इस बार Monsoon में रहना होगा ज्यादा Alert, बढ़ रहा इन बीमारियों का खतरा

इस बार Monsoon में रहना होगा ज्यादा Alert, बढ़ रहा इन बीमारियों का खतरा
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बारिश के मौसम में बार-बार तापमान में होने वाले बदलाव की वजह से सर्दी-जुकाम फ्लू के मामले बढ़ जाते हैं। रोग प्रतिरोधक तंत्र के कमजोर पड़ने के कारण शरीर संक्रमण का मुकाबला पूरी क्षमता से नहीं कर पाता और हम बीमारियों के आसानी से शिकार हो जाते हैं।

Health Tips : हर साल बारिश के मौसम (Rainy season) में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही अभी कोरोना संक्रमण (Covid infection) का खतरा भी बरकरार है। ऐसे में इस बार आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। मानसून में होने वाली कुछ प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं और उनसे बचाव के बारे में हम दे रहे हैं बहुत उपयोगी सलाह। मानसून की रिमझिम फुहारें गर्मी से तो राहत देती हैं लेकिन कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ा देती हैं।

इस मौसम में बार-बार तापमान में होने वाले बदलाव की वजह से सर्दी-जुकाम (Cold and cough) फ्लू के मामले बढ़ जाते हैं। रोग प्रतिरोधक तंत्र के कमजोर पड़ने के कारण शरीर संक्रमण का मुकाबला पूरी क्षमता से नहीं कर पाता और हम बीमारियों के आसानी से शिकार हो जाते हैं। इस दौरान जठराग्नि यानी डाइजेस्टिव फायर धीमी पड़ जाती है, जिससे पाचन तंत्र से संबंधित समस्याएं भी अधिक होती हैं। मच्छरों से होने वाली बीमारियों (मलेरिया (Malaria),डेंगू (Dengue),चिकनगुनिया (Chikungunya) के मामले भी काफी बढ़ जाते हैं। इनके अलावा स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर (Covid third wave) की आशंका भी जता रहे हैं। ऐसे में लोगों को अपनी और अपने परिवार के स्वास्थ्य को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।

जुकाम-फ्लू (Cold flu) : बारिश में बच्चे और बुजुर्ग ही नहीं, युवा भी जुकाम या फ्लू के शिकार हो जाते हैं। फ्लू को ठीक होने में 8-10 दिन का समय लग सकता है। इस दौरान सर्दी, खांसी, बुखार और कंपकंपी लगने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। फ्लू संक्रामक होता है, इसलिए अगर आपको फ्लू हो गया हो तो लोगों से दूर रहें, ताकि वो संक्रमण की चपेट में ना आएं। अगर आप बारिश और सर्दी में हर साल फ्लू की चपेट में आते हैं तो वैक्सीनेशन करा लें।

गैस्ट्रोएंट्राइटिस (Stomach flu) - गैस्ट्रोएंट्राइटिस या आंत्रशोथ बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण से हो सकता है। इसके कारण पेट की अंदरूनी परत में जलन होती है और वो सूज जाती है। संक्रमित व्यक्ति (Infected person) को दस्त और उल्टी होने लगती है। यह संक्रमण (Infection) ऐसे भोजन या पानी के सेवन से होता है जो ई. कोलाई, सालमोनेला, एच. पाइलोरी, नोरोवायरस, रोटावायरस आदि से संक्रमित होता है। वैसे तो कुछ ही दिनों में यह अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों को डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करना चाहिए।


फूड प्वाइजनिंग (Food poisoning) : मानसून में खाद्य पदार्थों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। संक्रमित खाद्य पदार्थों के सेवन से फूड प्वायजनिंग हो जाती है। इसलिए इस मौसम में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोने के बाद ही इस्तेमाल करें। बाहर के खाने से बचें।

वेक्टर बोर्न डिजीजेज (Vector Borne Disease) : वेक्टर बोर्न डिजीजेज यानी ऐसे रोग जो रोगाणु वाहक जंतुओं के द्वारा फैलते हैं। मानसून में मलेरिया, डेंगु और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां मच्छरों के द्वारा फैलाई जाती हैं। अगर आपको इनमें से कोई रोग हो गया है तो तुरंत डायग्नोसिस और उपचार जरूरी है, क्योंकि लक्षण गंभीर होकर जानलेवा हो सकते हैं।

