दिल्ली नोएडा में शुरू हुए प्लाज्मा बैंक, इनके खून से मिलने वाले 55 प्रतिशत प्लाज्मा से बचाई जाएगी कोरोना मरीज की जान

दिल्ली नोएडा में शुरू हुए प्लाज्मा बैंक, इनके खून से मिलने वाले 55 प्रतिशत प्लाज्मा से बचाई जाएगी कोरोना मरीज की जान
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कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीज ही डोनेट कर सकते हैं प्लाज्मा। उन्हीं की इम्युनिटी से ठीक होंगे दूसरे कोरोना संक्रमित मरीज।

चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना भारत समेत दुनिया भर के देशों को अपनी जद में ले लिया है। इतना ही नहीं यह संक्रमण अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत में भी अब तक 12 लाख से भी ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। जिनकी संख्या दिनों दिन बढती जा रही है। वहीं हजारों लोग अपनी जान गवा चुके हैं। लगातार इस बीमारी की दवा खोजी जा रही है, लेकिन अब तक कोई सटीक दवाई नहीं मिल पाई है। ऐसे में कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए कोरोना से ही ठीक हुए मरीजों के प्लाज्मा लेकर उन्हें बचाया जा सकेगा। इसके लिए दिल्ली और नोएडा में प्लाजमा बैंक खोले जा चुके हैं। यहां कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून से प्लाज्मा लेकर उन कोरोना मरीजों को दिया जाएगा। जिनकी हालत अति गंभीर है। दावा किया जा रहा है कि ऐसे मरीजों में ठीक हो चुके मरीज का प्लाजा देने पर उसकी इम्युनिटी तेजी से बढेगी और वह कोरोना को मात देने में सफल होंगे।

यह होती है प्लाज्मा थैरेपी

दरअसल, प्लाजमा थैरेपी क्या होती है इसको कुछ इस तरह से समझा जा सकता है। डॉक्टर्स के अनुसार, कोरोना मरीजों के इलाज के लिए कई तरीके अपनाये गये हैं। इन्हीं में कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा थैरेपी भी शामिल है। इस थैरेपी में कोरोना जैसी बीमारी से ठीक हो चुके मरीज के खून से प्लाज्मा को अलग कोरोना संक्रमित मरीजों के खून में मिलाया जाता है। इस प्लाज्मा में शामिल एंटी बॉडीज मरीज को वायरस से लड़ने में मदद करती हैं। उनकी इम्युनिटी पावर को भी तेजी से बढाते हैं। रिसर्च में जताई जा रही है कि कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा को कोविड 19 के गंभीर मरीजों को दिया जा सकता है। इससे उनके शरीर में वायरस लडने की क्षमता बढ़ेगी और वह जल्द ही ठीक भी हो सकेंगे। वहीं प्लाज्मा खून के अंदर का 55 प्रतिशत हिस्सा होता है। यह 91 से 92 प्रतिशत पानी से बना होता है। जिसका रंग हल्का पीला होता है।

1918 में इस फ्लू के खिलाफ शुरू की गई थी कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा थैरेपी

डॉक्टरों का दावा है कि कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा थैरेपी बहुत ही पुरानी है। यह थैरेपी पहले भी काम आ चुकी है। डॉक्टर्स के अनुसार, 1918 में आए स्पेनिश फ्लू के खिलाफ भी कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन की मदद ले चुके हैं। हाल ही में यह प्रक्रिया सार्स, इबोला, एच1एन1 समेत दूसरे वायरस से जूझ रहे मरीजों पर भी की जा चुकी है। इनमें यह बहुत ही असरदार साबित हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि जब एक व्यक्ति कोविड 19 से रिकवर हो जाता है तो उनके खून में एंटी बॉडीज बन जाती हैं, जो वायरस से लड़ने में बहुत ही मदद करती हैं। चूंकि, यह वायरस नोवल है। इसका मतलब है कि इस महामारी से पहले कोई भी इसका शिकार नहीं हुआ है। इसलिए हमारे शरीर में पहले से ही इससे लड़ने के लिए एंटी बॉडीज मौजूद नहीं है। हालांकि, एक्सपर्ट्स अभी भी कोविड 19 से जूझ रहे मरीजों में कॉन्वॉलैसेंट प्लाज्मा के असर के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।

यह लोग डोनेट कर सकते हैं प्लाज्मा

एफडीए के अनुसार, कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा केवल वही व्यक्ति दे सकता है जो कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हो और फिर ठीक हो गये हो। इसके साथ ही उक्त व्यक्ति ब्लड डोनेशन के लिए योग्य हो। इतना ही नहीं प्लाज्मा डोनेट करने वाले की उम्र 17 साल से अधिक होनी चाहिए। कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होने के 14 दिन बाद ही प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। प्लाज्मा डोनेट करने से पहले डोनर की पूरी जांच की जाएगी। इसमें सही पाये जाने पर ही उसे प्लाज्मा डोनेट की अनुमति दी जा सकती है।

दिल्ली और नोएडा में खोले गये प्लाज्मा बैंक

वहीं बता दें कि देश में कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा थैरेपी के क्लीनिकल ट्रायल्स की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही प्लाज्मा बैंक भी खोले जा चुके हैं। इनमें पहला राष्ट्रीय राजधानी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलियरी साइंसेज (ILBS) है। जो देश के पहला कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा बैंक है। इसमें 200 यूनिट से ज्यादा प्लाज्मा स्टोर किया जा सकता है। इसके साथ कोई भी सरकारी या निजी अस्पताल इस बैंक से कोविड 19 के मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा ले सकता है। इसके साथ ही दूसरा प्लाज्मा बैंक दिल्ली से सटे नोएडा में खोला गया है। जहां रोटरी ब्लड बैंक ने इसकी शुरुआत की है। यहां 5000 प्लाज्मा स्टोर किये जा सकते हैं। इसकी शुरुआत की जा चुकी है।

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