युवाओं में बढ़ रहा हार्ट डिजीज का खतरा, ऐसे कर सकते हैं कम

हमारे बदलते लाइफस्टाइल के साथ ही 30-35 की उम्र युवा उम्र में ही (Heart Problem's) हार्ट प्रॉब्लम्स तेजी से बढ़ती जा रही हैं। यही वजह है कि फिट दिखने वाले कई लोग हार्ट अटैक का शिकार हुए हैं। इसकी कई वजहें हैं। ऐसे में इनसे बचने के लिए उन वजहों को जानने के साथ ही बचाव के सभी संभव तरीकों पर अमल करना जरूरी है। हम आपको रहे हैं कुछ एक्सपर्ट डॉक्टर्स के महत्वपूर्ण सजेशंस। जिनसे आप हार्ट में होने वाली इन समस्याओं की शुरुआत होने से पहले ही खत्म कर सकते हैं। इस से बचे रह सकते हैं।
हाल ही में सामने आई एक स्टडी के अनुसार दुनिया में गैर संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु का आधा हिस्सा केवल हृदय रोगों से संबंधित होता है। हृदय रोग पहले से एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, लेकिन हाल की कुछ खबरों से यह तथ्य सामने आया है कि फिटनेस कॉन्शस यंग जेनरेशन के लोग भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं।
हार्ट प्रॉब्लम बढ़ने का कारण
हालांकि हरेक व्यक्ति के रोग से ग्रस्त होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। आमतौर पर हृदय रोग को मोटापे, इनएक्टिव लाइफस्टाइल से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन आज के दौर में जब बहुत से युवा स्वस्थ शरीर की चाहत में जिम जाने से लेकर फिटनेस रूटीन तक अपना रहे हैं, उन्हें हृदय रोग का खतरा क्यों होता है, इस बारे में धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल, दिल्ली के डायरेक्टर एंड सीनियर कंसल्टेंट-कार्डियोलॉजी डॉक्टर आनंद कुमार पांडेय बताते हैं, 'सबसे पहले इस भ्रांति का दूर होना आवश्यक है कि केवल जिम जाना, व्यायाम के प्रति नियमित होना ही फिटनेस की परिभाषा है। सोशल मीडिया के दौर में बहुत से युवा एक प्रकार से 'फिटनेस का तनाव' लेकर जी रहे हैं। फिटनेस के लिए प्रोत्साहन अच्छा है लेकिन लगातार फिट दिखने का दबाव निश्चित रूप से हानिकारक है। शारीरिक स्वास्थ्य का दायरा एक्सरसाइज के अलावा, खान-पान, पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ तक फैला हुआ है। सभी पर बराबर ध्यान देने की जरूरत होती है। बहुत से युवा इसमें लापरवाही बरतते हैं, जैसे पोषण को दरकिनार करना लेकिन जिम में क्षमता से ज्यादा वजन उठाना या व्यायाम करना, जिससे रक्त वाहिकाओं और रक्तचाप पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और धड़कन तेज हो जाने का जोखिम होता है, यह स्थिति गंभीर रूप में हार्ट अटैक की ओर ले जा सकती है। भरपूर नींद की कमी, वर्क प्रेशर इस स्थिति में इजाफा करते हैं।'
यंगस्टर्स रखें ध्यान
सबसे पहले अपने शरीर की खामियों और खूबियों को स्वीकार करें, उन पर काम करें। पोषण पर ध्यान दें, प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें, सप्लीमेंट्स लेने से बचें या बिना उचित परामर्श के इनका सेवन ना करें, तनाव से दूर रहें, बॉडी फिटनेस को केवल वर्कआउट तक सीमित ना समझें। जिम में अपनी क्षमताओं को धीरे-धीरे बढ़ाएं।
आनुवांशिक कारण
हृदय रोग के आनुवांशिक कारण भी होते हैं। इस बारे में नारायणा सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल, गुरुग्राम के डायरेक्टर, सीनियर कंसल्टेंट एंड रीजनल क्लिनिकल लीड नॉर्थ कार्डियोलॉजी एंड पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी-डॉक्टर हेमंत मदान कहते हैं, 'हृदय रोग के आनुवांशिक कारणों की बात करें तो युवाओं को विशेष रूप से इस पर ध्यान देने की जरूरत है। फैमिली हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए स्वस्थ जीवनशैली से हार्ट डिजीज के रिस्क को टाला जा सकता है। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि लगातार खाने, मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को हेल्दी नहीं कहा जा सकता है। यहां समझना होगा कि मोटापा जहां स्वयं एक रोग है, वहीं अन्य कई रोगों को जन्म देता है। इससे बचने के लिए संतुलित आहार और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।'
कोविड पीरियड में हार्ट डिजीज
कोविड के इस दौर में भी बहुत से युवा हृदय रोग या इससे संबंधित लक्षणों का सामना कर रहे हैं। इस बारे में श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट एंड इंचार्ज, सीटीवीएस-डॉक्टर राकेश चुग कहते हैं, 'अभी के दौर में पोस्ट कोविड जटिलताओं में हृदय रोग के मामले तो सामने आ ही रहे हैं। साथ ही बहुत से युवाओं ने वर्क फ्रॉम होम किया, लंबे समय तक एक सीमित दायरे में रहे, जिससे उन्हें बीच-बीच में हार्ट बीट्स घटने-बढ़ने, अनियमित रक्तचाप, ब्रेन स्ट्रोक, लगातार बैठे रहने के कारण पैरों में क्लॉटिंग की समस्या का सामना भी करना पड़ा, जो हृदय रोग का रिस्क बढ़ाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि युवा अलर्ट रहें। सक्रिय जीवनशैली और पोषण पर विशेष ध्यान दें। एक जगह लगातार बैठे रहकर काम करने की बजाय बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें, नियमित बॉडी चेकअप करवाते रहें।
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