फंगल इंफेक्शन (Fungal infection) :बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन होने के चांस भी बढ़ जाते हैं। इसलिए रोज नहाएं और शरीर को अच्छी तरह तौलिए से सुखाने के बाद ही कपड़े पहनें। हमेशा सूखे अंडर गारमेंट्स पहनें, अगर बारिश में गीले हो गए हों तो तुरंत बदल लें। इस मौसम में जूते, मोजों को भी अच्छी तरह सुखाकर पहनें, नहीं तो पैरों की अंगुलियों के बीच फंगस का संक्रमण पनप सकता है।

बचाव के उपाय

-बारिश के दौरान स्वस्थ रहने और मौसमी बीमारियों से बचने के लिए आप कुछ उपायों पर अमल कर सकते हैं।

-रोज नहाएं और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।

-जब भी जरूरी हो अपने हाथों को साबुन से धोएं, आप अपने हाथों को जितना साफ रखेंगे, उतने रोगाणुओं के कम संपर्क में आएंगे और रोगों से बचे रहेंगे।

-नाखूनों को छोटा रखें, क्योंकि इनमें फंसी गंदगी से संक्रमण फैल सकता है।

-घर के बने हुए सादे और पोषक भोजन का सेवन करें, अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन ना करें।

-सड़क किनारे की रेहड़ियों पर मिलने वाले फूड्स ना खाएं।

-मीट या चिकेन को अच्छी तरह पकाकर ही उसका सेवन करें।

-बारिश में पत्तेदार सब्जियों का अधिक सेवन ना करें, क्योंकि एक तो इनसे संक्रमण फैलने का खतरा होता है, दूसरा इनमें सेल्युलोज होता है, जिसे पचाने में परेशानी होती है।

-हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं

-शारीरिक सक्रियता बनाए रखें, नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें।

-घर के अंदर और आस-पास गंदगी ना होने दें।

-मच्छरों से बचने के लिए शरीर को अच्छी तरह ढंककर रहें, खुले अंगों पर मॉस्कीटो रिप्लेंट लोशन लगाएं। खिड़की-दरवाजे बंद करके रखें या उन पर लोहे की महीन जाली लगवाएं।

घरेलू उपाय

-अदरक की चाय का रोज सेवन करें, ये फूड प्वायजनिंग, सर्दी-जुकाम और फ्लू में आराम पहुंचाती है।

-कुनकुने पानी में नीबू का रस डालकर पीने से आपका डाइजेशन सिस्टम ठीक रहेगा और टॉक्सिक मैटर साफ हो जाएगा।

-अपने भोजन में अदरक, लहसुन, जीरा, हल्दी और धनिया पावडर की मात्रा बढ़ा दें, ये अपच की समस्या को कम करते हैं साथ ही इम्यून तंत्र को मजबूत बनाते हैं।

-नीम के पत्तों को पानी में कुछ देर भिगोकर रखें फिर उससे नहाएं; इससे फंगल इंफेक्शन और स्किन रैशेज़ में आराम मिलेगा।

नमी से बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण

इन दिनों कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। मुंबई स्थित आईआईटी में हुए एक अध्ययन के अनुसार, मानसून के नमी और उमस भरे माहौल में कोरोना वायरस के फैलने का खतरा बढ़ सकता है। इस अध्ययन में यह बात कही गई है कि मानसून में वातावरण में नमी की मात्रा अधिक होने से संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स को सूखने में ज्यादा समय लगता है, जिससे वायरस सूखकर नष्ट नहीं होता और संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप अपने आपको संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए कुछ बातों पर अमल कर सकते हैं। जैसे-अपने हाथों को साबुन-पानी से धोते रहें या सेनेटाइज़र से साफ करें, शारीरिक दूरी रखने और मास्क पहनने के नियम का पालन करें, पानी और तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करें, उबला हुआ और फिल्टर किया हुआ पानी पिएं। अपने घर और ऑफिस में वेंटिलेशन का पूरा ध्यान रखें, छींकते और खांसते समय रूमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें, बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें, हमेशा साफ और सूखा मास्क लगाएं, अगर मास्क भीग जाए तो उसे तुरंत बदल दें।

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