कोरोना वायरस संक्रमण के बदल रहे लक्षण, मरीजों में सामने आ रहे दुष्प्रभाव

सारी दुनिया के लिए कोविड-19 नया वायरस है। यह समय के साथ अपना रूप भी बदल कर मानव शरीर में नए-नए लक्षणों के साथ सामने आ रहा है। वायरस को समझने और संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए लगातार दुनिया भर में शोध कार्य चल रहे हैं। दुर्भाग्यवश अभी तक उपचार के लिए कोई सटीक दवाई या वैक्सीन नहीं बनी है। जिसकी वजह से संक्रमण और रिकवर हुए मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
हाल ही में कोरोना संक्रमित मरीजों के लक्षणों की सूची में तीन नए लक्षण शामिल किए गए हैं- नाक बहना़, जी मितलाना और डायरिया या दस्त होना। रिसर्च के आधार पर जिनकी पुष्टि अमेरिका की सर्वोच्च मेडिकल इंस्टीट्यूट सीडीसी (सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) ने की है। लिहाजा अभी तक इस वायरस के 12 लक्षणों की पहचान हो चुकी है।
क्या है कोरोना इंफेक्शन
असल में कोरोना वायरस शरीर में मौजूद एसीई-2 रिसेप्टर्स के माध्यम से विभिन्न अंगों के सेल्स पर अटैक करता है। जिससे इनकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है, शरीर का सुरक्षा-तंत्र गड़बड़ा जाता है जिसे साइटोकिन सिंड्रोम कहा जाता है। जिसका प्रभाव संक्रमित व्यक्ति के विभिन्न अंगों पर पड़ता है और मरीज में कई तरह के लक्षण उभर आते हैं।
कोरोना के नए लक्षण
हमारे पेट की आंतों में एसीई-2 रिसेप्टर्स बहुत ज्यादा मात्रा में होते हैं। जब कोरोना वायरस इन पर अटैक करके पेट की कार्य प्रणाली गड़बड़ा देता है तो मरीज को डायरिया या दस्त शुरू हो जाते हैं जो साधारण घरेलू दवाई लेने के बावजूद लगातार होते रहते हैं।
जीआई ट्रैक और डाइजेस्टिव सिस्टम पर अटैक करने से मरीज को दिल घबराना, जी मिचलाना जैसी समस्या होती हैं। यही वायरस पहले जुकाम जैसे लक्षणों के रूप में सामने आया था। अब यह भी पता चला है कि एलर्जी की तरह नाक में इरीटेशन भी करता है, जिससे मरीज की नाक से लगातार पानी आने की समस्या रहती है।
पूर्व निर्धारित लक्षण
कोरोना संक्रमण का पहला केस 30 दिसंबर को चीन में डायग्नोज हुआ था। जनवरी से यह वायरस तेज गति से फैलने लगा। मार्च तक इसके कुछ लक्षण सामने आए- ठंड लगकर बुखार होना, खांसी होना, गले में दर्द होना, हाथ-पैर की मसल्स में दर्द होना और सांस लेने में तकलीफ होना। धीरे-धीरे इनमें कई और लक्षण शामिल होते गए जैस-सूंघने की क्षमता खत्म होना, स्वाद खत्म होना। ये लक्षण इटली, जर्मनी और जापान में उभरकर आए। इन लक्षणों के सामने आने पर मरीजों को 5-14 दिन के लिए आइसोलेट होने की सलाह दी गई। तीसरे चरण के लक्षणों में अमेरिका में युवा लोगों में स्ट्रोक के मामले भी सामने आए। कोविड फुट के लक्षण भी दिखे, जिसमें पैरों में अचानक लाल रंग के रैशेज या पैच पड़ने लगे।
असामान्य लक्षण
इंफेक्शन होने पर कुछ लोगों को कई असामान्य लक्षण भी देखने को मिले। कई युवाओं को स्ट्रोक का सामना करना पड़ा। अमेरिका में 20-25 साल के युवाओं में वायरल इंफेक्शन हुआ और उन्हें स्ट्रोक हो गया। कुछ लोगों के शरीर पर खासकर पैरों पर अजीब तरह के रैशेज हो गए। 30-35 प्रतिशत लोगों में सूंघने की शक्ति और मुंह के स्वाद में बदलाव आ गया। वायरस नाक की नर्व्स को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे सूंघने की शक्ति कम हो जाती है, जो लंबे समय तक बनी रहती है।
आगामी लक्षणों की संभावना
यही नहीं कोविड के मरीजों में भविष्य में कई नए लक्षण उभरने की संभावना भी डॉक्टर्स जता रहे हैं। जैसे- शरीर के जोड़ भी इससे प्रभावित होंगे और कोविड आर्थियोपैथी हो सकती है। इसमें मरीज को जोड़ों में असहनीय दर्द होगा इससे उनका चलना भी दूभर हो जाएगा। इसी तरह भविष्य में मरीज एंग्जाइटी या डर के कारण नींद न आने की समस्या का भी सामना कर सकते हैं। यानी स्लीप एप्निया की समस्या भी होगी।
रखें ध्यान
आमतौर पर कोरोना के लक्षण मरीजों भ्रमित करने वाले भी देखे गए हैं। इन्हें मौसम के असर से होने वाले वायरल, खांसी-जुकाम, डायरिया जैसी बीमारियों के साथ जोड़कर देखा जाता है। जैसे डायरिया को ही लें, मौसम के असर से या फूड पॉयजनिंग से होने वाला डायरिया समुचित इलाज से 2-3 दिन में ठीक हो जाता है, जबकि कोविड संक्रमित मरीज को 6-7 दिन तक बना रहता है। ऐसे में घर में उपचार करने के बावजूद यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। डॉक्टर को कंसल्ट करने के साथ-साथ कोविड की जांच भी करानी चाहिए। समुचित एहतियात बरतने और शुरू में ही अगर समुचित उपचार मिल जाए तो मरीज गंभीर स्थिति तक पहुंचने से बच सकता है।
पोस्ट रिकवरी प्रॉब्लम्स
हालांकि कोविड के मरीज बड़ी संख्या में रिकवर भी हो रहे हैं, लेकिन उनमें से कुछ रोगी इसके बाद भी कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिनके लिए मरीज को सचेत रहना और उसका समुचित उपचार कराना जरूरी है। पैनक्रियाज के बीटा सेल्स को डैमेज होने से नॉर्मल व्यक्ति भी डायबिटीज का पेशेंट हो सकता है, फेफड़े प्रभावित होने के कारण थोड़ा चलने पर भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है, हार्ट के टिशूज पर अटैक होने से आगे चलकर हार्टबीट अनियमित होना या हार्ट अटैक होने की संभावना रहती है। पैरों की मांसपेशियां और जोड़ प्रभावित होने पर कई मरीजों को ठीक से चलने में परेशानी हो सकती है। इसलिए सजग रहते हुए ही कोरोना का मुकाबला किया जा सकता है।
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