Hariyali Teej 2021 : ऐसे भरती है हरियाली तीज हमारे जिंदगी में नए रंग, इन 4 प्वाइंट्स में जानें

Hariyali teej 2021 : हमारे पर्व-त्योहार जीवन में खुशहाली के स्रोत हैं। इनके आगमन से जीवन उल्लास-उमंग से भर जाता है। हरियाली तीज (Hariyali teej)का पर्व भी स्त्री के जीवन को हर्ष की अनुपम सौगात देता है। इसके जरिए उसे अपने रिश्तों को स्नेह-प्रेम से सींचने का अवसर मिलता है। कोरोना संकट काल में तो ऐसे अवसरों की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। जिससे निराशा, उदासी हम सब के जीवन से दूर हो, मन में नई आशाओं का संचार हो। तो आप भी इस पर्व के रंग में रंगें, अपने और अपनों के जीवन में खुशियां बिखेरें।
1-मन को उमंग से भरता तीज-उत्सव
सावन की रुत में नदी-तालाब जल से और मन जीवन उल्लास से भरे होते हैं। उत्साह के इन भावों को इन दिनों आने वाले तीज-त्योहारों पर और निखरते देखा जा सकता है। श्रावणी तीज के मौके पर बहू-बेटियों के हाथों में मेहंदी रची होती है तो उधर धरती की गोद में मनोहारी हरियाली भी फैली होती है। रिमझिम बरसते सावन में सब कुछ खिला-खिला-सा लगता है। उत्सवीय मौसम में स्त्रियों का मन-जीवन नई उमंगों से भर जाता है। बेटियां मान-मनुहार के साथ तीज मनाने मायके आती हैं। अपने आंगन से जुड़ने, चहकने का सुख, सावन के मौसम में ही लड़कियों को मिलता है। इस तरह यह व्रत-उत्सव, संबंधों में जुड़ाव को प्रगाढ़ बनाता है। हरियाली तीज को लेकर मान्यता है, इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसीलिए हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत करती हैं। सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रंगार करके तीज का उत्सव मनाती हैं। मेहंदी, महावर, हरी चूड़ियां, प्रकृति के इस उत्सव को स्त्रीत्व के उल्लास का उत्सव बना देती हैं। लेकिन कोरोना काल की ठहरी, सहमी जिंदगी में बेटियों के मायके आने और आस-पड़ोस में मेलजोल करने जैसी स्थितियां अब नहीं हैं। क्योंकि इस विपदा में पहले जीवन सहेजना सबसे पहले जरूरी है। ऐसे में अब यह मेल-जोल तकनीक के जरिए हो रहा है। आप भी इस बार तीज को तकनीक की मदद से यानी वीडियो कॉल करके, फोन पर बधाई देकर मन को खुशी से सराबोर कर सकती हैं।
2-अपनों की कुशलता का भाव है अहम
हरियाली तीज का व्रत जीवनसाथी की लंबी आयु और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए किया जाता है। कोरोना संकट में तो अपने परिवारजनों, जीवनसाथी की कुशलता के लिए महिलाएं बहुत चिंतित रहीं। इस संकटकाल में उन्होंने सबका बहुत ध्यान रखा। उनकी यही भावना, हरियाली तीज में भी झलकती है। बारिश की फुहारों के बीच मनाया जाने वाला यह पर्व अपनों की सलामती के भाव से जुड़ा है। मायके के आंगन के जुड़ाव को जीना हो या जीवनसाथी की कुशलता की चाहत, इस पर्व में दोनों भाव समाहित हैं। इसलिए महिलाएं तीज उत्सव को बहुत ही दिल से मनाती हैं।
3-लोकजीवन के रंग में रंगने का समय
हरियाली तीज का पर्व हमें लोकजीवन के रंग में रंगता है। श्रावणी तीज के पर्व पर पेड़ों की डालों पर झूले पड़ जाते हैं। गांवों-कस्बों से लेकर महानगरों तक, बहू-बेटियां झूला झूलने की बचपन की मनोहारी यादों को फिर से जीती हैं। स्त्रियां तीज का त्योहर मनाते हुए लोकगीत गाती हैं तो हरियल धरती भी मानो कोई धुन गुनगुनाने लगती है। एक तरफ धरा का सुंदर श्रंगार और दूसरी तरफ त्योहारी बहार। इस तरह प्रकृति से जुड़े तीज-त्योहारों का यह मौसम संपूर्ण धरा और स्त्री मन को उत्सवीय रंग में रंग देता है। इसी रंग की इस कोरोना संकट काल में सबसे ज्यादा जरूरत है।
4-पर्व के उल्लास में भी रहें सजग
इन दिनों तीज के उत्सवीय रंग में रंगने के साथ जीवन सहेजने वाले नियमों का ख्याल रखना भी जरूरी है। इसलिए अपनों की कुशलता चाहने से जुड़ी हरियाली तीज को मनाते हुए, उन नियमों को मन से मानें, जो कोरोना काल में जिंदगी सहेजने के लिए जरूरी हैं। संक्रमण से बचने के लिए मंदिर ना जाकर, अपने घर-आंगन में भगवान शिव और मां गौरी की आराधना करें। मंदिर जाएं भी तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क पहनें। इस तरह कोरोना गाइडलाइंस पर अमल करते हुए तीज का पर्व मनाएं और जीवन में खुशहाली लाएं।
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