कोरोना वायरस से बचने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय

कोरोना वायरस से बचने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय
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इन दिनों मौसमी वायरल और बैक्टीरिया के साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा भी बढ़ा हुआ है। इन संक्रमणों से बचाव और उनके दुष्प्रभाव को कम करने में आयुर्वेद के अनुसार बताई गई जीवनशैली और उपचार काफी कारगर हो सकते हैं। इस बारे में हम दे रहे हैं बहुत उपयोगी सलाह।

आयुर्वेद के अनुसार पूरे वर्ष में 6 ऋतुएं होती हैं। मौसम में बदलाव या ऋतु परिवर्तन के बीच के समय को आयुर्वेद में ऋतु संधि कहा जाता है। इस समय मौसम में आए बदलाव का प्रभाव शरीर पर पड़ता है और शरीर कई तरह के संक्रमण का शिकार हो सकता है। इनसे बचने के लिए आयुर्वेद ने ऋतुचर्या का वर्णन किया है, जिसमें कुछ बातो का ध्यान रखकर ऋतु परिवर्तन के दौरान होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।

वर्तमान में ग्रीष्म ऋतु का आगमन हुआ है। इस ऋतु में अधिकतर लोगों को कफ दोष बढ़ जाता है, जिससे सर्दी, जुकाम, गले में खराश, इंफेक्शन, हल्का बुखार या अस्थमा की समस्या देखने को मिलती है। इसके साथ ही इन दिनों कोविड-19 का कहर भी पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इससे ग्रसित व्यक्ति के लक्षण भी तकरीबन इन्हीं के समान हैं। लेकिन इनसे पार पाना काफी कठिन है।

आयुष मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से कोविड-19 से बचाव के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिन पर अमल करने से व्यक्ति अपना बचाव काफी हद तक कर सकता है। लेकिन कोविड-19 से ग्रसित होने पर रोगी को इन उपायों पर अमल करने के भरोसे नहीं रहना चाहिए, ऐसे में बिना देर किए सरकार द्वारा चलाए जा रहे कोरोना ट्रीटमेंट सेंटर जाना चाहिए और समुचित उपचार कराना चाहिए।

अपनाएं स्वस्थ जीवनशैली

यह सच है कि किसी भी इंफेक्शन या बीमारी का सामना करने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना जरूरी है। कोरोना वायरस का इंफेक्शन भी इससे अछूता नहीं है। आयुर्वेद में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं, जिन पर अमल करके आप संक्रमण से अपना बचाव कर सकते हैं।

-हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल का ध्यान रखना जरूरी है। हमेशा पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लें। घर पर बनाया गया अच्छी तरह पका हुआ और जहां तक हो सके ताजा ही खाएं। आहार बनाने में हल्दी, लहसुन, अदरक, जीरा, दालचीनी जैसे मसालों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। ये मसाले हमारी इम्यूनिटी को प्राकृतिक रूप से मजबूत बनाते हैं। फलों में विटामिन सी से भरपूर फल खाएं जैसे- संतरा, कीनू, नीबू, जो व्यक्ति फल नहीं खा पाते, वे फलों का ताजा जूस सेंधा नमक डालकर ले सकते हैं।

-सूर्योदय के समय शरीर पर तेल से मसाज करें। थोड़ी देर 10-15 मिनट धूप सेंकें। सुबह की हल्की धूप विटामिन डी की आपूर्ति करती है और हमारी इम्यूनिटी बढ़ाती है।

-जहां तक हो सके दिन में 3-4 बार गुनगुना पानी पिएं।

-सुबह और रात को सोने से पहले हल्दी वाला गर्म दूध पिएं। एक कप में 2-3 ग्राम हल्दी पावडर मिलाकर उबालें और छान कर पिएं। केसर की 5-6 पत्तियां मिलाकर उबला दूध पीना भी फायदेमंद है।

कारगर उपचार

-शहद और अदरक के रस को मिलाकर दिन में 2 से 3 बार लें। यह कफ दोष के शमन में लाभदायक है।

-कफ दोष का मुख्य कारण है-शीतल गुण। यानी गर्मी लगने पर ठंडी चीजों के सेवन और पंखे, एयरकंडीशन चलने के कारण हमारा शरीर शीत के संपर्क में आने से उसमें कफ दोष बढ जाता है। इसके लिए आयुर्वेद में कई गर्म औषधियों के सेवन का वर्णन किया गया है। जैसे-पिपली, काली मिर्च, तुलसी की थोड़ी-थोड़ी मात्रा को एक गिलास पानी में उबाल कर बने काढ़े को गुनगुना सेवन करें।

