Coronavirus: बात करने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस, साइंटिस्ट ने किया खुलासा

Coronavirus: बात करने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस, साइंटिस्ट ने किया खुलासा
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कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर तरह तरह की स्टडी की जा रही है। वहीं एक स्टडी (Coronavirus Research) से सामने आया है कि बात करने से भी कोरोना वायरस के फैलने का खतरा होता है। वहीं कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनसे कण ज्यादा बनते हैं और वायरस के फैलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं(Coronavirus Can Spread While Talking)।

Coronavirus: कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। वहीं इस वायरस को लेकर दुनिया भर में तरह तरह की रिसर्च कर रहे हैं(Coronavirus Research)। इसी बीच हाल ही में हुई स्टडी से सामने आया है कि बीमार शख्स से बात करने में भी आपको कोरोना का खतरा हो सकता है(Corona Can Spread While Talking)। भले ही बीमार व्यक्ति में जरा से ही लक्षण क्यों न नजर आ रहे हो। स्टडी से सामने आया है कि खांसने और छींकने के अलावा बात करने में भी मुंह से ड्रॉपलेट निकलती हैं।

मास्क की मदद से संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है

द प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में पब्लिश हुई एक रिर्सच से पता लगा है कि न के बराबर लक्षण वाला मरीज भी दूसरों के इंफेक्ट कर सकता है। अभी तक डॉक्टर इस बात का पता नहीं लगा पाएं है कि किसी भी शख्स को इंफेक्ट करने के लिए कितने वायरस की जरूरत पड़ती है। वहीं मास्क की मदद से संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है।

छींकने से 40 हजार के आस पास ड्रॉपलेट बनती हैं

वहीं रिसर्च से पता लगा है कि कैसे छींकने और खांसने से हवा में म्यूकस मिल जाते हैं। जिससे वायरस के कण बन जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक खांसी से लगभग 3 हजार के रेस्पिरेट्री बूंदे बनती हैं और छींकने से 40 हजार के आस पास ड्रॉपलेट बनती हैं।

साइंटिस्ट ने ग्रीन लेजर की मदद से बूंदो को ट्रेक किया

साइंटिस्ट ने बातचीत के दौरान कितने ड्रॉपलेट निकलती हैं। यह पता लगाने के लिए वॉलंटियर्स से बार बार हैल्दी बोलने के लिए कहा। जिसके बाद सभी ने एक गत्ते के डब्बे में हेल्दी को बोला। इसके बाद साइंटिस्ट ने ग्रीन लेजर की मदद से बूंदो को ट्रेक किया।

हर एक सेकंड में 2600 छोटी ड्रापलेट बाहर निकलती हैं

जिससे सामने आया कि बातचीत के समय हर एक सेकंड में 2600 छोटी ड्रापलेट बाहर निकलती हैं। वही तेज बोलने पर इनसे बड़े कण बनते हैं। इसके साथ ही इनकी संख्या भी ज्यादा होती है।साइंटिस्ट ने अपनी स्टडी में पाया कि मुंह से निकलने के बाद डिहाइड्रेशन की वजह से बूंदे छोटी हो सकती हैं। वहीं यह बूंदे 8 से 14 मिनट तक हवा में तैर सकती हैं।

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कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो ज्यादा कण बना सकते हैं

जिस कारण बंद कमरे में इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। बंद कमरे में अगर बीमार से बात करे तो वायरस फैलने का ज्यादा डर रहता है। वहीं स्टडी के दौरान पता चला कि कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो ज्यादा कण बना सकते हैं। जैसे कि 'थ' की शब्द। इसके साथ ही साइंटिस्ट ने ड्रापलेट द्वारा फैले संक्रमण से बचने के लिए कम से कम 6 मीटर की दूरी बनाकर लोगों से बात करें।

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