हेल्थ के लिए हार्मफुल है मेडिसिन का ओवरडोज

हेल्थ के लिए हार्मफुल है मेडिसिन का ओवरडोज
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हालांकि अब कुछ लोग हेल्थ को लेकर सचेत हुए हैं, फिर भी बहुत से लोग अकसर डॉक्टर से कंसल्ट किए बिना ही दवा लेते हैं या बगैर जरूरत के दवा लंबे समय तक लेते रहते हैं। ऐसा करना हेल्थ के लिए बहुत हार्मफुल हो सकता है। मेडिसिन के ओवरडोज से क्या नुकसान हो सकते हैं, इस बारे में जानिए।

बीमारी चाहे छोटी हो या बड़ी, मेडिसिन हम खाते ही हैं। लेकिन डॉक्टर को कंसल्ट किए बिना अपने आप दवाइयां लेना या फिर ओवरडोज लेना, हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके बावजूद कई लोग मल्टीविटामिन, कैल्शियम, आयरन जैसे सप्लीमेंट्स ही नहीं पेन किलर, एंटीबायोटिक मेडिसिन अपने मन से लेते हैं। इससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है।

ओवरडोज के साइडइफेक्ट्स

ओवरडोज का पता दो तरीके से चलता है। एक तो मरीज को खुद पता चल जाता है कि कोई विशेष दवाई लेने से नोजिया, वॉमिटिंग, घबराहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं। दूसरे दुष्प्रभाव में मरीज को पता नहीं चलता क्योंकि दवा का दुष्प्रभाव किडनी, लीवर जैसे शरीर के अंदरूनी अंगों पर पड़ता है जिसका असर धीरे-धीरे सामने आता है।

- बीपी की दवाइयां ज्यादा मात्रा में लेने से लो ब्लड प्रेशर, यूरिक एसिड बढ़ने, हार्ट पर प्रेशर या लिवर पर असर डाल सकती हैं। डाइयूरेटिक फ्ल्यूड की दवाई से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, शरीर में पानी की कमी हो सकती है, यूरिक एसिड बढ़ सकता है, सिरदर्द की शिकायत हो सकती है।

- डायबिटीज की मेटफॉर्मिन दवाई ज्यादा लेने से लिवर पर असर पड़ता है, पेट खराब होने का डर रहता है, वजन कम होने, शरीर में विटामिन कम होने का रिस्क रहता है।

- हार्ट के मरीज को दी जाने वाली एस्प्रिन दवाई की ओवरडोज से शरीर में खून की कमी हो सकती है।

- माइग्रेन की मेडिसिन ज्यादा लेने से इसकी आदत पड़ जाती है, लंबे समय तक लेने से किडनी फेल हो सकती है।

- नींद न आने पर स्लीपिंग पिल्स लेने से पेशेंट को स्लीप एपनिया, एंग्जाइटी, डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

- खांसी-जुकाम में लिए जाने वाले कफ सिरप में कोडीन की मात्रा अधिक होती है। ओवरडोज लेने से सुस्ती या कॉजिनेस ज्यादा आती है।

- सिरदर्द, बुखार में पैरासिटामॉल की अधिक डोज लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है, लिवर फैल्योर की स्थिति आ सकती है।

- अर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द की समुचित जांच और उपचार किए बिना मरीज पेनकिलर खाते रहते हैं, जिससे टेंपरेरी आराम जरूर मिलता है, लेकिन ओवरडोज से उनके ज्वाइंट्स खराब हो जाते हैं। कुछ लोग कैल्शियम सप्लीमेंट लेना शुरू कर देते हैं, यह भी हार्मफुल है।

- मेडिकल रिसर्च में साबित हो चुका है कि एक्सट्रा सप्लीमेंट्स लेने के फायदे कम, नुकसान ज्यादा होते हैं। कैल्शियम या मल्टी-विटामिन, विटामिन-डी जैसे सप्लीमेंट्स हार्ट, किडनी जैसे अंगो को नुकसान पहुंचाते हैं। कैल्शियम सप्लीमेंट ज्यादा मात्रा में लेने से हाइपर कैल्सीमिया, किडनी स्टोन, हार्ट आर्टरीज में ब्लॉकेज, हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा रहता है।

- लगभग 90 प्रतिशत भारतीयों में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है इस वजह से कुछ लोग इसकी ओवरडोज इतनी ज्यादा ले लेते हैं कि वे किडनी फैल्योर के शिकार हो जाते है।

- विटामिन ए की ओवरडोज लेने से मेंटल डिस्टरबेंस होती है, स्किन प्रॉब्लम भी हो सकती है। अत्यधिक सेवन से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है, हड्डियां कमजोर होने और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान

जो भी मेडिसिन लें, प्रशिक्षित डॉक्टर के सुपरविजन में ही लेनी चाहिए। बीमारी के हिसाब से मेडिसिन की डोज एक टाइम-पीरियड के लिए दी जाती है, वही फायदा करती है। डॉक्टर से चेकअप कराए बगैर लंबे समय तक कोई दवा जारी नहीं रखनी चाहिए। अगर ज्यादा लंबे टाइम तक किसी दवा को लेने की जरूरत पड़ रही है या आपको आराम नहीं मिल पाया है तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर को दुबारा कंसल्ट करें। आपकी स्थिति के हिसाब से मेडिसिन बदली जा सकती है या डोज घटाई-बढ़ाई जा सकती है।

कुछ लोग कैल्शियम या मल्टीविटामिन सप्लीमेंट इसलिए लेते हैं कि उनका मानना होता है कि इन्हें लेने से उनके शरीर में ताकत आ रही है। जबकि मेडिकल साइंस के लिहाज से ये गैर-जरूरी सप्लीमेंट सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। डॉक्टर से कंफर्म कर लेना चाहिए कि शरीर में इन न्यूट्रीएंट्स की वाकई कमी है। बहुत जरूरी हो तभी डॉकटर से पूछकर ही सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। हालांकि डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, थाइरॉयड, माइग्रेन जैसी गंभीर बीमारियों की दवाइयां लंबे पीरियड तक चलती हैं। लेकिन इन दवाइयों का कोई फिक्स पैटर्न नहीं होता। मरीज को 3-4 महीने में रेग्युलर चेकअप कराना जरूरी है। मरीज की स्थिति को मॉनिटर कर दवाइयों की डोज कम-ज्यादा करनी, बदलनी या बंद भी करनी पड़ सकती हैं। लंबे समय तक एक फिक्स डोज लेने से शरीर पर दुष्प्रभाव भी पड़ सकता है, कई मामलों में दूसरी बीमारियां भी हो सकती हैं। इसी तरह खांसी-जुकाम या बुखार अगर 3-4 दिन तक ठीक न हो रहा हो तो डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए। अपने मन से दवा नहीं लेनी चाहिए। वर्तमान कोरोना काल में तो विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है।

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