इस उम्र की महिलाओं को रेग्युलर कराने चाहिए ये मेडिकल टेस्ट, इन बीमारियों का बना रहता है खतरा

हाईटेक होते जमाने के साथ ही हमारा लाइफस्टाइल से लेकर खान पान का तरीका भी पूरी तरह से बदल गया है। ऐसे में तमाम तरह की बीमारियां एक उम्र के बाद शुरू हो जाती है। एक रिसर्च के अनुसार, 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को अपनी हेल्थ को लेकर ज्यादा सजग हो जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि वे कुछ जरूरी टेस्ट रेग्युलर कराएं। इससे बीमारियों का शुरुआत में ही पता चल जाएगा और आसानी से उपचार हो सकेगा।
40 प्लस के बाद महिलाओं को कराने चाहिए ये मेडिकल टेस्ट
कामकाजी हो या फिर घरेलू 40 से अधिक उम्र महिलाओं को बीमारियों से बचे रहने के लिए ब्लड प्रेशर चेकअप से लेकर, डायबिटीज स्क्रीनिंग, सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग, ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग, थॉराइड समेत कई ऐसी बीमारियों जो उन्हें घेर लेती है। ऐसे में यह टेस्ट कराने बहुत जरूरी है। जिसे बीमारियों का पता जल्द से जल्द चल सके।
ब्लड प्रेशर चेकअप
ब्लड प्रेशर लेवल 130/80 मिमी. एचजी से ज्यादा होने पर कोरोनरी हार्ट डिजीज या हार्ट अटैक का खतरा रहता है। अगर आप स्वस्थ हैं तो भी हर 2 साल में एक बार ब्लड प्रेशर चेक कराना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट डिजीज या स्ट्रोक की फैमिली हिस्ट्री होने की स्थिति में आपको रेग्युलर बीपी चेकअप कराना चाहिए।
डायबिटीज स्क्रीनिंग
ब्लड शुगर लेवल चेकअप के लिए साल में एक बार एचबी ए1सी ब्लड टेस्ट कराना चाहिए। जिन महिलाओं का ब्लड प्रेशर 130/80 मिमी एचजी या ज्यादा हो, बीएमआई 25 से अधिक हो, डायबिटीज या हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री रही हो, उन्हें डायबिटीज टेस्ट रेग्युलर कराना चाहिए। ब्लड शुगर लेवल ज्यादा होने से इम्यूनिटी पॉवर कमजोर हो जाती है। इम्यूनिटी कमजोर होने से हार्ट अटैक या स्ट्रोक की संभावना ज्यादा रहती है।
सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग
पेल्विक एरिया की जांच, सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए जरूरी है। इसलिए 40 की उम्र के बाद 5 साल के अंतराल में 65 साल तक पैप स्मीयर स्क्रीनिंग या एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग
40 की उम्र के बाद महिलाओं को साल में कम से कम एक बार ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। इसके अलावा हर 2 साल में एक बार मैमोग्राम टेस्ट भी कराना चाहिए। 55 साल की उम्र के बाद हर साल जांच कराई जानी चाहिए।
बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट
मेनोपॉज की स्टेज पर पहुंची महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बहुत तेजी से कम होने लगता है। एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से उनकी हड्डियों का क्षरण होने लगता है, जिससे उनमें ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए उन्हें हर दो साल में बोन मिनरल डेंसिटी यानी बीएमडी टेस्ट कराना चाहिए। इससे हड्डियों की सघनता का पता चलता है, जिससे फ्यूचर में ऑस्टियोपोरोसिस के रिस्क को कम किया जा सकता है।
थाइरॉयड टेस्ट
इस उम्र को पार करने के बाद कई महिलाएं हाइपरएक्टिव थाइरॉयड या हाइपोथाइरॉयड की समस्या का सामना करती हैं। यह समस्या थाइरॉयड ग्लैंड में हार्मोन डिस्बैलेंस की वजह से होती है। इसकी वजह से वजन बढ़ना, नाखून टूटने या थकावट जैसी समस्याएं होती हैं। थाइरॉयड लेवल की जांच के लिए टीएसएच टेस्ट कराना चाहिए।
लिपिड प्रोफाइल-कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग
45 या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल भी जरूर चेक करवाते रहना चाहिए, क्योंकि कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा देता है। इस टेस्ट को हर 5 साल के गैप पर करना चाहिए। इसके लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल (गुड कोलेस्ट्रॉल, बैड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लाइसेराइड्स) चेक किया जाता है। 200-239 मिलीग्राम आइडियल कोलेस्ट्रॉल लेवल है। अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है तो डायबिटीज, हार्ट डिजीज, किडनी रिलेटेड, ओबेसिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग
महिलाओं में होने वाले कैंसर में कोलोरेक्टल कैंसर भी कॉमन है। 50 साल से कम उम्र की उन महिलाओं को कोलोरेक्टल स्क्रीनिंग करानी चाहिए जिनकी फैमिली में किसी को यह कैंसर हो या जिन्हें इंफ्लेमेटरी बॉउल डिजीज की शिकायत रहती हो।
आइज चेकअप
40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को 2-4 साल में एक बार और उससे अधिक उम्र की महिलाओं को 1-3 साल में एक बार आइज चेकअप कराना चाहिए, इससे नजर कमजोर होने का पता लग जाएगा। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मायोपिया आइज डिजीज वाली महिलाओं को तो ग्लूकोमा होने का अंदेशा रहता है। उन्हें हर साल रेग्युलर आइज चेकअप कराना चाहिए।
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