कोरोना से उपजती मेंटल प्रॉब्लम्स

सारे विश्व में कोविड-19 महामारी के चलते बहुत सारे लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। इसके साथ ही लोगों के संपर्क में आने पर बीमारी की चपेट में आने की आशंका, बीमार होने पर आइसोलेशन में जाने और अकेले रहने का भय, उपचार में होने वाले खर्च के भय आदि के कारण भी बहुत सारे लोग मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। यानी आम लोग कोरोना को लेकर काफी चिंतित हैं, जिससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
बढ़ रही है समस्या
कोरोना मरीजों की संख्या के बढ़ते आंकड़े और लोगों के मरने की संख्या में हो रही लगातार बढ़ोत्तरी बच्चों, युवा और बुजुर्ग लोगों को लगातार परेशान कर रही है, डरा रही है। डायबिटीज, गुर्दे, हार्ट और अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोग मानसिक परेशानी से अधिक ग्रस्त हो रहे हैं। एक सर्वे में पाया गया है कि कोविड-19 का प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य को विश्व स्तर पर प्रभावित कर रहा है। इस अदृश्य बीमारी की चपेट में आने का भय मानसिक तनाव और असुरक्षा का माहौल बना रहा है। कोविड-19 की चपेट में आने वाले लोगों के अलावा इसके इलाज में लगे पैरामेडिकल स्टाफ, डॉक्टर, नर्स, सफाईकर्मी और अन्य हेल्थ वर्कर्स भी मानसिक समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद, चिड़चिड़ापन, बुरे विचार आना, आर्थिक चिंता आदि समस्याओं से गुजर रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ की चिंताएं
कोरोना के संक्रमण के लगातार बढ़ते आंकड़ों से कई लोग इस बात से चिंतित हैं कि कहीं उन्हें भी कारोना न हो जाए और उन्हें आइसोलेशन में न रहना पड़ जाए। किसी को मरने का भय तो किसी को अपने प्रियजनों को खोने का डर सता रहा है। अनिश्चितता के इस माहौल में मानसिक स्वास्थ्य पर खतरा उत्पन्न हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि आर्थिक चिंता और अदृश्य बीमारी का भय मानसिक तनाव और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रहा है। इससे लोग मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानसिक बीमारियों की चपेट में आ रहे लोगों के प्रति सरकार को शीघ्रता से ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया है।
क्या है उपचार
अशांति, बेचैनी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से बचने के लिए लोगों को अब शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य की को भी प्राथमिकता देनी होगी। नहीं तो आने वाले समय में लोग गंभीर मानसिक बीमारियों के शिकार बन सकते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए आपको मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और कुछ बातों पर अमल करना चाहिए।
-जीवन के वर्तमान रूप को स्वीकार करें और भविष्य की चिंता न करते हुए खुशहाल जीवन जिएं।
-सकारात्मक सोच को जीवन में उतारें और खुद को व्यस्त रखें।
-घबराहट को कम करने के लिए योग, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम करें। योग्य योग चिकित्सक से सलाह लेकर इम्यूनिटी बढ़ाने वाले योगाभ्यास करें।
-घर में अवसादग्रस्त लोगों में नई उमंग लाने के लिए सकारात्मक सोच पैदा करें, उनसे बातें करें, उन्हें व्यस्त रखने का प्रयास करें।
-टीवी पर कोविड-19 से संबंधित समाचार को बहुत अधिक न देखें। सिर्फ इस बारे में उचित सावधानियों को ही दिमाग में रखें।
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-बच्चों को पढ़ाई-मनोरंजन आदि और बुजुर्ग लोगों को सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रखें, जिससे उनमें नकारात्मक विचार न आने पाएं।
-कोविड-19 को अन्य बीमारियों की तरह समझें और सोशल डिस्टेंसिंग को अमल में लाते हुए जीवनशैली को अपनाएं।
प्रस्तुति-अजेश कुमार
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