नशे से ऐसे पा सकते हैं मुक्ति, ये उपाय करें

नशे से ऐसे पा सकते हैं मुक्ति, ये उपाय करें
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यह जानते हुए भी कि नशीले पदार्थ शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, फिर भी दुनिया भर में करोड़ों लोग तरह-तरह के नशे का सेवन करते हैं। हालांकि नशे की लत से मुक्ति पाना असंभव नहीं है। अगर आप पक्का इरादा कर लें और डॉक्टर-मनोवैज्ञानिक से इलाज कराएं तो नशे गिरफ्त से आजाद हो सकते हैं।

नशा आज की बदलती जीवन-शैली में मकड़जाल की तरह समाज में व्याप्त है और अनेक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। खासकर युवावर्ग में नशा करना तो जैसे स्टेटस सिंबल बन गया है। दोस्तों के उकसाने या फिर बतौर फैशन लिए जाने वाला शौक धीरे-धीरे नशे में बदल जाता है और कई बार नशीली दवाओं का सेवन आदत में शामिल हो जाता है। दोस्तों के साथ गुटखा, सिगरेट, शराब, गांजा, भांग, अफीम के साथ-साथ चरस, स्मैक, कोकीन, ब्राउन शुगर जैसे घातक नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।

ऐसे पड़ती है लत

नशीले पदार्थ दिमाग की कोशिकाओं में डोपामीन हार्मोन के स्राव को बढ़ा देते हैं। यह हार्मोन व्यक्ति में नशीले पदार्थों के सेवन की इच्छा को प्रबल करता है और आपूर्ति न होने पर वह शारीरिक-मानसिक तौर पर परेशान रहता है। ड्रग्स का आदी व्यक्ति तलब लगने पर चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाता, बेचैन और असामान्य व्यवहार करता है। घर में पैसों की चोरी करता है, मां या बीबी के जेवर तक बेच कर ड्रग्स लेने पर अमादा हो जाता है। तलब शांत होने पर भले ही वो नॉर्मल दिखे, लेकिन अंदर से बेहद कमजोर और बीमार हो चुका होता है।

प्रमुख लक्षण

अगर आपके घर या आस-पड़ोस के युवाओं के व्यवहार में यहां बताए जा रहे परिवर्तन देखने को मिलें, तो सतर्क होने की जरूरत है-

-परफॉर्मेंस में पहले की अपेक्षा कमी होना।

-दिनचर्या गड़बड़ाना जैसे दिन में सोते रहना और रात को जागना।

-भूख कम लगना, खाने-पीने में बदलाव आना।

-घबराहट, बेचैनी, पसीना आना।

-सिर में तेज दर्द होना, शरीर में ऐंठन और दर्द रहना।

-चिड़चिड़ापन महसूस होना।

-आंखें ज्यादातर लाल रहना।

-बार-बार गुस्सा आना, मूड स्विंग होना।

-तनाव होना या मानसिक संतुलन खो बैठना।

-याददाश्त कमजोर होना।

-बिना बीमारी के वॉमिट या दस्त होना।

कई तरह के दुष्प्रभाव

नशे की लत के शिकार व्यक्ति अपने आस-पास के वातावरण और नाते-रिश्तेदारों से भी कट जाता है। नशे की लत को पूरा करने के लिए वह हिंसा, चोरी जैसे काम भी करने लगता है। नशा व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, पढ़ाई और दूसरी एक्टिविटीज में पिछड़ जाते हैं। लंबे समय तक नशा करने से उनके शरीर के विभिन्न अंगों पर बुरा असर पड़ता है। भूख कम हो जाती है, वजन कम हो जाता है। इंजेक्शन से ड्रग्स लेने पर एड्स, हेपेटाइटिस बी, लिवर खराब होने जैसी जानलेवा बीमारियां होने की संभावना रहती है।

उपचार है संभव

नशे के आदी हो चुके लोगों का इलाज दो तरह से किया जाता है- पहला वे लोग अपने नॉर्मल रूटीन को चालू रखते हुए इलाज कराते हैं। दूसरा, मरीज को अस्पताल या रिहेबिलीटेशन सेंटर में रखना पड़ता है, जहां दवाइयों और दूसरे तरीकों से उपचार किया जाता है। नशे की लत छुड़ाने के लिए मरीज को एंटी-डिप्रेशन मेडिसिन दी जाती हैं, जिससे व्यक्ति को काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और कुछ नॉन-कंवेशनल तरीके बहुत अहम रोल अदा करती है। काउंसलर उन्हें पसंदीदा एक्टिविटी में बिजी होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। डॉक्टर उन्हें च्यूइंग-गम, सौंफ, इलायची जैसी चीजें लेने की सलाह देते हैं।

छूट सकती है नशे की लत

-मन में ठान लें कि नशा छोड़ना है, तो शुरू में हो सकता है कि दिक्कत हो, लेकिन मन को मजबूत बना लेने पर जरूर सफलता मिलेगी।

-यथासंभव नशे वाली चीजों को अपनी पहुंच से दूर रखें।

-नशीले पदार्थ एकदम से न छोड़कर उसकी मात्रा कम करें। जैसे- शराब का पैग छोटा कर दें या सिगरेट पीने से पहले तोड़कर छोटी कर दें।

-अपने पास नशीले पदार्थों का स्टॉक न रखें।

-डायरी मेंटेन करें, जिसमें लिखें कि नशा कब, कितनी मात्रा में और किसके साथ लेते हैं। यथासंभव इन्हें अवॉयड करें या कम मात्रा में लें।

-अकेले न रहें। परिवार के सदस्यों के साथ वक्त बिताएं।

-दोस्तों की मदद लें। उन्हें सख्ती से बता दें कि आप नशीले पदार्थों का सेवन करना छोड़ रहे हैं, इसलिए दबाव न डालें।

-पॉजिटिव रहें और खुद को रीडिंग, गार्डनिंग, म्यूजिक, डांस, पेंटिंग, गेम्स जैसी अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज में बिजी रखें ताकि मन न भटके।

-रोजाना कम से कम 20 मिनट मेडिटेशन और योगाभ्यास करें।

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