गेहूं खाने से होती है एलर्जी तो अपनाएं ये ऑप्शनल डाइट

गेहूं खाने से होती है एलर्जी तो अपनाएं ये ऑप्शनल डाइट
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कुछ लोगों को गेहूं से एलर्जी होती है। गेहूं खाने पर उन्हें कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे लोग गेहूं के स्थान पर कई और फूड आइटम्स को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।

हालांकि गेहूं पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला अनाज है, जिसका इस्तेमाल पिछले 10 हजार सालों से किया जा रहा है। इसका कई तरह की चीजें बनाने में इस्तेमाल होता है। लेकिन कुछ लोगों को गेहूं में पाए जाने वाले ग्लूटेन से एलर्जी होती है।

एलर्जी का प्रभाव

ग्लूटेन से जिन लोगों को एलर्जी होती है, उन्हें पेट संबंधी कई प्रकार के इंफेक्शन, अस्थमा, एग्जीमा, मुंहासे, जोड़ों में दर्द, थकान और माइग्रेन हो सकता है। इसे न पचा पाने की वजह से इससे एलर्जी होने लगती है। हालांकि एलर्जी के लक्षण कई दिन में दिखाई देते हैं। इनमें हाजमा खराब रहना, पेट में मरोड़ उठना, थकान लगाना, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। जो लोग गेहूं में पाई जाने वाली इस प्रोटीन को पचा नहीं पाते उनके लिए ओट्स का सेवन फायदेमंद है। ग्लूटेन फ्री फूड्स के कुछ और विकल्प हो सकते हैं-

चावल: सफेद चावल या बिना पॉलिश किया ब्राउन राइस, दोंनो ही पचाने में आसान होते हैं। आयुर्वेद में तो चावल की बनी खिचड़ी को पेट संबंधी कई बीमारियों के इलाज में सहायक माना गया है।

कुट्टू का आटा: हालांकि कुट्टू के आटे का इस्तेमाल व्रत के दौरान किया जाता है। लेकिन यह हमारी पाचनक्रिया के लिए अच्छा होता है। कुट्टू के आटे की तली पूरी खाने की बजाय इसका डोसा या रोटी बनाकर खाई जाए तो यह गेहूं का एक अच्छा विकल्प है।

कीनूवा: कीनूवा दिखने में चावल की तरह होता है, लेकिन यह उससे ज्यादा स्वादिष्ट होता है। प्रोटीन से भरपूर कीनूवा में अमीनो एसिड और लाइसिन होता है। इसके अलावा यह आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ई, पोटेशियम और फाइबर का भी अच्छा स्रोत है। कीनूवा में कार्बोहाइड्रेट कम होता है। यह सुपाच्य होता है।

बाजरा: यह आसानी से उपलब्ध होने वाला अनाज है। बाजरे की मूंगदाल खिचड़ी में घी मिलाकर खाया जाता है। हालांकि यह मोटा अनाज है लेकिन पेट संबंधी बीमारियों में यह काफी फायदेमंद होता है।

रागी: फाइबर युक्त रागी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाती है, यह शरीर को ठंडक प्रदान देती है और जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, वे इसका सेवन करते हैं। हल्की मिठास लिए हुए कैल्शियम से भरपूर रागी हमारे देश के दक्षिण भारतीय राज्यों में खास तौरपर खाई जाती है।

आलू: आलू को सब्जी के अलावा उबालकर प्याज और टमाटर के साथ, हरी धनिए, पोदीने की चटनी के साथ खाया जा सकता है।

दालें: मूंग, उड़द, चना, अरहर, हरे मटर इन सारी दालों को गेहूं के स्थान पर खाया जा सकता है। प्रोटीन से भरपूर यह दालें ग्लूटेन फ्री होती हैं। हालांकि उड़द और चने की दाल को पाचन की दृष्टि से अच्छा नहीं माना जाता। यह पेट में गैस पैदा करती हैं। लेकिन मूंग की दाल को सुपाच्य और पोषक माना जाता है।

मक्का: मक्का में कार्बोहाड्रेट होता है। विटामिन सी, मैग्नीशियम, विटामिन बी से भरपूर मक्का में वसा की मात्रा बहुत कम होती है। मक्का को भूनकर सलाद में या चाट में कई तरह से इस्तेमाल में लाया जाता है।

सवां के चावल: संवा के चावल को भी दूसरे चावल की भांति पकाकर अन्य सब्जियों और करी के साथ खाया जाता है। ये सुपाच्य होते हैं।

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