Coronavirus: मिशिगन यूनिवर्सिटी ने विकसित की नई टेकनीक, 5 मिनट में 22 सैम्पल का देगा परिणाम

Coronavirus: पूरी दुनिया में खतरनाक रूप ले चुका है। लाखों लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ चुके हैं। जिनमें हजारों लोगों ने कोरोना वायरस के चलते दम तोड़ दिया है। वहीं अगर भारत (Coronavirus In India) की बात करें तो कोरोना वायरस तीसरे चरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है (Coronavirus Stage 3)। कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर दुनिया के कई देश रिसर्च (Coronavirus Research) करने में लगे हुए हैं। इसी बीच अमेरिका के मिशिगन यूनिवसिर्टी रिसर्चर्स ने एक नई टेस्ट तकनीक खोजी है। जिसके जरिए 22 सैम्पल का एक साथ परिणाम 5 मिनट में आ जाएगा।
आज के समय में हो रही कोरोना की टेस्टिंग से काफी अलग है
इसके साथ ही आपको बताना चाहेंगे कि यह टेकनीक आज के समय में हो रही कोरोना की टेस्टिंग से काफी अलग है। पुरानी टेकनीक द्वारा कोरोना की जांच करने में काफी समय लग जाता है। वहीं अमेरिका के रिसर्चर्स द्वारा विकसित की गई इस नई टेकनीक के जरिए 5 से 7 मिनट के अंदर परिणाम का पता लग जाएगा। इसके साथ ही रिसर्चर्स ने बताया कि इस टेकनीक द्वारा टेस्ट करने के लिए मुंह से सैम्पल लिया जाएगा। वहीं बाकी टेस्टो में पीड़ित की नाक से सैम्पल लिया जाता है। जिसके लिए उसे काफी परेशान होना पड़ता है।
पीसीआर मशीन रियलटाइम में रिजल्ट बता देती है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस टेस्ट में कम समय लगने के कई कारण हैं। इसका एक कारण नाक से सैम्पल न लेकर मुंह से लेना भी है। जहां हाल में हो रहे टेस्ट में रिजल्ट का पता लगाने के लिए सैम्पल को गर्म करना पड़ता है, फिर सैम्पल के रंग बदलने के बाद ही रिजल्ट का पता लगता है। वहीं इस नई तकनीक में पीसीआर मशीन रियलटाइम में रिजल्ट बता देती है।
टर्स फॉर डिसीज एंड कंट्रोल (सीडीसी) की गाइडलाइन को फॉलो किया जाता है
मिली जानकारी के मुताबिक इस तकनीक को मिशिगन यूनिवर्सिटी के इमरजेंसी मेडिसिन फिजिशियन ब्रेट इच्छेबेर्न ने ढूंढा है। ब्रेट ने बताया कि टेस्ट के समय वायरस के आरएनए पर नजर रखी जाती है और टर्स फॉर डिसीज एंड कंट्रोल (सीडीसी) की गाइडलाइन को फॉलो किया जाता है।
Also Read: Coronavirus : साइंटिस्ट नया हथियार बनाने में जुटे, इम्यून सेल्स को स्ट्रांग बनाकर कोरोना को मारेंगे
'क्लीनिकल लैबोरेट्री अमेंडमेंट्स लैब' में प्रोसेस चल रहा है
रिसर्चर्स ने बताया कि इस नई टेकनीक का अभी 'क्लीनिकल लैबोरेट्री अमेंडमेंट्स लैब' में प्रोसेस चल रहा है। यहां से अप्रूवल मिलने के बाद एफडीए से परमिशन लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद यह लोगों के लिए
अप्रूवल मिलने में कई हफ्ते का समय लग सकता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि नई जांच फिलहाल 'क्लीनिकल लैबोरेट्री अमेंडमेंट्स लैब' की प्रक्रिया से गुजर रही है। यहां से अप्रूवल मिलने के बाद एफडीए से अनुमति लेनी होगी। इसके बाद यह आम लोगों के लिए अवेलेबल होगी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अप्रूवल मिलने में कई हफ्ते का समय लग सकता है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS