मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी योगासन

हर रोज योगाभ्यास करने से हम स्वस्थ तो रहते ही हैं, साथ ही योग कई गंभीर समस्याओं को दूर करने में भी बहुत कारगर साबित होता है। मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी तीन आसनों के बारे में हम आपको बता रहे हैं। ये आसन अगर स्वस्थ व्यक्ति करें तो उन्हें मधुमेह होने की आशंका ना के बराबर रहेगी।
मंडूकासन
मंडूक आसन करने के लिए पहले वज्रासन में बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों के अंगूठे को अंगुलियों के बीच में मोड़ते हुए मुट्ठी बंद कर लें। अब दोनों हाथों की मुट्ठी को नाभि के पास आमने सामने रखें। अब सांस को छोड़ते हुए अपने ऊपरी शरीर के हिस्से को आगे की ओर झुकाएं और सामने की तरफ देखें। ध्यान रहे आपके हिप्स आपकी एड़ी से लगे रहें यानी, आपको अपने हिप्स को नहीं उठाना है। इस पोजिशन में आपकी मुट्ठी का दबाव आपकी नाभि पर पड़ेगा। इस समय आपकी पोजिशन मेंढक की भांति लगेगी इसीलिए इस आसन का नाम मंडूकासन है। इस पोजिशन में लगभग पांच से छह सेकेंड के लिए रहें और फिर सांस लेते हुए वज्रासन में पुन: लौट आएं। इस क्रिया को 6-7 बार दोहराएं।
लाभ: मंडूकासन मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत लाभकारी है। इससे पैंक्रियाज ग्लैंड सक्रिय हो जाते हैं। इंसुलिन का संचार शरीर में नेचुरल तरीके से होने लगता है। पेट संबंधी विकार दूर होते हैं। मोटापे की समस्या दूर होती है। इस आसन को हृदय रोगी और बीपी के मरीज भी कर सकते हैं। इस आसन से नाभि से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं।
वक्रासन
मधुमेह के मरीजों के लिए दूसरा लाभकारी आसन है, वक्रासन। इस आसन को करने के लिए पहले पैरों को सीधा करके बैठ जाएं। अब दाहिना पैर मोड़ें और उसका पंजा बाएं पैर की जांघ के पास रखें। अब बाएं हाथ को दाहिने पैर की जंघा और सीने के बीच से निकालते हुए बाएं पैर के घुटने को पकड़ें। जिन लोगों का हाथ पूरा न पहुंचे वो घुटने को टच कर लें। दाहिने हाथ को पीछे की तरफ रखें और शरीर का बैलेंस बनाएं और दाहिनी ओर गर्दन घुमा कर देखें। इस पोजिशन में बायां पैर सीधा रहेगा। अब इस पूरी प्रक्रिया को बायां पैर मोड़ कर भी करें।
लाभ: इससे मेरुदंड को मजबूती मिलती है। पेट की चर्बी कम होती है। कमरदर्द में फायदेमंद है। पैंक्रियाज सक्रिय होता है, जिससे इंसुलिन शरीर में स्वाभाविक रूप से बनता है, जो मधुमेह में लाभकारी है।
गोमुखासन
गोमुखासन करने के लिए पहले पैर सीधे करके बैठ जाएं। अब बाएं पैर को मोड़कर उसे दाहिने ओर के नितंब के पास ले आएं। अब दाहिने पैर को उसके ऊपर से मोड़ते हुए बाईं ओर ले आएं और जांघ से सटाकर रखें। इस प्रकार घुटने के ऊपर घुटना आ जाएगा। अब जो पैर ऊपर की तरफ है, उस तरफ के हाथ को ऊपर की ओर लें और पीठ की तरफ मोड़ लें और दूसरे हाथ से उसे पकड़ लें। अब थोड़ी देर इस स्थिति में बने रहें। फिर वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।
लाभ:गोमुख आसन को करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है। यह लीवर, किडनी और पैंक्रियाज को एक्टिव करता है। इंसुलिन बनने की प्रक्रिया सुचारू रहती है। पाचनतंत्र सही रहता है। गैस की समस्या से मुक्ति मिलती है। हृदय, थाइरॉयड इौर फेफड़ों के लिए लाभकारी है।
इन बातों का ध्यान रखें
- योगासन शुरू करने से पहले एक ही जगह खड़े होकर या तो कदमताल करें या जॉगिंग करें। कम से कम सौ कदम चलें। उसके बाद पहले प्राणायाम और फिर योगाभ्यास शुरू करें।
- हर योगासन की अपनी तकनीक होती है। योग में सांस लेना, छोड़ना और कितनी देर तक होल्ड करके रखना है, यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए जब तक आप खुद अच्छे से सीख न लें, तब तक योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही योग करें।
-जिन्हें सरवाइकल की दिक्कत है, वे मंडूकासन करते समय सिर को ज्यादा झुकाकर आसन नहीं करें। फ्रोजन शोल्डर वालों को भी दिक्कत हो सकती है, इसलिए वे भी गर्दन को ज्यादा न झुकाएं।
-ये तीनों आसन गर्भवती महिलाओ को नहीं करने चाहिए। इसके अलावा योग आसन खाली पेट करना चाहिए। अगर दिन के समय भी कर रहे हैं तो भोजन करने के बाद तीन से चार घंटे का अंतराल जरूर रखना चाहिए। सुबह के समय योग आसन करना ज्यादा लाभकारी माना जाता है। सप्ताह में पांच दिन तो योग करना ही चाहिए।
पारुल गुप्ता
योग गुरु, दिल्ली
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