कैंसर की एंटीबॉयोटिक इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में करती है मदद

शरीर के किसी खास अंग में कैंसर प्रभावित कोशिकाओं के एक साथ एक जगह पर एकत्र होने से ट्यूमर बन जाने की स्थिति को कैंसर कहा जाता है। कैंसर का समय पर इलाज न होने से इसकी कोशिकाओं का शरीर के अन्य अंगों पर नकारात्मक असर फैलने की आशंका बढ़ जाती है। जिससे कई बार पीड़ित मृत्यु का शिकार भी बन जाता है। ऐसे में कैंसर के इलाज में उपयोग की जाने वाली सामान्य एंटीबायोटिक हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ कीमोथेरेपी यानि विकिरण चिकित्सा को प्रभावी बनाने में मदद करती है।
शोध में क्या आया सामने
आमतौर पर कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरेपी बेहद उपयोगी होने के साथ सबसे विश्वसनीय तरीका मानी जाती है। दुनिया में लगभग 50 फीसदी से ज्यादा लोग इलाज के दौरान रेडिएशन थेरेपी से गुजरते हैं। कैंसर के इलाज के दौरान अधिकांश डॉक्टर्स कीमोथेरेपी के साथ रेडिएशन थेरेपी को भी उपयोग में लाते हैं। हाल ही में चूहों पर हुए शोध के मुताबिक, ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया से पीड़ित चूहों को अगर रेडिएशन थेरेपी से पहले एंटीबायोटिक वैनकोमाइसिन नामक दवा का सेवन कराया जाता है, तो इससे उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि उपचार के दौरान एंटीट्यूमर प्रभाव को बढ़ाने में कारगर होता है।
रेडिएशन थेरेपी करने के इस तरीके को हाइपोफ़ेक्टेड थेरेपी भी कहा जाता है। शोधकर्ता के मुताबिक इस प्रक्रिया के दौरान रेडिएशन का असर हमारे शरीर की इम्यूनोलॉजिकल चेन के साथ प्रभावित करने के साथ उसके आसपास के कैंसर से प्रभावित ट्यूमर को भी प्रभावित करता है। इस पूरी प्रक्रिया को "एब्सकॉपल इफेक्ट" कहा जाता है। इससे आंत को प्रभावित करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद मिलती है। जिससे रेडिएशन थेरेपी यानि एंटीकैंसर के प्रभाव को नियंत्रित करती है।
कहां हुआ शोध
फिलाडेल्फिया में पेन्सिलवेनिया के पेलेलेमन स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय में विकिरण ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर के द्वारा हुए नए शोध के मुताबिक, कैंसर एंटी बायोटिक वैनकोमाइसिन के उपयोग से शरीर के इम्यून सिस्टम को बढ़ने का खुलासा हुआ है। इसके शोध के मुताबिक, वैनकोमाइसिन का सेवन करने से सिर्फ शरीर में कैंसर प्रभावित कोशिका यानि आंत बैक्टीरिया ही समाप्त होती है, जबकि शरीर के बाकी माइक्रोबायोम पर इसका किसी भी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
शोधकर्ताओं ने चूहों को एंटीबायोटिक देने पर पाया कि उनमें फेफड़ों के कैंसर, मेलेनोमा या गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को विकसित करने वाले बैक्टीरिया को भी आनुवंशिक रूप से ठीक किया जा सकता है। एंटीबायोटिक देने के बाद शोधकर्ताओं ने चूहों को हाइपोफ़ेक्टेड थेरेपी दी। जिसका असर केवल कैंसर से प्रभावित अंग को ठीक करने में ही नहीं हुआ बल्कि शरीर के अन्य अंगों तक पहुंची कैंसर कोशिकाओं के प्रभाव को खत्म करने में कारगर साबित हुई। इससे डेंड्राइटिक कोशिकाओं यानि प्रतिरक्षा प्रणाली के "प्रहरी", शरीर के लिए हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने वाली रक्षक के रूप में कार्य करती हैं, टी कोशिकाओं एंटीजन हमले के लिए सतर्क करती हैं और उसके विपरीत कारवाई करती हैं।
शोधकर्ता फेसिकैनेन के अनुसार, वैनकोमाइसिन लक्षित ट्यूमर साइट पर ही हाइपरफ्रैक्चर्ड विकिरण के प्रभाव को बढ़ावा देता है, उपचार स्थल से ट्यूमर को दूर करने में मदद करता है।" क्योंकि वैनकोमाइसिन एक सुरक्षित क्लीनिक एजेंट के रुप में शरीर में कार्य करती है। जिससे रेडिएशन थेरेपी से होने वाले प्रभावों को बढ़ाने में एंटीबायोटिक के रुप में उपयोग की जाती है। जबकि अभी भी वैज्ञानिक इस शोध को आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं।
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS