डिप्रेशन से बाहर निकालने में करीबियों के ऐसे कर सकते हैं मदद, इन बातों का रखें ध्यान

डिप्रेशन से बाहर निकालने में करीबियों के ऐसे कर सकते हैं मदद, इन बातों का रखें ध्यान
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किसकी परिस्थितियां कब इतनी बिगड़ जाएं कि वह इंसान टूटकर डिप्रेशन की गिरफ्त में चला जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। यह डिप्रेश व्यक्ति आपका कोई अपना भी हो सकता है। उसे उसके हाल पर मत छोड़िए, इन दिनों कोरोना काल में तो बिल्कुल भी नहीं। उसका हाथ थामिए, हौसला देकर उसको जीने की ताकत दीजिए।

जिंदगी को सही मायने में जीने की जद्दोजहद में कई बार इंसान बहुत परेशान भी हो जाता है। यह परेशानी कई बार इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति धीरे-धीरे डिप्रेशन में चला जाता है। आजकल दुनिया भर में डिप्रेशन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई बार तो पीड़ित या उसके नजदीकी लोगों को पता ही नहीं चलता कि वह कब अवसाद की जकड़ में आ गया। इधर कोरोना काल में लोग डिप्रेशन में ज्यादा जा रहे हैं, कुछ ने तो आत्महत्या भी की है। यह हमारा मानवीय दायित्व है, हम ऐसा होने से रोकें। डिप्रेशन में आए लोगों के मददगार बनें।

पहचानें डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को: किसी व्यक्ति के व्यवहार, बातचीत और बॉडी लैंग्वेज पर थोड़ा-सा ध्यान दिया जाए तो उसमें डिप्रेशन के लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है। डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति अलग-थलग रहने लगता है। उसे दूसरों से बातचीत करना अच्छा नहीं लगता। वह सोना ज्यादा पसंद करता है या फिर उसे नींद ही नहीं आती, सारी रात करवटें बदलता रहता है। बातों-बातों में वह कई बार जिंदगी को व्यर्थ और लोगों को बेहद स्वार्थी भी बताने लगता है। कभी-कभी वह बेवजह रोने लगता है। घर के लोगों से शिकायत करता है कि कोई उसे प्यार नहीं करता।

कुछ डिप्रेश व्यक्ति तो अकसर इतने अन्यमनस्क रहते हैं कि आपकी बातों पर ध्यान नहीं देते। वह हर बात दोबारा पूछते हैं। कभी-कभी डिप्रेश व्यक्ति लोगों से मिलता-जुलता और हंसी-मजाक तो करता है लेकिन बात करते-करते अचानक कहीं खो जाता है। इसलिए उसके नजदीकी लोगों को बारीकी से उसका बिहेवियर ऑब्जर्व करना चाहिए। अगर उसमें बताए गए लक्षण दिख रहे हों तो तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श लें। डिप्रेशन में आए व्यक्ति के इलाज में कभी देरी नहीं करनी चाहिए। देरी के परिणाम घातक हो सकते हैं।

क्यों होता है डिप्रेशन : कोई भी ऐसी बात जो व्यक्ति के दिल में गहरे तक चुभ जाए, जिससे वह आहत या अपमानित महसूस करे या प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार असफल रहे या फिर बिजनेस डूब जाना, डिप्रेशन का सबब बन सकता है। कई बार अत्यधिक महत्वाकांक्षा और दूसरों से ईर्ष्या या फिर किसी प्रिय की मृत्यु भी डिप्रेशन का कारण हो सकती है। यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किसी बात और परिस्थिति को कितनी गंभीरता से ले रहा है। उसका मनोबल कितना मजबूत या कमजोर है।

राइटिंग थैरेपी का दें सहारा : डायरी लिखना स्ट्रेस और डिप्रेशन से राहत पाने का एक बहुत अच्छा जरिया है। मनोविज्ञानियों का कहना है कि अपने मन का गुबार, अपराध बोध या कोई भी बात जो मन को सता रही हो, उसको कागज पर लिख लेने से मन हल्का हो जाता है। अकसर लिखते वक्त बहुत-सी मुसीबतों का हल भी मिल जाता है। इसलिए जब किसी अपने को डिप्रेशन में देखें तो उसे राइटिंग थैरेपी का सहारा देने की कोशिश करें। साथ ही उसे अच्छी किताबें पढ़ने को दें। आप उसे सफल और महान लोगों के कोट्स भी अवश्य पढ़ाएं, जिनसे उसे प्रेरणा मिले।

इस तरह भी करें मदद

-जब कभी किसी अपने प्रियजन को उदास, तनावग्रस्त देखें तो उसे अकेला न छोड़ें। उसके दुख-दर्द में साथ खड़े रहें, बैठकर कुछ देर उससे बातें करें। उससे यह कहें कि आप हर वक्त उसके साथ हैं। जब भी जरूरत होगी, वह आपको याद करे, आप मदद के लिए तुरंत हाजिर होंगे।

-डिप्रेश व्यक्ति को अकसर यह कहते पाया जाता है कि बस किसी तरह मैं जी रहा हूं। यह जिंदगी बेकार है। ऐसे में आपको उसका हौसला बढ़ाना चाहिए। उसे जिंदगी को कुदरत का अनमोल तोहफा बताते हुए सही ढंग से जीने की सलाह दें।

-डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को हल्का-फुल्का माहौल देना बहुत जरूरी है। आप उससे हंसी-मजाक वाली बातें करें, उसके साथ ठहाके लगाएं। साथ में कोई कॉमेडी वाली मूवी भी देखने जाएं। उसके साथ खुली जगह टहलें या फिर उसके लिए म्यूजिक सुनने की व्यवस्था कर दें।

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