एथेरोस्क्लेरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए लाइफस्टाइल में करें बदलाव, जानें इसके लक्षण और कारण

हाल के वर्षों में कोरोनरी हार्ट डिजीजेज, स्ट्रोक जैसे एथेरोस्क्लोरोटिक रोग लोगों में बढ़े हैं। पुरुष और महिला दोनों इस स्थिति के लिए सेंसिटिव हैं।आर्टरीज के संकरे होने या उनमें ब्लॉकेज बढ़ने से किसी को भी एथेरोस्क्लेरोसिस संबंधी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप लाइफस्टाइल संबंधी कुछ हैबिट्स पर ध्यान दें तो ऐसी कंडीशन से बचाव किया जा सकता है। इसी बीच आज हम आपको इससे जुड़ी तमाम जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं इस बारे में।
जानें क्या है रोग का कारण
एथेरोस्क्लेरोसिस, आर्टरीज के सख्त होने का कारण बनता है और यह एक सामान्य डिसऑर्डर है। इस स्थिति में आर्टरीज में फैट, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थ जमा हो जाते हैं। इससे कठोर संरचनाए बनती हैं, जिन्हें प्लैक्स कहते हैं। समय के साथ, प्लैक्स आर्टरीज को ब्लॉक कर सकता हैं और कोरोनरी आर्टरीज डिजीज या सीएडी जैसी परेशानियां पैदा कर सकता है।
प्रमुख लक्षण
एथेरोस्क्लेरोसिस एक साइलेंट कंडीशन है, इसके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते, जब तक आर्टरीज गंभीर रूप से सिकुड़ या ब्लॉक नहीं हो जाती हैं। यदि ट्रीटमेंट ना किया जाए तो यह दिल के दौरे या स्ट्रोक जैसी सीरियस कंडीशन का कारण बन सकता है। कुछ लोगों में एंजाइना या सीने में दर्द/बेचैनी के रूप में इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसा तब होता है, जब दिल की मांस-पेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त खून नहीं मिलता है। लेकिन बहुत से लोग इस दर्द को बदहजमी समझ लेते हैं।
रिस्क फैक्टर्स
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी और एथेरोस्क्लेरोसिस का पारिवारिक इतिहास इसके रिस्क फैक्टर्स हैं। इनमें से ज्यादातर फैक्टर्स को कम उम्र में मैनेज किया जा सकता है। अनावश्यक तनाव से बचना और नियमित जांच करवाना भी जरूरी है।
जानें क्या है इलाज
हालांकि आर्टरीज के सख्त होने के बाद इसे रिवर्स करना संभव नहीं है। लेकिन स्थिति को और खराब होने से बचाने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर का इलाज करना चाहिए। जिन लोगों को एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण परेशानियां बढ़ती हैं, उन्हें सर्जरी की जरूरत हो सकती है। एंजियोप्लास्टी एक ऐसा उपचार है, जो रक्त प्रवाह को बहाल करने और सुधारने में मदद कर सकता है। एंजियोप्लास्टी में एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) को आर्टरीज के सिकुड़े हुए हिस्से में डाला जाता है। एक पतले तार की जाली (स्टेंट) को डिफ्लेटेड बैलून पर लगाया जाता है और फिर कैथेटर के माध्यम से सिकुड़े हिस्से में भेजा जाता है। बैलून में हवा भरा जाता है, आर्टरीज की वहिनियो के खिलाफ जमाव को दबाया और आर्टरीज में एंबेडेड विस्तारित स्टेंट को छोड़ा जाता है। ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट प्रक्रिया के बाद तनावग्रस्त आर्टरीज को ठीक करने के लिए दवा छोड़ते हैं।
यह है बचाव के उपाय
-पूरे दिन में 5 ग्राम से कम सोडियम क्लोराइड (नमक) के साथ लो सोडियम डाइट का सेवन करें।
-हाइड्रोजेनेटेड तेलों या वनस्पति घी में पाए जाने वाले ट्रांसफैट का सेवन कम से कम करें। क्योंकि ये अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और खराब (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। जितना हो सके बाहर के खाने से बचें क्योंकि ऐसे खाने में ट्रांस फैट की मात्रा ज्यादा होती है।
-व्हाइट ब्रेड, पास्ता, सफेद चीनी जैसे रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से दूर रहें। इनके बजाय साबुत अनाज के आटे, हरे अनाज और दलिया का सेवन करें।
-दिन में कम से कम लगभग 30 मिनट डेली एक्सरसाइज करें, इससे दिल को कई फायदे होते हैं।
-धूम्रपान छोड़ दें और शराब का सेवन बंद कर दें।
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