International Yoga Day 2022: बीमारी को दूर भगाता है योग, मानव जीवन में है जरूरी

International Yoga Day 2022: बीमारी को दूर भगाता है योग, मानव जीवन में है जरूरी
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कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान पूरे विश्व में योग ने चमत्कार दिखाया। योगाभ्यास करने वाले लोग इस रोग के दुष्प्रभावों से काफी हद तक अप्रभावित रहे और असमय काल कवलित होने से बच गए। योगाभ्यास करने वाले अधिकांश लोग कोविड-19 (Covid-19) के शिकार होने के बाद भी सरलता से उसका सामना करने में सफल रहे। कहना चाहिए कि महामारी के दौरान योग ने पूरी दुनिया में अपनी शक्ति और महत्ता को सिद्ध करने में सफलता प्राप्त की।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घायु बनाता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) की थीम है-योग फॉर ह्यूमैनिटी (Yoga for humanity) अर्थात मानवता के लिए योग। यह थीम स्पष्ट करती है कि कैसे कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान योग ने इसके प्रकोप को कम करने में मानवता की सहायता की। पोस्ट कोविड के दौरान भी योग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कारगर भूमिका निभा रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि पूरी दुनिया के लोग इसे अपनी जीवनशैली में शामिल करें और स्वस्थ, ऊर्जावान और आनंदमय जीवन जिएं।

कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान पूरे विश्व में योग ने चमत्कार दिखाया। योगाभ्यास करने वाले लोग इस रोग के दुष्प्रभावों से काफी हद तक अप्रभावित रहे और असमय काल कवलित होने से बच गए। योगाभ्यास करने वाले अधिकांश लोग कोविड-19 (Covid-19) के शिकार होने के बाद भी सरलता से उसका सामना करने में सफल रहे। कहना चाहिए कि महामारी के दौरान योग ने पूरी दुनिया में अपनी शक्ति और महत्ता को सिद्ध करने में सफलता प्राप्त की।

मानसिक स्वास्थ्य में किया सुधार

कोरोना (Corona) महामारी के दौरान और उसके बाद लोगों की जीवनशैली पूरी तरह से बदल चुकी है। कोरोना (Corona) वायरस से संक्रमित होने का डर, भविष्य की अनिश्चितता, काम करने की आदतों में बदलाव, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी वजहों से लोगों की मानसिक सेहत पर बहुत असर डाला। लोगों में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का स्तर काफी बढ़ गया। लैंसेट साइकिएट्री जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जो लोग कोविड-19 का इलाज करा चुके हैं, उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या जैसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे लोग इन सभी समस्याओं से योग का अभ्यास करके छुटकारा पा सकते हैं। योग इन सभी मानसिक समस्याओं के उपचार का एक सरल उपाय सिद्ध हुआ है।

श्वसन समस्याएं होती हैं दूर

कोरोना (Corona) महामारी के दौरान देखा गया कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ की समस्या सबसे अधिक सामने आई। योग विशेषज्ञों के अनुसार श्वसन संबंधी समस्याओं से बचने के लिए सूक्ष्म व्यायाम, संधि संचालन, ताड़ासन, भुजंगासन, धनुरासन, कटिचक्रासन, पवनमुक्तासन, शशांकासन, प्राणायाम जैसे योगासनों का नियमित अभ्यास बहुत कारगर साबित होता है। ऐसा करने से शरीर का रोग प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योगनिद्रा का अभ्यास भी बहुत लाभदायक है। साथ ही ज्ञानमुद्रा, जलमुद्रा और प्राणमुद्रा का अभ्यास मानसिक शांति के साथ शरीर में पानी के कमी दूर करने और ऊर्जा स्तर बढ़ाने में काफी लाभदायक साबित होता है।

श्वसन रोगों से बचने के लिए प्राणायाम सबसे बेहतर उपचार साबित होता है। प्राणायाम से श्वसन तंत्र मजबूत होता है और कोरोना संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है। खासतौर पर अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, कपालभाति और सूर्य नमस्कार सहित कई दूसरे योगासन करने की सलाह दी जाती है।

प्राणाया- प्राणायाम श्वांस संबंधी योगासन है। इसको यौगिक श्वसन भी कहा जाता है। इसमें श्वसन के साथ ही हृदय और तंत्रिका तंत्र की एक्सरसाइज होती है। इससे भावनात्मक स्थिरता और मन की शांति आती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार प्राणायाम, ब्रीदिंग हेल्थ बेहतर करने के साथ-साथ हार्ट के लिए भी लाभकारी होता है।

इसे करने के लिए सबसे पहले साफ-सुथरी जगह पर मैट बिछाकर दोनों घुटनों को मोड़कर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों को घुटनों के ऊपर रखें। इस दौरान रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। अब आंखें बंद करके मन को एकाग्र करें। फिर धीरे से लंबी गहरी सांस लें। इस दौरान मुंह बिल्कुल भी नहीं खोलना है। फिर सांस को धीरे-धीरे छोड़ें। सांस को छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर अवश्य खींचें। करीब 5 से 10 मिनट तक या फिर अपनी सुविधानुसार इसे दोहराते रहें।

उत्तानासन- उत्तानासन के अभ्यास से प्रतिरक्षा प्रणाली जीवंत हो उठती है। यह लंग्स में कंजेशन की समस्या दूर करता है। साइनस और म्यूकस मेंब्रेंस को स्वस्थ रखने के लिए उत्तानासन एक बेहतरीन योग है। इसे करने से माइल्ड डिप्रेशन से छुटकारा मिलता है और रात में अच्छी नींद भी आती है। इसके अभ्यास से दिमाग शांत रहता है, चिंता दूर करने में मदद मिलती है। यह आसन सिरदर्द को भी कम करता है। इसका अभ्यास सुबह के समय करने से दिन भर ऊर्जावान रहने का अहसास होता है।

उत्तानासन करने के लिए ताड़ासन की स्थिति में खड़े हो जाएं। दोनों हाथ-पैर शरीर के साथ मिले हों। सांस छोड़ते हुए कूल्हे से आगे की ओर थोड़ा झुकें। अब अपनी हथेलियों को अपने पैरों या फर्श पर सटाने की कोशिश करें। ऐसा आसानी से हो जाए तो ही करें। अब अपने माथे को घुटने के पास लाएं और आंखें बंद करके शरीर को रिलैक्स करने दें। इस स्थिति में कुछ सेकेंड तक रुकें और फिर पहले वाली स्थिति में वापस आ जाएं। इसे शुरुआत में कुछ सेकेंड के लिए 3 बार करें। बाद में अपनी सुविधा के अनुसार बढ़ा सकते हैं।

बालासन-बालासन, तनाव को दूर करने का सबसे बेहतरीन योगासन है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर लचीला बनता है। मांसपेशियों, जोड़ों और स्यान में ब्लड सर्कुलेशन सुचारु रूप से होता है। यह मस्तिष्क को शांत कर स्ट्रेस और थकान दूर करता है।

बालासन करने के लिए सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाएं। ठीक वैसे ही जैसे आप वज्रासन की मुद्रा में होते हैं। फिर शरीर के ऊपरी हिस्से को सामने की ओर झुकाएं और दोनों हाथ पीछे की ओर रखें। शरीर को झुकाते समय कोशिश करें कि सिर सामने जमीन को छुए। अब जितना हो सके उतनी देर तक इसी स्थिति में रहने की कोशिश करें। अब सांस छोड़ते हुए शरीर के ऊपरी भाग को उठाते हुए फिर से वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं।

अजेश कुमार

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