कोरोना वायरस से रिकवर हुए मरीजों को प्रॉपर केयर की है जरूरत

सारी दुनिया के लिए कोविड-19 नया वायरस है। इसके बारे में लगातार रिसर्च हो रहे हैं। लेकिन अभी तक इसके उपचार के लिए कोई मेडिसिन या वैक्सीन नहीं बनी है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह वायरस समय के साथ अपना रूप भी बदल रहा है।
इस वजह से कोरोना संक्रमण को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है कि यह संक्रमण दोबारा भी हो सकता है या नहीं। अभी जिन मरीजों में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनी हैं या इम्यूनिटी मजबूत हो गई है, वो कब तक बनी रहेगी और उनका बचाव करेगी, इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
इसलिए कोरोना संक्रमण से बचने के लिए फिलहाल रिकवर हुए मरीजों के लिए भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही मास्क पहनने, ग्लव्स पहनने, बार-बार हाथ धोने और बाहर जाने पर हाथ सेनेटाइज करने जैसी एहतियात बरतनी बहुत जरूरी है।
सामान्य लोगों के साथ ही कोरोना से रिकवर हो चुके पेशेंट्स को भी फिजिशियन-कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. के. के. अग्रवाल जो सीएमएएओ और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं, कुछ जरूरी सलाह देते हैं।
बचाव के लिए बरतें सावधानी
- सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करें। बाहर जाएं तो दूसरों से कम से कम 3 मीटर की दूरी बनाकर रखें।
- सोते समय पीठ के बजाय पेट के बल लेटना सीखें।
- कुछ समय रोजाना घर की छत, बालकनी या आंगन में लंबी-लंबी सांस लेने की प्रैक्टिस करें।
- मीठे के बजाय कड़वे और कसैले पदार्थों का सेवन ज्यादा करें।
-गुनगुना पानी पिएं या गर्म तासीर वाली चीजें ज्यादा खाएं, इससे कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम हो जाता है। अधिक तापमान पर वायरस पनपने की संभावना भी कम रहती है।
-एसी का उपयोग करने से बचें।
-हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। बार-बार अपने हाथ साबुन से धोते रहें।
- मेंटल टेंशन से बचें। खुश रहने का प्रयास करें। रोजाना कुछ समय जरूर हंसे, इससे इम्यूनिटी बढ़ती है।
- अगर ऑफिस जा रहे हैं तो वहां सेनेटाइजिंग और क्लीनिंग जरूर करवाएं। कुलीग्स से दूरी बनाकर रखें।
- डेली कुछ समय एक्सरसाइज या योगाभ्यास जरूर करें, इससे इम्यूनिटी बढ़ेगी और इंफेक्शन की संभावना कम हो जाएगी।
समझें संक्रमण की गंभीरता
सर गंगा राम अस्पताल, नई दिल्ली के सीनियर फिजिशियन डॉ. मोहसिन वली बताते हैं-कोरोना संक्रमण की एसिम्टोमेटिक स्टेज 0-14 दिन तक होती है। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने में सक्षम होता है, उनका स्वास्थ्य एक सप्ताह के भीतर सुधरने लगता है। उनमें सार्स-कोरोना वायरस-2 अपर रेस्पिरेट्री ट्रैक या सांस लेने की नली से नीचे नहीं जा पाता और फेफड़ों को संक्रमित नहीं कर पाता है। हालांकि चीन, अमेरिका जैसे देशों में रिकवर हो चुके कई मरीजों के फेफड़ों में सूजन और म्यूकस पाया गया, जिससे उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी।
वायरस के प्रभाव से कुछ मरीजों के लिवर सेल्स भी डैमेज हुए। अमेरिका में हार्ट अटैक के कुछ मामलों के पीछे भी कोरोना वायरस को जिम्मेदार माना गया। संक्रमण की वजह से पेंक्रियाज ग्लैंड अधिक सक्रिय होने के कारण डायबिटीज मरीजों का शुगर लेवल भी बढ़ा पाया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि जो लोग पहले से डायबिटीज, लिवर, किडनी संबंधी गंभीर बीमारियों के शिकार थे, वे कोरोना वायरस से ज्यादा संक्रमित हुए हैं और उन पर रिकवरी के बाद भी घातक प्रभाव देखे जा रहे हैं। कई मामलों में रिकवर होने के बाद फिर से तबियत बिगड़ने की वजह-मरीजों को ट्रीटमेंट पूरा होने से पहले ही डिस्चार्ज कर देना या कम समय के लिए क्वारंटाइन करना भी माना जा रहा है।
ऐसे में कोविड-19 की चपेट में आए जो मरीज ठीक हो गए हैं, उनके लिए डॉक्टर को फॉलो करना और समुचित एहतियात बरतना जरूरी है। रिकवर होने के बाद भी मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कम से कम 15 दिन तक करना चाहिए। उनके लिए 15 दिन के क्वारंटाइन में रहना भी जरूरी है। बड़ी उम्र के लोगों को एहतियातन कम से कम 6 सप्ताह तक घर में सेल्फ आइसोलेशन में रहना चाहिए।
इस दौरान घर में ही रहें, अपनी हर चीज अलग रखें, बाथरूम किसी के साथ शेयर न करें। खुश रहें, लॉकडाउन के कारण डिप्रेशन में जाने से बचें। इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए घर का पौष्टिक संतुलित खाना खाएं, जिसमें विटामिन सी, डी और प्रोटीन भरपूर हो। कमजोरी महसूस हो रही हो तो डाइट में फलों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। अच्छी डाइट और एक्सरसाइज के जरिए अपनी शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रखें। डेली कुछ समय ब्रीदिंग एक्सरसाइज और प्राणायाम करें।
फिजियोथेरेपी है कारगर
कई बार कोविड-19 के गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ती है। इससे उनके फेफड़े कमजोर हो जाते हैं, मूवमेंट में भी कमी आती है। इससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने के साथ कई अन्य समस्याएं होने का खतरा बन जाता है, जैसे-मांस-पेशियों में सिकुड़न और अकड़न आना, जोड़ों में अकड़न और तेज दर्द।
इससे राहत देने के बारे में एम्स, नई दिल्ली के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. प्रभात रंजन बताते हैं-मांस-पेशियों में सिकुड़न होने से सांस लेने वाली मांस-पेशियों में कमजोरी आ जाती है। उसके फेफड़े पूरी तरह काम नहीं करते, इससे पेशेंट बहुत जल्दी थकावट महसूस करने लगता है।
इस स्थिति को पोस्ट-इंटेंसिव केयर सिंड्रोम कहा जाता है, जिससे उबरने में काफी समय लग सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए रिकवर होने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर, मरीजों को कुछ एक्सरसाइज भी कराते हैं ताकि उनके श्वसन तंत्र को मजबूती मिले और उनके स्वास्थ्य में जल्द सुधार हो। सबसे पहले स्पायरोमेट्री के माध्यम से मरीज के फेफड़ों की क्षमता बढ़ाई जाती है।
वर्ल्ड कंफेडरेशन ऑफ फिजिकल थेरेपी के अनुसार सांस लेने में दिक्कत होने पर मरीज को चेस्ट फिजियोथेरेपी कराई जाती है। ब्रीदिंग साइकिल, सांस रोकना, धीरे-धीरे सांस लेना, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराई जाती है। इसके साथ ही मरीज को कफ बाहर निकालने के लिए पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग जैसी थेरेपी भी दी जाती है। इससे फेफड़ों में जमा म्यूकस बाहर निकलने में मदद मिलती है और मरीज को सांस लेने में कठिनाई कम होती है।
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