किडनी मरीज के लिए ज्यादा पानी पीना भी हो सकता है घातक, बहुत जरूरी है इससे जुड़ी सही जानकारी रखना

अक्सर किडनी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए केवल पानी का प्रचुर मात्रा में सेवन उपयुक्त बताया जाता है। लेकिन तथ्य यह है कि किडनी का संबंध बहुत-सी अन्य बीमारियों से भी जुड़ा है, साथ ही किडनी से संबंधित रोगों का शरीर के बाकी अंगों पर भी असर पड़ता है। नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार सीकेडी यानी गंभीर किडनी रोग, मृत्यु का छठवां सबसे बड़ा उभरता हुआ कारण है, और दुनिया भर में 850 मिलियन लोग किडनी रोग से ग्रसित हैं जिसके बहुत से कारण हैं। एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश में 7.8 मिलियन लोग गंभीर किडनी रोग से ग्रसित हैं। इस वर्ष वर्ल्ड किडनी-डे की थीम भी लिविंग वेल विद किडनी डिजीज है, यानी वे तमाम हिदायतें, जिनकी बदौलत किडनी रोग से जूझ रहे मरीज एक बेहतर जीवन जी सकें।
सही जानकारी रखें
किडनी के बेहतर स्वास्थ्य के संदर्भ में ऐसी बहुत-सी बातें हैं जिनके बारे में आम लोगों के जानकारी का अभाव है। इस बारे में नारायणा अस्पताल, गुरुग्राम के सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट-डॉक्टर सुदीप सिंह सचदेव बताते हैं- किडनी की देखभाल के दृष्टिकोण से सबसे पहले हमें एक सामान्य व्यक्ति और किडनी रोग से ग्रसित मरीजों में फर्क करना यमझना होगा। किडनी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कह तो दिया जाता है कि प्रचुर मात्रा में पानी पिएं, जो एक आम व्यक्ति के लिए सही भी है लेकिन गंभीर किडनी रोग से जूझ रहे व्यक्ति पर ठीक यही बात लागू नहीं होती क्योंकि किडनी के रोगों से जूझ रहे मरीजों की किडनी पर अत्यधिक तरल पदार्थ लेने से किडनी पर प्रेशर पड़ता है, जो पहले से डैमेज हुई किडनी के लिए सही नहीं है, इसलिए उनका खान-पान डॉक्टर के दिशानिर्देश के अनुसार होना चाहिए। इसी तरह एक्सरसाइज करना सभी के लिए फायदेमंद है लेकिन सामान्य लोग समय लेकर व्यायाम के लिए धीरे-धीरे अपनी शरीर की क्षमता बढाएं और अचानक शारीरिक क्षमता से बाहर जाकर कोई व्यायाम या भारी काम न करें। इससे रैबडोमायोलिसिस हो सकता है, जो किडनी के लिए हार्मफुल है।
डिहाइड्रेशन का असर
डिहाइड्रेशन का किडनी हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। इसके दुष्परिणामों के बारे में बता रही हैं, डॉक्टर सुमन लता, जो धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल, दिल्ली में डायरेक्टर एंड सीनियर कंसल्टेंट-नेफ्रोलॉजी हैं। डिहाइड्रेशन केवल शरीर को कमजोर नहीं करता बल्कि किडनी स्टोन की भी आशंका बढ़ा देता है, इसलिए जो लोग आदतन कम पानी पीते हैं उन्हें चेत जाना चाहिए। अपने शरीर में तरलता बनाए रखें। बच्चों और बुजुर्गों का इस संदर्भ में विशेष ख्याल रखें।
डाइट हो सही
खान पान के संदर्भ में और किडनी ट्रांसप्लांट के संदर्भ में चर्चा कर रहे हैं श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, दिल्ली में सीनियर कंसलटेंट एंड चीफ ऑफ एक्शन किडनी ट्रांसप्लांट एंड डायलिसिस डिपार्टमेंट डॉक्टर राजेश अग्रवाल। वे बताते हैं, अत्यधिक नमक की मात्रा किडनी पर अतिरिक्त दबाव बनाती है। दरअसल, नमक का अतिरिक्त सेवन बीपी को बढ़ाने की क्षमता रखता है, जिसके परिणामस्वरूप किडनी के संचालन पर प्रभाव पड़ता है। किडनी के बेहतर संचालन के लिए फाइबर युक्त भोजन जरूरी है। इसलिए अपने खान पान में लीची, सेब, बेरीज जैसे फल शामिल करें। बाजार में मिलने वाला तला भुना खाने से किडनी इंफेक्शन का भी बराबर खतरा होता है। इसलिए स्वस्थ और स्वच्छ माहौल में पके और परोसे गए भोजन का ही सेवन करे।
किडनी डिजीज के कारण-लक्षण-बचाव
आमतौर पर किडनी से जुड़ी समस्याएं होने के प्रमुख कारण हैं- डायबिटीज का होना, हाई ब्लड प्रेशर होना, कम पानी पीना, अधिक मात्रा में नमक खाना, दर्दनाशक दवा का अधिक सेवन, धूम्रपान करना, देर तक पेशाब रोकना। किडनी रोगों से जुड़े लक्षणों में शामिल हैं-पैरों और आंखों के नीचे सूजन, ज्यादा चलने पर थकान और सांस फूलना, रात में बार-बार पेशाब जाना, भूख न लगना और हाजमा ठीक न रहना, खून की कमी से शरीर पीला पड़ना। इन रोगों से बचाव के लिए-खाने में नमक, सोडियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान रखें, 40 साल के बाद ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच साल में एक बार जरूर कराएं, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर होने पर हर छह महीने में पेशाब और खून की जांच कराएं, रोज आठ से दस गिलास पानी पिएं, हरी सब्जियां और फलों का सेवन करें, नियमित व्यायाम और एक्सरसाइज करें, वजन नियंत्रित रखें।
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