत के बल पर किसी भी क्षेत्र में शानदार मुकाम पा सकती हैं।

शिवांगी सिंह (Shivangi Singh)

कुछ सालों पहले तक सैन्य क्षेत्र में महिलाओं को सीमित अवसर मिलते थे। लेकिन यह तस्वीर भी अब बदल गई है। 2016 में जब वायुसेना ने महिलाओं को फाइटर पायलट बनने का अवसर दिया तो पहले बैच में भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह शामिल हुई थीं। ये तीनों फाइटर पायलट की ट्रेनिंग लेने वाली पहली महिलाएं थीं। बाद में भावना कांत पहली ऑपरेशनल फाइटर पायलट बनीं। इस उपलब्धि को एक बड़े बदलाव की शुरुआत माना गया, क्योंकि इससे महिलाओं के लिए फाइटर पायलट बनने की राह खुल गई। बनारस की शिवांगी सिंह इसी लिस्ट में शामिल एक और नाम है। वे 2017 में वायुसेना में शामिल हुई थीं। वह राफेल फाइटर जेट उड़ाने वाली पहली पायलट हैं। हाल ही में वे गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय वायुसेना की परेड का हिस्सा भी बनीं। ऐसा करने वाली वह दूसरी (बतौर वूमेन फाइटर पायलट गणतंत्र दिवस पर वायुसेना की झांकी का हिस्सा पहली बार भावना कांत बनी थीं) फाइटर पायलट हैं। इस तरह शिवांगी सिंह जैसी बुलंद हौसले वाली महिलाओं ने वायुसेना में फाइटर पायलट बनकर, यह पूर्वाग्रह तोड़ दिया कि महिलाओं को सेना में युद्ध स्तरीय भूमिका देना सही नहीं है। निश्चित ही इससे आगे और भी लड़कियां फाइटर पायलट बनने के लिए प्रेरित होंगी।

फाल्गुनी नायर (Falguni Nayar)

आमतौर पर बिजनेस को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता रहा है। लेकिन इस क्षेत्र में भी महिलाएं अब अपनी क्षमता का परिचय दे रही हैं। आज कई बिजनेस वूमेन अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं। फाल्गुनी नायर ने भी एक उम्दा बिजनेस वूमेन के तौर पर देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। वे नायका ब्यूटी प्रोडक्ट कंपनी की फाउंडर हैं। कई वर्षों तक मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर बैंकिंग सेक्टर में काम करने के बाद उन्होंने 2012 में अपनी कंपनी की शुरुआत की। आज उनकी कंपनी ब्यूटी प्रोडक्ट्स की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। पिछले साल फाल्गुनी को इंटरनेशनल बिजनेस मैग्नीज फोर्ब्स की 100 पॉवरफुल वूमेंस की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। इस लिस्ट में वे 88वें स्थान पर थीं। फाल्गुनी उन सभी उभरती हुई बिजनेस वूमेंस के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने दम पर एक अलग पहचान बनाना चाहती हैं।

एम. वीरालक्ष्मी ( M Vira laxmi)

आज महिलाएं सिर्फ फाइटर प्लेन ही नहीं उड़ा रही हैं, वे कैब ड्राइवर, ऑटो ड्राइवर और बस ड्राइवर भी बन रही हैं। जबकि इन क्षेत्रों में अब तक पुरुषों का ही वर्चस्व था। लेकिन धीरे-धीरे यह परिदृश्य भी बदल रहा है। तमिलनाडु की रहने वाली तीस साल की वीरालक्ष्मी, देश की पहली वूमेन एंबुलेंस ड्राइवर हैं। इससे पहले वह कुछ सालों तक चेन्नई में कैब ड्राइवर भी रह चुकी हैं। वीरालक्ष्मी जैसी साधारण परिवेश से आने वाली महिलाएं, गैर पारंपरिक क्षेत्रों में अपने लिए जगह बनाकर लैंगिक समानता की खाई को कम कर रही हैं।

प्रवीणा सोलोमन (Praveena Solomon)

चेन्नई (तमिलनाडु) के वेलाकांडू इलाके में स्थित शहर के सबसे पुराने और व्यस्त श्मशान में एक महिला को सारी व्यवस्थाएं संभालते देखकर कोई भी चौंक जाता है। इस महिला का नाम प्रवीणा सोलोमन है, जो इस श्मशान की मैनेजर हैं। इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन नामक एनजीओ ने इन्हें यहां नियुक्त किया है। आमतौर पर इस तरह के कार्यभार महिलाओं को नहीं दिए जाते हैं। लेकिन जब प्रवीणा को इस पद के लिए नियुक्त किया गया, तो उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार किया। प्रवीणा मद्रास यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हैं। वह दो बच्चों की मां हैं। जब प्रवीणा ने यह नौकरी शुरू की तो लोगों ने उन्हें बहुत हतोत्साहित किया। किसी ने धमकाया, किसी ने लांछित किया, किसी ने उनके करियर पर कटाक्ष भी किए। लेकिन प्रवीणा टस से मस न हुईं। जब से उन्होंने यह दायित्व संभाला है, श्मशान का रख-रखाव और साफ-सफाई दुरुस्त हो गई है। उन्हें महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

लेखक

नेहा जैन (Neha Jain)

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