International Yoga Day 2022: हर रोज करें योग, डायबिटीज, बीपी जैसी लाइफस्टाइल डिजीज से रहेंगे कोसों दूर

घर-परिवार संभालने, नौकरी-बिजनेस करने के कारण हम अपनी सेहत का जरा भी ध्यान नहीं रखते हैं, जिसके कारण कई खतरनाक बीमारियों (diseases) के शिकार हो जाते हैं। इन बीमारियों से बचने और इनको नियंत्रण में रखने के लिए योगाभ्यास करना बेहद कारगर है। योग गुरु आचार्य कौशल किशोर (Acharya Kaushal Kishore) से ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानिए।
योग की दृढ़ मान्यता है कि मनुष्य की अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं का मूल कारण जीवनशैली और उसका मन होता है। तन-मन को स्वस्थ रखने के लिए योग बहुत कारगर है। इससे न केवल शरीर व्याधियों से दूर रहता है, मन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यहां हम आपको बता रहे हैं डायबिटीज, बीपी और थाइरॉयड (diabetes, BP and thyroid) जैसी कॉमन बीमरियों में कारगर योगासनों के बारे में।
डायबिटीज- मधुमेह यानी डायबिटीज जैसे रोग का मूल कारण खान-पान में अनियमितता के साथ मन का तनाव भी होता है। इसके लिए सूक्ष्म व्यायाम, मेरू वक्रासन, अर्ध मत्स्येंद्रासन, मंडूकासन बहुत कारगर होते हैं।
मंडूकासन- इसे करने के लिए घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं। पांच लंबी और गहरी श्वांस-प्रश्वांस सजगतापूर्वक लें। इसके बाद दोनों हाथ की मुठ्ठियों को बंदकर उन्हें नाभि पर रख कर आगे को झुकें। इस स्थिति में श्वांस-प्रश्वांस को सामान्य रखते हुए जितनी देर तक रुक सकते हैं, रुकें फिर वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं। लेकिन इसका अम्यास किसी योग गुरु की देख-रेख में ही करना चाहिए।
प्राणायाम- डायबिटीज (diabetes) से राहत के लिए कपालभाति, भस्त्रिका और नाड़ी शोधन प्राणयाम का अभ्यास करना बहुत लाभकारी है।
कपालभाति करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या सुखासन में रीढ़, गला और सिर को सीधा कर बैठ जाएं। आंखों को बंद कर पांच गहरी और लंबी श्वांस-प्रश्वांस लीजिए। अब अपनी दाईं नाक को बंद कर बाईं नाक से सामान्य श्वांस अंदर लेकर हलके झटके के साथ श्वांस बाहर निकालें। ऐसा लगभग 25 बार करें। इसके बाद बाईं नाक से भी वैसा ही करें। इसी प्रकार दोनों नाकों से एक साथ इस क्रिया का अभ्यास करें।
थाइरॉयड की समस्या
इसमें हाइपर और हाइपो दो प्रकार की थाइरॉयड समस्या हो सकती हैं। हाइपो थाइरॉयड से राहत के लिए कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। लेकिन जिन्हें हाइपर थाइरॉयड की शिकायत है, उनको नाड़ी शोधन प्राणायाम करना चाहिए।
नाड़ी शोधन प्राणायाम- इसे करने के लिए किसी भी आसन में बैठ जाएं और पांच लंबी और गहरी श्वांस-प्रश्वांस लें। फिर दाएं हाथ के अंगूठे से से दाई नाक को बंद कर बाईं नाक से लंबी और धीमी श्वांस सजगता पूर्वक अंदर लेकर, दाईं नाक से धीमी और लंबी प्रश्वांस बाहर निकालें। फिर इसी प्रक्रिया को बाईं नाक से दोहराएं। यह नाड़ी शोधन प्राणायाम का एक आवृत्ति है। इस तरह इसे दस बार जरूर करें।
इसके अलावा सर्वांगासन, मत्स्यासन, भुजंगासन और जानुशिरासन का अभ्यास भी लाभकारी है।
भुजंगासन- इसे करने के लिए पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैरों को जोड़े रखें। हाथों को कान के बगल में जमीन पर रख लें। अब हाथों के सहारे धड़ को इतना ऊपर उठाएं कि शरीर सर्प के आकार का हो जाए, पर पेट जमीन पर ही रहना चाहिए। इस स्थिति में श्वांस-प्रश्वांस को सामान्य रखते हुए आरामदायक समय तक रुककर वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं। जिन्हें हर्निया की षिकायत हो वे इसका अभ्यास को न करें।
बीपी या रक्तचाप
यह हाई या लो हो सकता है। हाई बीपी के समाधान के लिए नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास बहुत ही लाभदायक है। इसके अलावा भ्रामरी प्राणायाम भी उपयोगी है।
भ्रामरी- इसके लिए ध्यान के किसी भी आसन में या कुर्सी पर रीढ़, गला और सिर को सीधा कर बैठ जाएं। आंखों को बंदकर सजगतापूर्वक पांच लंबी और गहरी श्वांस लेकर मुंह को बंद रखते हुए गले से भौंरे जैसी आवाज बाहर निकालें और इस आवाज को ध्यान से सुनें। इसे पांच से दस बार जरूर करें।
जानुशिरासन- जमीन पर सीधे बैठ जाएं। दाएं पैर को आगे की ओर सीधा फैला लें। बाएं पैर के तलवे को दाएं पैर की जांघ से सटा दें। अब दोनों हाथों को उपर उठाकर आगे की तरफ इस प्रकार झुकें कि हाथ से दाएं पैर के पंजे को स्पर्श करें और अंतिम स्थिति में घुटने को स्पर्श करना है। इस स्थिति में आरामदायक समय तक रुककर वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं। यही क्रिया दूसरे पैर से भी करें। जिन्हें स्लिप डिस्क की षिकायत हो वे इसका अभ्यास न करें।
जिन्हें लो वीपी की शिकायत है, वे कपालभाति और नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करें। इसके अलावा भुजंगासन का भी अभ्यास करें।
प्रस्तुति-संध्या रानी
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