बढ़ती उम्र से जिंदगी बनती है बेहतर

बढ़ती उम्र से जिंदगी बनती है बेहतर
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आप अगर अपनी बढ़ती उम्र को लेकर परेशान रहती हैं तो इस सोच को बदल दीजिए। इसे खुशी-खुशी स्वीकार कीजिए, क्योंकि यह आपकी जिंदगी को बेहतर बनाती है। जानिए, उम्र बढ़ने के साथ आपमें किस तरह के सकारात्मक बदलाव आते हैं।

महिलाएं हों या पुरुष, अकसर चालीस की उम्र पार करते ही खुश रहने की बजाय चिंतित रहने लगते हैं। बुढ़ापे की तरफ बढ़ने का डर उनकी जीवन उमंग को कम कर देता है। लेकिन मनोवैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों की मानें तो बढ़ती उम्र में खुश रहने के भी कई कारण हैं। दरअसल, कई बातें बढ़ती उम्र के साथ हमारे व्यवहार, जीवन में बेहतर होती जाती हैं, इन्हें महत्व दिया जाए तो जिंदगी में हमेशा उत्साह-उमंग बना रहेगा।

बढ़ता है आत्मविश्वास

कोलकाता के फोर्टिस हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ. संजय गर्ग कहते हैं, 'ज्यों-ज्यों आपकी उम्र बढ़ती है, आप पहले से ज्यादा आत्मविश्वासी हो जाते हैं। इसकी वजह यह है कि आप कई समस्याएं झेल चुके होते हैं, अच्छे-बुरे दौर से गुजर चुके होते हैं। ये बातें आपको अनुभव देती हैं और परिपक्व, बुद्धिमान बनाती हैं।'

प्यार होता है गहरा

जहां तक पार्टनर के साथ विश्वास, अपनेपन और सुरक्षा के अहसास का सवाल है तो यह प्रौढ़ावस्था और उसके बाद ही गहरा, मजबूत होता है। दरअसल, तब तक एक लंबा वक्त कपल्स एक-दूसरे के साथ बिता चुके होते हैं, एक-दूसरे को अच्छे से समझने लगते हैं, जिससे उनके बीच प्यार भी गहरा हो जाता है। 'सेप्टेंबर सॉन्ग्स : दी गुड न्यूज अबाउट मैरिज इन दी लेटर ईयर्स' की राइटर मैगी स्कार्फ कहती हैं, 'उम्रदराज जोड़ों मंर स्नेह और प्यार बढ़ता है। वे जब भी आई लव यू कहते हैं, गंभीरता से कहते हैं।'

मजबूत होता सोशल नेटवर्क

उम्र बढ़ने के साथ-साथ मित्रों, परिचितों और परिजनों की संख्या, उनके साथ आत्मीयता बढ़ जाती है। जिन लोगों के बुरे वक्त में आप साथ दे चुके हैं या जिनकी खुशी में शामिल होकर उनका उत्साह बढ़ा चुके हैं, वे दिल से आपके मुरीद हो जाते हैं। वक्त पड़ने पर आपका साथ देने के लिए तैयार रहते हैं। इस तरह आपका एक अच्छा खासा सोशल सपोर्ट सिस्टम तैयार हो जाता है, जो कम उम्र में संभव नहीं हो पाता है।

बढ़ती है निर्णय लेने की क्षमता

प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी कोलकाता की समाजशास्त्री प्रो. सुमिता साहा कहती हैं, 'जब आप परिपक्व और उम्रदार होने लगते हैं, तो आपकी निर्णय क्षमता बढ़ने लगती है। इससे आप ज्यादा अच्छे और सही निर्णय लेने लगते हैं। जबकि युवावस्था में लिए गए निर्णय अकसर हड़बड़ी में लिए गए, अनुभवहीन होते हैं। ऐसे कई निर्णय आगे चलकर गलत साबित होते हैं। 'साइकोलॉजिकल साइंस' में प्रकाशित एक अध्ययन भी उनकी इस बात की पुष्टि करता है।

सहानुभूति को देते हैं अहमियत

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि 50 से 59 साल उम्र की महिलाएं दूसरों के लिए ज्यादा जुड़ाव और सहानुभूति रखती हैं। इससे उनकी लोकप्रियता और समाज में सम्मान बढ़ता है। एरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञानी विभाग की प्रमुख एलिजाबेथ ग्लिस्कली कहती हैं, 'अनुभव और उम्र के अलग-अलग पड़ाव हमें दूसरों के सुख-दुख और मनोभाव समझ पाने की सूझ-बूझ देते हैं।'

सहनशील बनते हैं

युवावस्था में जहां आप बात-बात पर उत्तेजित हो जाते हैं, झगड़े पर उतारू हो जाते हैं, वहीं प्रौढ़ावस्था में कई बातों पर चुप रहना सीख जाते हैं, क्योंकि आप कुछ बातों की व्यर्थता को देख चुके होते हैं। इस उम्र में आपकी सहनशीलता बढ़ जाती है और छोटी-छोटी बातों को आप नजरअंदाज करना सीख जाते हैं। इससे फायदा आपका ही होता है, आप अपने आपको स्ट्रेस-फ्री रख पाते हैं।

वर्क-लाइफ बैलेंस

20 से 30 साल के बीच हम अनुभवहीन होते हैं। तब खुद को दुनिया के सामने, अपने बॉस के सामने और पैरेंट्स के सामने साबित करने की चुनौती होती है। इस वजह से हम परेशान रहते हैं। लेकिन उम्र बढ़ने पर हम वर्क-लाइफ बैलेंस करने की कला बखूबी सीख जाते हैं। हमें अपनी प्रायोरिटीज को तय करना आ जाता है और टाइम मैनेजमेंट की कला भी आ जाती है। हम सब कुछ रिलैक्स होकर कर पाते हैं।

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कुछ शारीरिक समस्या होती हैं कम

एलर्जी एंड अस्थमा मेडिकल ग्रुप एंड रिसर्च सेंटर सैन डिएगो के सह निदेशक माइकल जे. वेल्च कहते हैं, 'उम्र बढ़ने के साथ सीजनल एलर्जी की शिकायत काफी हद तक कम हो जाती है। इसकी पक्की वजह बताना मुश्किल है, लेकिन हम अपने अनुभव के बल पर इसका दावा कर सकते हैं। साथ ही बुजुर्गों में फूड एलर्जी की समस्या भी काफी हद तक कम हो जाती है।'

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