रेग्युलर करें योगाभ्यास पीसीओडी से मिलेगी राहत

हाल के सालों में महिलाओं में पीसीओडी की समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड रिसर्च के अनुसार हमारे देश में करीब 10 प्रतिशत महिलाएं पीसीओडी की समस्या से जूझ रही हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल से बढ़ते स्ट्रेस, देर रात तक जागना, स्मोकिंग और ड्रिंकिंग जैसी हैबिट्स, पीसीओडी के मुख्य कारण हैं। इससे महिलाओं के शरीर में हार्मोंस का लेवल गड़बड़ा जाता है। ऐसा होने पर ट्रीटमेंट करना जरूरी है। साथ ही महिलाओं को कुछ योगासन को अपने डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए। इससे पीसीओडी में आराम मिलेगा और दूसरी कई समस्याएं भी दूर होंगी।
तितली आसन
विधि : इसके लिए सबसे पहले मैट बिछा लें। अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ सीधा करके बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधी रखें। पैरों को मोड़कर दोनों तलवों को आपस में जोड़ लें। हाथों की अंगुलियों को पैरों के पंजों के ऊपर लाकर आपस में मिला दें। अपनी एड़ियों को शरीर से सटा कर रखें। सांस लेते हुए दोनों पैरों को एक साथ ऊपर और नीचे करें। ऐसा 15-20 बार करें।
लाभ : यह आसन पीसीओडी से आराम दिलाने में कारगर है। साथ ही इस आसन को करने से पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट, कमर दर्द में भी राहत मिलती है। यह पीरियड्स में होने वाली समस्याओं को दूर करता है। रोजाना इस आसन को करने से महिलाओं को डिलीवरी के दौरान दर्द कम होता है। यह तनाव को कम करता है। इसे करने से जांघों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। मेनोपॉज में पहुंच चुकी महिलाओं के लिए भी तितली आसन काफी लाभकारी होता है।
सावधानियां : घुटनों में चोट लगने, दर्द होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए। अगर आपको साइटिका है तो भी तितली आसन न करें। इसे करते समय पैरों को ज्यादा जोर से न हिलाएं। जितना हो सके, उतना ही करें। अभ्यास करने से आपके पैर धीरे-धीरे मुड़ने लगेंगे।
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चक्की आसन
विधि : सबसे पहले योगा मैट बिछा लें। अपने दोनों पैरों को पूरी तरह फैलाकर बैठ जाएं। दोनों हथेलियों को आपस में पकड़ लें। अब बाजुओं को कंधों की सीध में अपने सामने की तरफ रखें। गहरी सांस लेते हुए अपनी बॉडी के ऊपरी हिस्से को आगे लाएं और दाईं तरफ जाएं। सांस छोड़ते हुए बाईं तरफ आएं। इसे 10-20 बार करें। इसे करते समय निचले हिस्से में स्ट्रेस महसूस करें। पैरों को स्थिर रखें। सिर्फ अपनी बाजू, पीठ घुमाएं।
लाभ : इसे करने से आपको एनर्जी मिलेगी। यह रीढ़ की हड्डी फ्लैक्सिबल बनाता है। इसे रोजाना करने से नींद अच्छी आती है। यह साइटिका की समस्या में फायदेमंद है। बैली फैट कम करने में मदद करता है। पीठ, पेट और बाजुओं की मसल्स के लिए भी यह अच्छी एक्सरसाइज है। चेस्ट, पेल्विक एरिया को स्ट्रेच करता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
सावधानियां : प्रेग्नेंसी के दौरान इस आसन को करने से बचें। लो ब्लड प्रेशर, सिरदर्द और माइग्रेन होने पर भी इसे नहीं करना चाहिए। पीठ के निचले हिस्से में दर्द, हर्निया की सर्जरी हुई है तो भी इसे न करें। इस आसन को खाली पेट ही करें।
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उष्ट्रासन
विधि : सबसे पहले योगा मैट बिछाकर उस पर घुटनों के बल बैठ जाएं। घुटनों, पैरों के बीच करीब एक फुट की दूरी रखें। घुटनों पर खड़ी हो जाएं। सांस लेते हुए पीछे की तरफ झुकें। अब दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर, बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखें। जांघों से फर्श पर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए सिर पीछे की तरफ झुका दें। अब धीरे-धीरे सांस लें, धीरे-धीरे सांस छोड़ें। लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं। इस आसन को आप 5-7 बार करें।
लाभ : इसे करने से बैली फैट कम होता है। डायबिटिक पेशेंट्स के लिए यह काफी फायदेमंद है। यह पैंक्रियाज के लिए भी काफी अच्छा आसन है। इसे रोजाना करने से फेफड़ों से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। पाचन संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं। यह आसन पीरियड्स के दर्द को दूर करने में मदद करता है।
सावधानियां : उच्च रक्तचाप, हृदय रोग होने पर इसे न करें। हर्निया से ग्रस्त महिलाओं को भी इसे करने से बचना चाहिए। अगर आपको कमर दर्द है तो भी इसे न करें।
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