वर्क फ्रॉम होम से डिस्टर्ब हो रहा स्लीपिंग पैटर्न

कोरोना महामारी के संक्रमण से बचने के लिए देश-दुनिया में वर्क फ्रॉम होम का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। कुछ लोगों के लिए घर से काम करना भले बढ़िया-सुविधाजनक विकल्प है लेकिन इसने नींद चक्र यानी स्लीपिंग पैटर्न पर काफी बुरा प्रभाव डाला है।
जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित एक नवीन अध्ययन के अनुसार महामारी के कारण हमारी जीवनशैली में बड़े पैमाने पर बदलाव ने हमारी नींद की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। शोधदल ने अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों की नींद की क्षमता, सोने के समय में कमी, नींद की गुणवत्ता और दिन की नींद में प्रतिकूल बदलाव देखा। स्टडी 18 से 65 वर्ष की आयु के बीच 121 पुरुषों और महिलाओं पर की गई थी, जिसमें उनकी नींद की आदतों की निगरानी एक बार पहले और फिर 40 दिन के क्वारंटाइन के बाद से की गई। अध्ययन के निष्कर्ष में प्रतिभागियों की नींद की खराब हुई गुणवत्ता सामने आई।
वैज्ञानिकों के अनुसार घर से काम करते समय स्क्रीन समय में बढ़ोत्तरी, नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती है और खराब नींद का कारण बनती है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार खराब नींद लेने से हाई ब्लड प्रेशर से लेकर आंत के माइक्रोबायोम में परिवर्तन हो सकता है। यह दूसरी रिसर्च फिजियोलॉजिकल जीनोमिक्स में इसी साल जुलाई में प्रकाशित हुई है। इसलिए जरूरी हो जाता है वर्क फ्रॉम होम के बीच भी हम अपनी स्लीप साइकल को यथासंभव रेग्युलर रखें।
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