Coronavirus : साइंटिस्ट नया हथियार बनाने में जुटे, इम्यून सेल्स को स्ट्रांग बनाकर कोरोना को मारेंगे

Coronavirus : साइंटिस्ट नया हथियार बनाने में जुटे, इम्यून सेल्स को स्ट्रांग बनाकर कोरोना को मारेंगे
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Coronavirus:भारत (Coronavirus In India) की बात करें तो कोरोना वायरस तीसरे चरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है (Coronavirus Stage 3)। कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर दुनिया के कई देश रिसर्च (Coronavirus Research) करने में लगे हुए हैं। वहीं साइंटिस्ट री-इंजीनियरिंग टेकनीक की मदद से इम्यून सेल्स को मजबूत करके कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हथियार बनाने में लगे हुए हैं।

Coronavirus: कोरोना वायरस (Coronavirus) पूरी दुनिया में खतरनाक रूप ले चुका है। लाखों लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ चुके हैं। जिनमें हजारों लोगों ने कोरोना वायरस के चलते दम तोड़ दिया है। वहीं अगर भारत (Coronavirus In India) की बात करें तो कोरोना वायरस तीसरे चरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है (Coronavirus Stage 3)। कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर दुनिया के कई देश रिसर्च (Coronavirus Research) करने में लगे हुए हैं। वहीं साइंटिस्ट री-इंजीनियरिंग टेकनीक की मदद से इम्यून सेल्स को मजबूत करके कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हथियार बनाने में लगे हुए हैं। इसी बीच आज हम आपको इससे जुड़ी तमाम जानकारी देने जा रहे हैं।

कोरोना पीड़ित के इम्यून सेल्स को कनवर्ट करने के बाद इसमें रिसेप्टर जोड़े जाएंगे

ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल सिंगापुर के साइंटिस्ट कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए रिसर्च कर रहे हैं। वहीं साइंटिस्ट का कहना है कि कोरोना पीड़ित के इम्यून सेल्स को कनवर्ट करने के बाद इसमें रिसेप्टर जोड़े जाएंगे, जो कोरोना को ढूंढकर उसे उसके तरीके से ही खत्म करेंगे।

कोरोना इंफेक्टड सेल्स को पहचान कर उसे खत्म कर देगी

रिसर्चर्स की मानें तो उनकी एक टीम ने पहले कोरोना वायरस के मरीजों के खून से इम्यून सेल्स को अलग किया। इसके बाद साइंटिस्ट ने सेल्स में टी-सेल रिसेप्टर (टीसीआर) और काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर) खोजे। फिर लैब में ऐसे ही टी-सेल रिसेप्टर को आर्टिफिशियल फॉर्म में तैयार किया गया। वहीं इस टी-सेल रिसेप्टर को कोरोना पीड़ित के इम्यून सिस्टम में भेजा जाएगा, जो कोरोना इंफेक्टड सेल्स को पहचान कर उसे खत्म कर देगी।

यह इलाज काफी महंगा पड़ेगा

रिसर्चर्स का कहना है कि यह इम्युनोथैरेपी काफी महंगा पड़ेगा। क्योंकि इस तरह से ट्रीटमेंट करने के लिए खास तरह के मेडिकल इक्विपमेंट्स और ट्रेंड स्टाफ की जरूरत होती है। वहीं इस इलाज के दौराम मरीज को ठीक होने में कितना समय लगेगा, इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। वही टीम इसके इलाज में आने वाले खर्चे को कम करने की कोशिश में लगी हुई है।

इस थैरेपी का यूज कैंसर के इलाज के दौरान किया जाता है

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस थैरेपी का यूज कैंसर के इलाज के दौरान किया जाता है। वहीं साइंटिस्ट का कहना है कि यह इलाज काफी असरदार साबित होगा। इस इलाज में सबसे खास बात यह है कि इस इलाज को करने के लिए मरीज को अस्पताल लाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।


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