-कफ और सर्दी-जुकाम ज्यादा होने पर अगस्त हरितिकी, सीतोपलादि चूर्ण जैसी औषधियां दी जाती हैं। सीतोपलादि चूर्ण को शहद में मिलाकर सेवन करना चाहिए।

-कफ दोष से पीड़ित मरीज के श्वसन तंत्र और फेफड़ों में इंफेक्शन ज्यादा होता है। उससे बचने के लिए दिन भर गुनगुना पानी पीना फायदेमंद है।

-गुनगुने पानी में नमक डालकर दिन में 2-3 बार गरारे करें। गरारे करने से पहले मुंह में एक चम्मच तिल, नारियल या आयुर्वेदिक मेडिकेटेड ऑयल लें। मुंह में कुल्ले की तरह चारों ओर 2-3 मिनट तक घुमाकर थूक दें। इससे मुंह के इंफेक्शन से राहत मिलती है। इस प्रक्रिया को कवल-गंडूष कहा जाता है।

-गले में खराश होने पर पानी में अजवायन या पुदीना के पत्ते मिलाकर उसकी भाप लें।

-गले या फेफड़ों में इंफेक्शन के लिए त्रिकटु चूर्ण का उपयोग करना चाहिए। त्रिकटु में सोंठ, काली मिर्च और पिप्पली का मिश्रण होता है। इसके पावडर को पानी और चीनी मिलाकर उबालकर चाय की तरह दिन में 2-3 बार पिएं।

- फेफड़ों के इंफेक्शन को दूर करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए दिन में दो बार आधा-आधा चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करें।

-अगर किसी को बुखार, खांसी, जुकाम, गले में दर्द, सिरदर्द है या वायरल इंफेक्शन होने की स्थिति में गिलोय का सेवन करें। गिलोय की टेबलेट, पावडर या गिलोय बेल को मिक्सी में पीस कर निकला एक चम्मच रस या पानी में उबाल कर बना काढ़ा दिन में दो से तीन बार पिएं। गिलोय के आधा चम्मच पावडर को मुंह में रखकर पानी पिएं। जो लोग गिलोय पावडर ऐसे नही ले पाते हैं, उन्हें रात को एक गिलास पानी में एक चम्मच गिलोय पावडर भिगो दें। सुबह छान कर पानी पी लें। या फिर पावडर को उबाल कर ले सकते हैं। कोविड-19 से बचाव के लिए हर उम्र के लोग गिलोय का सेवन कर सकते हैं।

-अनुतेल नाम से मिलने वाले आयुर्वेदिक मेडिकेटेड ऑयल की एक-एक बूंद सुबह-शाम अपनी दोनों नासिका में डालें। इससे श्वांस संबंधी इंफेक्शन से बचाव होता है।

-इंफेक्शन के बाद होने वाले बुखार के लिए सुदर्शन चूर्ण या महासुदर्शन घनवटी टेबलेट लें।

- आयुष-64 टेबलेट भी इस तरह के इंफेक्शन में काफी सहायक है।

-तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ और मुनक्का का काढ़ा बनाकर दिन में 1-2 बार सेवन करें। जरूरत के अनुसार गुड़ या नीबू का रस मिला सकते हैं।

-गले में खराश या खांसी होने पर लौंग पावडर को शहद या शक्कर में मिलाकर दिन में दो-तीन बार लें।

-दालचीनी पावडर का काढ़ा भी फायदेमंद है। एक कप पानी में आधा टी स्पून दालचीनी मिलाकर गर्म करें। उबाल आने से पहले उतार लें। थोड़ा ठंडा होने पर एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं।

-एक लीटर पानी में आधा छोटा चम्मच हल्दी, 2 ग्राम दालचीनी डाल कर उबाल लें। इसमें अदरक के 1-2 छोटे टुकड़े कूट कर मिला लें। पीने से पहले पोदीने की 1-2 पत्तियां मिला लें। इस तरह फ्लेवर्ड पानी बन जाता है, जिसे छानकर थर्मस में भर कर रख लें। दिन में जब भी आपको प्यास लगे गर्म चाय की तरह पिएं।

-तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर बना काढ़ा पिएं।

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