जानिये क्या है सरोगेसी और इसका पूरा प्रोसेस, गुजरात में बनी से पहली सोरोगेट मदर

शिल्पा शेट्टी 15 फरवरी को सरोगेसी के जरिए मां बनी हैं। इससे पहले भी कई बॉलीवुड स्टार सरोगेसी के जरिए मां बन चुकी हैं। तभी से लोग गूगल पर क्या है सरोगेसी जमकर सर्च कर रहे हैं। इसी बीच आज हम आपको सरोगेसी क्या है और इससे जुड़ी कई जानकारी बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं सरोगेसी के बारे में।
सरोगेसी क्या है
सरोगेसी एक ऐसी टेकनिकल मीडियम है। जो लोग मां बाप बनने के सुख से दूर हो जाते हैं।वो लोग भी इसके जरिए माता-पिता बन सकते हैं। सरोगेसी को दूसरे शब्दों में किराए की कोख भी कहते हैं। सरोगेसी में एक स्वस्थ महिला के शरीर में मेडिकल तकनीक से पुरूष के स्पर्म को इंजेक्ट किया जाता है। जिसके 9 महीने बाद एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है। इस तकनीक में गर्भधारण करने वाली महिला का पूरे 9 महीने तक डॉक्टर्स अपनी देखरेख में रखते हैं। जिससे एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सके। जो स्त्री अपनी कोख में दूसरों का बच्चा पालती है उसे सरोगेट मदर कहा जाता है। सरोगेसी के जरिए पुरूष के स्पर्म को एक स्वस्थ महिला के गर्भ में 9 महीनों तक रखा जाता है। जिसके बाद संतान के जन्म के बाद सरोगेट मदर संतान को दंपति को सौंप देती है।
सरोगेसी दो टाइप की होती है
1. ट्रेडिशनल सरोगेसी –
ट्रेडिशनल सरोगेसी में अपना बच्चा चाहने वाले पिता के शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इस तकनीक में बच्चे में जेनेटिक प्रभाव सिर्फ पिता का ही आता है।
2. जेस्टेशनल सरोगेसी –
इस तकनीक में बच्चा चाहने वाले माता-पिता दोनों के अंडाणु और शुक्राणु मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है और उस भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस तकनीक से पैदा होने वाले बच्चे में जेनेटिक प्रभाव माता और पिता दोनों का आता है।
क्या है सरोगेसी का प्रोसेस ?
सरोगेसी की प्रक्रिया में सबसे पहले निसंतान दंपति, जो बार-बार गर्भपात या आईवीएफ(IVF)के फेल होने पर ही इस तकनीक या साधन का उपयोग कर सकते हैं। इसके बाद एक अस्पताल और डॉक्टर की परमिशन से ही इस तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है। अस्पताल और डॉक्टर की मदद से ही सरोगेसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है। सरोगेसी में अपनी संतान की चाहत रखने वाले दंपति एक अन्य मानसिक और शारीरिक स्वस्थ महिला को इस प्रक्रिया के लिए चुना जाता है। जिसमें उसे पुरूष के स्पर्म को अपने गर्भ(कोख) में 9 महीनों तक रखना होता है। 9 महीने बाद बच्चे के जन्म के बाद जहां निसंतान दंपति को संतान मिलती है, तो वहीं सरोगेसी करने वाली महिला को पहले से तय की गई एक निश्चत राशि दी जाती है।
भारत में सरोगेसी
सरोगेसी पहले भारत के लिए एक अनजान तकनीक थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से सरोगेसी में काफी उछाल देखा गया है। सरोगेसी की शुरूआत सबसे पहले गुजरात से हुई थी। जहां एक 65-70 साल की महिला ने अपनी बेटी के बच्चे को 9 महीने कोख में रखने के बाद जन्म दिया था। सरोगेसी तकनीक या प्रक्रिया का भारत में धीरे-धीरे दुरूपयोग और व्यवासायिककरण बढ़ गया। सरोगेसी तकनीक के जरिए आम लोगों के साथ ही आमिर खान, शाहरूख खान, करन जौहर, तुषार कपूर आदि बॉलीवुड के कई सेलेब्स भी संतान सुख ले चुके हैं।
ध्यान रहे
- व्यवासायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध।
-सिंगल, अविवाहित पुरुष या महिला, समलैंगिक, लिव इन में रहने वाला जोड़ा सरोगेसी के लिए आवेदन नही कर सकता ।
-केवल 25 से 35 साल की महिला ही सरोगेट बन सकती है। करीबी रिश्तेदार होना जरूरी।
-सरोगेट माँ बनने के लिए महिला का विवाहित और एक बच्चे की मां होना जरूरी।
-अंडाणु या स्पर्म देने पर प्रतिबंध।
- सरोगेसी के बदले धन देने या मौद्रिक लाभ नहीं दिया जा सकेगा। इसे केवल परोपकार माना जाएगा।
-सरोगेसी के लिए बनाए गए प्रावधानों का उल्लंघन करने पर बिल में 10 साल की सजा और 10 लाख तक का जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
-भारत में सरोगेसी बिल (Surrogacy Bill India)
इन स्थितियों में सरोगेसी अच्छा विकल्प है
-जब आईवीएफ उपचार फेल हो जाए
-बार-बार अर्बोशन होने पर
-fetal implantation treatment के फैल होने पर
-गर्भ में कोई विकृति हो जाने पर
-गर्भाशय या श्रोणि विकार होने पर.
-दिल की बीमारियां होने पर
-यूट्रस का दुर्बल होने की स्थिति में
सरोगेसी का खर्च
भारत में सरोगेसी प्रक्रिया में खर्च लगभग 15 -20 लाख रूपए का खर्चा आता है।
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