World Cancer Day: मेंटली होंगे स्ट्रॉन्ग तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जल्द हो सकेंगे ठीक, जानिए कैसे

World Cancer Day: मेंटली होंगे स्ट्रॉन्ग तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जल्द हो सकेंगे ठीक, जानिए कैसे
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कैंसर का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। यह बीमारी मरीज और उसके प्रियजनों के लिए एक भावनात्मक आघात के समान होती है। इस बीमारी में मेंटल सिकनेस के कई कारण हो सकते हैं।

बेशक कैंसर का सामना करना और उसके ट्रीटमेंट के तमाम इफेक्ट्स को फेस करना आसान नहीं होता है, लेकिन आप मेंटली स्ट्रॉन्ग (Mentally Strong) नहीं होंगी तो इसका ट्रीटमेंट प्रॉपरली इफेक्टिव नहीं होगा और आपको रिकवर होने में ज्यादा टाइम भी लग सकता है। हालांकि कैंसर (Cancer) का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। यह बीमारी मरीज और उसके प्रियजनों के लिए एक भावनात्मक आघात के समान होती है। इस बीमारी में मेंटल सिकनेस के कई कारण हो सकते हैं। इस बारे में आपको पता होना चाहिए।

मेंटल सिकनेस के कारण

कुछ लोग जो हाई रिस्क कैटेगरी में नहीं आते, वो ये सोच-सोचकर ही मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं कि वे इतने फिट और स्वस्थ हैं, उन्हें कोई गलत आदतें भी नहीं हैं तो कैसे वह इस घातक बीमारी का शिकार हो सकते हैं। जो लोग सिगरेट और शराब पीते हैं या जिनकी खान-पान की गलत आदतें होती हैं, वो आत्मग्लानि से भर जाते हैं कि आज उनकी गलत आदतों की वजह से वह और उनका परिवार इस बीमारी का सामना कर रहा है। कई बार कैंसर के उपचार (Cancer Treatment) के लिए लोग आर्थिक संकट का सामना करते हैं, इससे भी उनका मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। कीमोथेरेपी के केमिकल्स भी कई लोगों में क्लिनिकल डिप्रेशन बढ़ाते हैं। ऐसी स्थिति में अकसर कैंसर रोगी मानसिक रूप से थक जाते हैं। इससे लड़ने और परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। सामान्य दिनचर्या भी गड़बड़ा जाती है, डिप्रेशन, एंग्जाइटी आदि के शिकार हो जाते हैं।

बनाए रखें भरोसा

यह सही है कि अधिकतर कैंसर (Cancer) के रोगियों का उपचार टफ और लंबा होता है। लेकिन आपको यह समझना होगा कि कैंसर लाइलाज नहीं है। उपचार के बाद सामान्य और स्वस्थ जीवन जीना संभव है। अधिकतर कैंसर रोगी उपचार के दौरान ना केवल फुलटाइम काम कर सकते हैं बल्कि अपनी सामान्य दिनचर्या भी जारी रख सकते हैं। केवल कुछ कैंसर रोगियों को ही अस्पताल में रुकने की जरूरत होती है। इसलिए खुद पर भरोसा रखें और पूरे विश्वास से ट्रीटमेंट करवाएं।

एक्सपर्ट की लें हेल्प

अगर आपको लगता है कि आप खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं तो आप किसी प्रोफेशनल डॉक्टर जैसे, साइको ऑन्कोलाजिस्ट या क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से कंसल्ट कर सकते हैं। वह आपको भावनात्मक ट्रॉमा से बाहर निकलने और बदली हुई परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाने में सहायता करेंगे। कुछ चीजें हैं, जिनका ध्यान रखकर आप कैंसर के डायग्नोसिस और उपचार के दौरान खुद को मजबूत और मानसिक रूप से फिट रख सकते हैं।

आपको यह समझना होगा कि कैंसर खुशियों या जीवन का अंत नहीं है, आप शारीरिक और मानसिक रूप से जितने मजबूत रहेंगे, उपचार के परिणाम उतने बेहतर मिलेंगे। यहां पेशेंट के फैमिली मेंबर्स और उसके फ्रेंड्स, रिलेटिव्स की भी बड़ी भूमिका होती है। वे कभी भी पेशेंट को अकेला फील ना होने दें और उसका हौसला बढ़ाते रहें तो पेशेंट आसानी से रिकवर हो सकता है।

इन बातों पर करें अमल

-अपने परिवार के लोगों के साथ समय बिताएं।

-अपना कोई शौक पूरा करें।

-अतीत में अपनी किसी गलत आदत जैसे सिगरेट पीना आदि को लेकर गिल्टी फील ना करें, वर्तमान परिस्थितियों को बेहतर तरीके से संभालने का प्रयास करें।

-खुद को लाचार और मजबूर ना समझें।

-खुद को आइसोलेट ना करें, मन ना करे तब भी लोगों की कंपनी एंज्वॉय करें।

-अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से अपनी भावनाएं साझा करें।

-अपने डॉक्टर की सलाह से जिम या घर पर ही वर्कआउट करना जारी रखें।

-अपने खान-पान का ध्यान रखें।

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