स्मोकिंग ही नहीं अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की आदत से भी बचना है जरूरी, जानें कैसे हो जाते हैं इसके एडिक्ट

स्मोकिंग ही नहीं अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की आदत से भी बचना है जरूरी, जानें कैसे हो जाते हैं इसके एडिक्ट
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हाल ही में पोषण विज्ञानियों के एक समूह ने अमेरिकियों की खान-पान की आदत का अध्ययन करने पर पाया कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिकों ने जो कैलोरी ग्रहण की, वो अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से मिली। विज्ञानिकों ने ऐसे फूड को इंडस्ट्रियल फॉर्मूलेशन का नाम दिया है।

जिस तरह स्मोकिंग, ड्रिंकिंग और ड्रग्स का सेवन करने वाले उसके (Adict) एडिक्ट हो जाते हैं, उसी तरह अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आइटम्स का सेवन करने वाले भी उसके एडिक्ट हो जाते हैं। जो शरीर को बहुत ही नुकसान पहुंचाता है। इसका खुलासा हाल ही में की गई। एक (Study) स्टडी में हुआ है। अगर आप भी इस तरह की एडिक्शन में है और इससे निजात पाना चाहते हैं तो आप को कुछ बातों पर अमल करना होगा।

दरअसल, हाल ही में पोषण विज्ञानियों के एक समूह ने अमेरिकियों की खान-पान की आदत का अध्ययन करने पर पाया कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिकों ने जो कैलोरी ग्रहण की, वो अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से मिली। इन विज्ञानियों ने ऐसे फूड को इंडस्ट्रियल फॉर्मूलेशन का नाम दिया है, जिनमें चीनी, नमक, तेल, फैट और अन्य एडिटिव्स की काफी अधिक मात्रा होती है।

बीमारियों की वजह

सेहत विशेषज्ञों के अनुसार, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन मोटापा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज सहित कई सेहत संबंधी समस्याओं का सबब बन सकता है। ये फूड्स आमतौर पर सस्ते, आसानी से उपलब्ध और बहुत चटपटे-स्वादिष्ट होते हैं। इसलिए लोग आसानी से इनके जाल में फंस जाते हैं। इतना ही नहीं इस तरह के फूड्स अक्सर एडिक्टिव नेचर के होते हैं, इसलिए इनको ज्यादा खाने से इनकी आदत पड़ जाती है।

इसलिए होता है एडिक्शन

अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन द्वारा इस विषय पर एक चर्चा करवाई गई कि फूड एडिक्शन के पीछे का विज्ञान क्या है और क्या अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड ओवर ईटिंग और ओबेसिटी का सबब बन सकते हैं? इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में साइकोलॉजिकल विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर एशले गियर हार्ट ने ऐसे फूड एडिक्शन स्केल विकसित करने में मदद की, जिससे लोगों में फूड के प्रति एडिक्टिव बिहेवियर का पता लगाना संभव था। 500 से ज्यादा लोगों पर एशले और उनकी टीम ने अध्ययन किया और पाया कि कुछ फूड सचमुच तेज भूख जगाते हैं, क्रेविंग पर कंट्रोल नहीं रहने देते और सेवन से होने वाली हानि का पता होने के बावजूद अपनी मात्रा में कटौती नहीं होने देते। ऐसे फूड में सबसे ऊपर पिज्जा, चॉकलेट, आइसक्रीम, फ्रेंच फ्राइज और चीज बर्गर हैं। इन फूड्स में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं, जो ब्रेन को प्रभावित करके कंट्रोल करते हैं। नमक, थिकनर्स, आर्टिफिशियल फ्लेवर और दूसरे एडिटिव ललचाने वाले होते हैं और इन फूड्स में हानिकारक तत्वों को नजरअंदाज करने के लिए उकसाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे सिगरेट में मेंथॉल व्यक्ति के मन में स्मोक करने के लिए इच्छा जगाता है उसे उकसाता है। वहीं इन अल्ट्रा प्रोसैस्ड फूड में फैट और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में होते हैं। एक अध्ययन में गियर हार्ट ने पाया कि हाईली प्रोसेस्ड फूड से मुक्ति पाने की कोशिश करने वालों में कुछ वैसे ही लक्षण नजर आते हैं जैसे ड्रग्स से मुक्ति पाने वालों में होते हैं। उदासी, क्रेविंग, चिढ़न, थकान, सुस्ती आदि इनमें से कुछ हैं।

एडिक्शन से ऐसे उबरें

प्रोफेसर गियर हार्ट कहती हैं कि अगर आप अल्ट्राप्रोसेस्ड फूड्स के एडिक्ट हो चुके हैं और सचमुच इससे मुक्ति पाना चाहते हैं तो अपने खान-पान से जुड़ा एक नोटबुक बनाएं। इसमें लिखें कि आप क्या-क्या खाते हैं। इससे आप जान पाएंगे कि कौन-सी चीजें आप काफी रिपीट करते हैं और उनके बिना चाहकर भी नहीं रह सकते हैं। सबसे पहले ऐसे फूड्स का घर में स्टॉक रखना बंद करें। अपने फ्रिज में कम से कम प्रोसेस किया हुआ फूड रखें। इनके बदले पौष्टिक लेकिन स्वादिष्ट फूड, रसीले और खट्टे फल आदि रखें। कुछ खाने का मन होने पर इन्हें ही खाएं। ऐसा कुछ समय करते रहने पर आपका एडिक्शन कम होकर छूट जाएगा।

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