Health Tips: कोरोना पेशेंट को हो रही डायबिटीज? जानें क्या है इसका सच

Health Tips: कोरोना पेशेंट को हो रही डायबिटीज? जानें क्या है इसका सच
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Health News: कई लोगों ने हाल ही में शिकायत की है कि उन्हें कोविड-19 संक्रमण (Covid-19 Infection) होने और इसके ठीक होने के बाद डायबिटीज (Diabetes) का पता चला। इस पर विदेश के एक अस्पताल में स्टडी हुई, जिसमें इसके पीछे का सच सामने आया है।

Health News: कई लोगों ने हाल ही में शिकायत की है कि उन्हें कोविड-19 संक्रमण (Covid-19 Infection) होने और इसके ठीक होने के बाद डायबिटीज (Diabetes) का पता चला। विदेश के एक हॉस्पिटल में हुई एक स्टडी में पाया गया है कि अस्पताल में एडमिट होनें के दौरान डायबिटीज से पीड़ित कई कोविड -19 पेशेंट में वास्तव में वायरल संक्रमण के एक्यूट स्ट्रेस से संबंधित एक अस्थायी की बीमारी का रूप हो सकते हैं और डिस्चार्ज के तुरंत बाद उनका ब्लड शुगर लेवल सामान्य हो गया।

डायबिटीज का क्या हो सकता है कारण

दुनिया भर में कोविड -19 हॉस्पिटल में प्रवेश में न्यूली डायग्नोस्ड डायबिटीज मेलिटस (Newly Diagnosed Diabetes Mellitus) के हाई रेट बताए गए हैं। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है, कि अगर यह घटना वास्तव में नए डायबिटीज या पहले से अज्ञात मामलों का प्रतिनिधित्व करती है, तो इन हाई ब्लड शुगर का कारण क्या हो सकता है, और क्या कोविड -19 संक्रमण के समाधान के बाद रोगियों के ब्लड शुगर लेवल में सुधार होता है। कोविड -19 वाले लोगों में पहले से मौजूद डायबिटीज पेशेंट अस्पताल में भर्ती होने, इंटेसिव केयर यूनिट (Intensive Care Unit) में प्रवेश, मैकैनिकल वेंटिलेशन और मृत्यु की उच्च दर से जुड़ा हुआ है। शोधकर्ता मानते हैं कि कोविड -19 के कारण होने वाला इंफ्लेमेटरी स्ट्रेस 'नई शुरुआत' या डायबिटीज की जांच में सामने आने वाले नए मामलों में एक प्रमुख कारण हो सकता है।

स्टडी से सच आया सामने

अपने अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं की टीम ने 594 व्यक्तियों को देखा, जो 2020 में कोरोना के पीक पर हॉस्पिटल में भर्ती हुए और उनमें डायबिटीज के लक्षण पाए गए। उनमें से 78 पेशेंट्स को अस्पताल में भर्ती होनें से पहले अपने डायबिटिक होनें की जानकारी नहीं थी। शोधकर्ताओं को पता चला कि पहले से मौजूद डायबिटीज पेशेंट्स की तुलना में इनमें से कई नए डायबिटीज के रोगियों का ब्लड शुगर लेवल कम था लेकिन कोविड -19 अधिक गंभीर था। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद इस समूह के साथ फॉलो-अप चेकअप से पता चला कि इसके लगभग आधे सदस्य सामान्य ब्लड शुगर लेवल पर वापस आ गए और एक वर्ष के बाद केवल आठ प्रतिशत को इंसुलिन की आवश्यकता थी।

शोधकर्ताओं ने किया खुलासा

एक्सपर्ट ने स्टडी में आगे खुलासा किया कि ये नए डायबिटीज के पेशेंट दरअसल डायबिटीज के शिकार नहीं बल्कि एक कोविड-19 के अत्याधिक स्ट्रेस के कारण पैदा हुई ट्रांजिटरी कंडीशन है। वास्तव में इस खोज ने क्लीनिकल तर्क का समर्थन किया, जिसमें कहा गया था कि ये सामने आए नए डायबिटीज के केस इंसुलिन प्रतिरोध के कारण हुए हैं। होता क्या है कि इंसुलिन रिस्पॉन्स में ब्लड शुगर को ठीक से अवशोषित करने के लिए सेल्स सही ढंग से काम नहीं कर पाती, जिसके परिणामस्वरूप खून में ग्लूकोज का सामान्य से अधिक निर्माण होता है। ऐसा इंसुलिन की कमी के बजाय, इंसुलिन का निर्माण करने वाली बीटा सेल्स को सीधे और स्थायी डैमेज के कारण होता है।

शोधकर्ताओं ने आगे कहा कि परिणाम बताते हैं कि तीव्र इंसुलिन प्रतिरोध कोविड -19 के अधिकांश रोगियों में नए डिटैक्ट किए गए डायबिटीज का प्रमुख तंत्र है, और यदि इंसुलिन की कमी होती है, तो यह आमतौर पर स्थायी नहीं होता है। उन्होंने आगे कहा कि इन रोगियों को थोड़े समय के लिए केवल इंसुलिन या अन्य दवाओं की आवश्यकता हो सकती है, और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर उन्हें फॉलो करें और पता लगाएं कि अगर उनकी स्थिती में सुधार होता है तो वह कब होता है।

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