International Yoga Day 2022: अपने आपको तनावमुक्त रखने के लिए करें ये योगासन, लंबे समय तक रहेंगे एक्टिव

International Yoga Day 2022: अपने आपको तनावमुक्त रखने के लिए करें ये योगासन, लंबे समय तक रहेंगे एक्टिव
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आज के तनाव भरे और तमाम व्याधियों वाले दौर में हर कोई चाहता है कि तनाव मुक्त जीवन जिए, बीमारियों से मुक्त और प्रसन्न रहे। इन सभी को किसी एक मार्ग से पाया जा सकता है तो वह मार्ग है-योग। एक संपूर्ण जीवन को संतुलित रूप से कैसे जिया जा सकता है? तन से, मन से, विचारों से, आचारों से स्वस्थ होने की अंतर्यात्रा पर कैसे चलें? यह अनुभव करना है तो योग के माध्यम से ही हो सकता है।

वैसे तो सभी योगासनों का शरीर और मन के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन उनमें से कुछ आसन ऐसे हैं, जिनके नियमित अभ्यास से तन को निरोगी और मन को स्वस्थ (mind healthy) रख सकते हैं। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, दिल्ली के योगाचार्य उदयजी (Udayji) से जानिए इनके लाभ और विधि।

आज के तनाव भरे और तमाम व्याधियों वाले दौर में हर कोई चाहता है कि तनाव मुक्त जीवन जिए, बीमारियों से मुक्त (free from diseases) और प्रसन्न रहे। इन सभी को किसी एक मार्ग से पाया जा सकता है तो वह मार्ग है-योग। एक संपूर्ण जीवन को संतुलित रूप से कैसे जिया जा सकता है? तन से, मन से, विचारों से, आचारों से स्वस्थ होने की अंतर्यात्रा पर कैसे चलें? यह अनुभव करना है तो योग के माध्यम से ही हो सकता है।

स्वस्थ मन है जरूरी

योग मानसोपचार भी करता है। हम जानते हैं कि शरीर का प्रभाव मन पर पड़ता है। यदि आप थके हैं, भूखे हैं तो क्रोध और चिड़चिड़ापन जरूर आएगा। कमजोर व्यक्ति को गुस्सा अधिक आता है। स्वस्थ लोग (Healthy people) अधिक प्रसन्न रहते हैं। इसका कारण यही है कि शारीरिक स्वास्थ्य से मन प्रफुल्लित और शांत होता है। योगासन करने से स्नायु नियंत्रण होता है, सहनशक्ति बढ़ती है और मन को स्वस्थ-शांत बनाया जा सकता है। योगासन करने से मन संतुलन को प्राप्त करता है और शरीर में स्फूर्ति, साहस, धैर्य और हल्कापन महसूस होता है। आइए जानते हैं, मन और तन को स्वस्थ बनाने वाले दो विशेष योगासनों के बारे में-

व्रजासन- वज्र का अर्थ है कठोर, कड़ा, शक्तिशाली। परंतु योग में वज्र नाड़ी को कहते हैं। यह नाड़ी गुदा और अंडकोष के बीच में होती है। इस आसन में बैठने से वज्र नाड़ी पर दबाव पड़ता है। इसलिए इसे वज्रासन कहते हैं।

-पहले किसी शांत स्थान पर मैट बिछाकर बैठें। अब दोनों पैरों को पीछे मोड़कर घुटनों के बल बैठें। दोनों पैर के पंजे फैले हुए हों।

- दोनों अंगूठे एक-दूसरे से मिले हों। एड़ियां खुली हों। नितंब दोनों एड़ियों के बीच में रखें हों।

- अब बिल्कुल सीधे बैठ जाएं। मेरुदंड, गर्दन और पीठ तनी हुई हो, दोनों हाथ घुटनों पर रखे हुए हों।

- ऐसी स्थिति में स्वाभाविक सांस लेते हुए पूरी प्रक्रिया को दोहराएं।

शीर्षासन- शीर्ष का अर्थ है सिर, कपाल, या माथा। इस आसन में सिर के बल उल्टा खड़ा होना होता है। इसलिए इस आसन को शीर्षासन कहते हैं। यह आसन पूरे शरीर को शक्ति प्रदान करता है। इसलिए इसे आसनों का राजा कहा जाता है। इस आसन को करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। बाल सफेद नहीं होते, सफेद बाल काले हो जाते हैं। यह आसन अनेक मनोवैज्ञानिक विकारों दमा, सिरदर्द, अनिद्रा, शक्ति की कमी, जुकाम आदि को दूर करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से हाथ-पैर सुन्न होने की बीमारी दूर हो जाती है। इसे करने के लिए पहले शांत स्थान पर मैट बिछाकर बैठ जाएं।

- अब वज्रासन में बैठकर दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाते हुए कोहनियों को जमीन पर टिकाएं।

- अब सिर को हाथों के बीच सटाकर रखिए और धीरे-धीरे घुटनों को जमीन से ऊपर उठाइए।

- अब यही प्रक्रिया दूसरे पैर से कीजिए। इस अवस्था में शरीर, हाथों में सिर के सहारे रहे।

- अब पैरों का ऊपरी भाग धड़ से दूर कर नितंब सीधे कीजिए।

- अब घुटनों को पूर्णतः सीधी अवस्था में ले आइए। इस अवस्था में शरीर पूरी तरह उल्टी दिशा में ऊपर की ओर तना रहेगा। यथासंभव इस स्थिति में रुकिए।

- तत्पश्चात पैरों को मोड़िए और अंगुलियों को जमीन पर टिका दीजिए।

- इसके बाद श्वांस-प्रश्वांस को सामान्य रखते हुए एक-एक कर पैरों को ऊपर-नीचे कीजिए।

- इस प्रक्रिया को अपनी सुविधानुसार 5 से 10 बार कर सकते हैं।

शरीर को स्वस्थ, लचीला बनाने और निरोगी बनाने के लिए इन दोनों के अलावा दूसरे योगासन जैसे बालासन, पद्मासन, प्राणायाम, सुखासन, गोमुखासन, वृक्षासन, भुजंगासन आदि भी आप योग शिक्षक के परामर्श से करके शरीर को निरोगी और मन को स्वस्थ बना सकते हैं।

प्रस्तुति- अंजू गुप्ता

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