औषधीय गुणों से भरपूर सुंदर फूलों वाले पौधे

औषधीय गुणों से भरपूर सुंदर फूलों वाले पौधे
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गुड़हल, सदाबहार और हरसिंगार के फूल दिखने में जितने सुंदर लगते हैं, उतने ही उनमें भरपूर औषधीय गुण भी होते हैं। कई रोगों के उपचार में इन पौधों के अलग-अलग भागों का उपयोग किया जा सकता है। औषधीय गुणों से भरपूर ऐसे ही कुछ पौधों के बारे में जानिए।

हमारे आस-पास ऐसे कई फूलों के पेड़-पौधे होते हैं, जो न केवल देखने में सुंदर होते हैं बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इन पौधों में कई बीमारियों को ठीक करने के भी गुण होते हैं।

सदाबहार

सदाबहार का पौधा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कैंसर के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें दो सक्रिय यौगिक होते हैं-एल्केलॉयड और टैनिन। विशेषज्ञों का यह मानना है कि इस पौधे में 100 से ज्यादा एल्केलॉयड्स होते हैं, जो बहुत फायदेमंद हैं।

उपयोग की विधि: डायबिटीज के लिए सदाबहार के गुलाबी रंग के फूल लें और उन्हें एक कप पानी में उबालें। इसको उबालने के बाद आप पानी को छान लें और रोज इसे सुबह खाली पेट पिएं। इससे आपका डायबिटीज काफी हद तक कंट्रोल में रहता है। इसके अलावा डायबिटीज को कंट्रोल रखने के लिए आप सदाबहार की चार ताजी पत्तियों को चबाकर भी खा सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर के लिए इसकी जड़ को साफ करके सुबह खाली पेट चबाएं या इसका रस भी चूस सकते हैं। बाद में बचे हुए अवशेष को फेंक दें। कैंसर के रोगियों को इसकी पत्तियों की चटनी बनाकर इसका सेवन करने से फायदा होता है और इसा कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।

गुड़हल

गुड़हल का पौधा रक्त प्रदर, बालों की समस्या और सर्दी-जुकाम जैसी कई बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। गुड़हल में आयरन, विटामिन बी, विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं।

उपयोग की विधि:गुड़हल की कलियों को अच्छे से पीसकर उसके रस को दूध के साथ लेने से रक्त प्रदर की समस्या में आराम मिलता है। सर्दी और जुकाम से निजात पाने के लिए गुड़हल की पत्तियों की चाय का रोजाना सेवन करें। गुड़हल के फूल को गोमूत्र के साथ पीसकर बालों में लगाने से बालों के झड़ने और सफेद होने की समस्या से निजात मिलती है। गुड़हल के फूल को सरसों या नारियल के तेल के साथ उबालने के बाद जो सिद्ध तेल बनता है, वो शिरो रोग में उपयोग किया जाता है।

आक

आक के पौधे में एंटी-डिसेंट्रिक, एंटी-सिफिलिटिक, एंटी-रूमेटिक, एंटीफंगल और डायफोरेटिक गुण होते हैं। यह हाथीपांव, जोड़ों के दर्द, कुष्ठ रोग और चर्मरोग के उपचार में उपयोगी होता है।

उपयोग की विधि: यदि आप हाथीपांव या जोड़ों की समस्या से परेशान हैं तो प्रभावित जगह पर आक की पत्तियों को गर्म करके बांधें। कुष्ठ रोग एवं चर्मरोग में आक के दूध को सरसों के तेल में मिलाकर घाव पर लगाते हैं, जिससे घाव जल्दी भर जाते हैं। अगर कोई कीड़ा काट ले तो भी आप इसके दूध को कीड़े के काटने वाले स्थान पर लगा सकते हैं। दरअसल इसके दूध में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होता है और ये त्वचा के लिए लाभकारी होता है और इसे लगाने से त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं तुरंत सही हो जाती हैं।

हरसिंगार

हरसिंगार का पौधा साइटिका, माइग्रेन, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के उपचार में बहुत उपयोगी होता है। हरसिंगार के पौधे में एंटी-बैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटी-रूमेटिक गुण पाए जाते हैं।

उपयोग की विधि: हरसिंगार की पत्तियों के काढ़े का नियमित रूप से प्रयोग करने से साइटिका की बीमारी से राहत मिलती है। इसके सूखे पत्ते का चूर्ण पानी के साथ सुबह-शाम लेने से भी साइटिका के दर्द से आराम मिलता है। किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। माइग्रेन में भी हरसिंगार के फूलों से बनी चाय पीने से आराम पहुंचता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बुखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है। मलेरिया बुखार हो तो 2 चम्मच हरसिंगार के पत्ते के रस के साथ 2 चम्मच अदरक का रस और 2 चम्मच शहद आपस में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से मलेरिया/डेंगू/चिकनगुनिया के बुखार में अत्यधिक लाभ होता है।

किसी भी रोग के उपचार के लिए उपर्युक्त पौधों के किसी भी प्रकार से इस्तेमाल से पहले किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें।

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