Winter Health Tips: कमजोर इम्यूनिटी वाली महिलाएं सर्दियों में ऐसे रखें अपना ध्यान, वरना बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा

Winter Health Tips: वैसे विंटर सीजन (Winter Season) को हेल्थ (Health) के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन इस दौरान भी कुछ हेल्थ प्रॉब्लम्स (Health Problem) से लोग परेशान रहते हैं। ऐसा एन्वॉयर्नमेंट में मौजूद वायरस, फंगस और बैक्टीरिया के एक्टिव होने की वजह से होता है। इनके कारण इंफेक्शन या एलर्जी जैसी समस्याओं का रिस्क बढ़ जाता है। वैसे तो सर्दियों के सीजन में सबको इस तरह की समस्या होती है, लेकिन कमजोर इम्यूनिटी वाली महिलाएं इनकी चपेट में आसानी से आ जाती हैं। इनसे बचा जा सकता है। नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल की सीनियर फिजिशियन डॉ. मोहसिन वली की ओर से कुछ बीमारियों और उनसे बचने के लिए टिप्स दिए हैं, जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं।
विंटर ब्लूज (Winter Blues)
सर्दियों में सनलाइट की कमी और हार्मोनल असंतुलन की वजह से विंटर ब्लूज की समस्या कुछ लोगों में देखी जाती है। सनलाइट एक्सपोजर की कमी से ब्रेन में सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर स्टिमुलेट नहीं हो पाता है। इस कारण उनमें निराशा, डिप्रेशन फील होती है। उनमें मूड स्विंग होना, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव होना, रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने के बजाय अकेले रहना पसंद करना जैसे बिहेवियर देखने को मिलते हैं। वहीं मेलाटोनिन हार्मोन के ज्यादा मात्रा में रिलीज होने से नींद ज्यादा आना, शारीरिक सक्रियता कम होना, सुस्त हो जाना, काम में मन ना लगना, कंसंट्रेशन की कमी हो जाती है। ऐसे में महिलाओं का सप्ताह में कम से कम 5 दिन 30-40 मिनट के लिए सनलाइट एक्सपोजर जरूरी है, जो शरीर में एंटी-डिप्रेसेंट दवाई का काम करता है और सैड डिसऑर्डर से बचाता है। मूड ठीक रखने के लिए उन्हें परिवार-दोस्तों से कम्युनिकेशन बनाए रखना, एक्टिव लाइफस्टाइल फॉलो और पसंदीदा काम करने चाहिए।
रेनॉड्स डिजीज (Raynauds disease)
टेंप्रेचर में गिरावट, ड्राई आईसी विंड के कारण ब्लड वेसल्स सिकुड़ने से ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो जाता है। कई महिलाओं के हाथ-पैर की अंगुलियां ठंड के मारे सफेद, नीली या लाल रंग की हो जाती हैं। इनमें दर्द होने लगता है और यहां तक कि अंगुलियों के पोर्स पर नाखूनों के नीचे की स्किन पर घाव हो जाते हैं और उनमें से ब्लड भी आने लगता है। इससे बचने के लिए महिलाओं को ग्लव्स पहनकर काम करना चाहिए। रेग्युलर ऑलिव, कोकोनट या सीसम ऑयल से मसाज करें या फिर मॉयश्चराइजर से मालिश कर ग्लव्स या सॉक्स पहनने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहेगा और हाथों में गर्माहट बनी रहेगी।
स्किन एलर्जी (Skin Allergy )
इस सीजन में एन्वॉयर्नमेंट में चेंजेज होते हैं, जिससे एलर्जी की समस्या हो सकती है। इस दौरान ड्राई आइज, ड्राई स्किन, इचिंग की प्रॉब्लम हो सकती है। ठंडी हवाएं स्किन में मौजूद पानी सोख लेती हैं और ड्राईनेस बढ़ाती हैं, जो ध्यान ना देने पर एग्जिमा का रूप ले सकती है। इसमें स्किन ड्राइनेस, स्किन में दरारे पड़ना और खुजली होने लगती है। कभी-कभी खून भी निकलने लगता है। इनसे बचने के लिए नहाने से पहले रेग्युलर सरसो, नारियल या ऑलिव ऑयल से मसाज करनी चाहिए और बाद में विटामिन-ई युक्त क्रीम या मॉयश्चराइजर लगाना चाहिए।
अस्थमा (Asthma)
इस मौसम में वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जिक एलिमेंट अस्थमा मरीजों की तकलीफ बढ़ा देते हैं। एलर्जी के कारण नाक बंद होना या छींकें ज्यादा आने की समस्या भी हो जाती है। खासकर कोहरे से विंड पाइप सिकुड़ जाती है। सांस लेने में दिक्कत होती है। जोर-जोर से सांस लेने पर लोग हांफने लगते हैं। चेस्ट में जकड़न, बहुत ज्यादा खांसी होना, बलगम आना जैसी समस्याएं भी होती हैं। ऐसे में नियमित रूप से नेबुलाइजर और मेडिसिन जरूर लेनी चाहिए वरना अटैक आने का डर बना रहता है। कमरे में ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें। प्राणायाम जैसे योगासन करें। धूप में कम से कम आधा घंटा बैठें। धूल-मिट्टी से बचने के लिए घर-बाहर मास्क जरूर पहनें। खटाई, दही जैसी चीजों से परहेज करें।
सिबोरिक एलर्जी (Seborrheic Allergy)
सिर में फंगल इंफेक्शन होने और ड्राईनेस बढ़ने से ग्लेफेराइटिस एलर्जी होती है। डैंड्रफ या पपड़ी-सी जम जाती है और खुजली होती है। ध्यान ना देने पर शरीर के अन्य अंगों के बालों के आस-पास भी दाने निकल आते हैं, जिसे सिबोरिक डर्मेटाइटिस कहते हैं। इससे बचने के लिए रेग्युलर नहाना और एंटी फंगल शैंपू से बाल धोना चाहिए। स्किन को मॉयश्चराइज रखना और एलर्जी के लिए मेडिकेटेड लोशन लगाना चाहिए।
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