World Health Day: नेचर और हेल्थ में कितना है संबंध? विस्तार से समझने के लिए जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

World Health Day 2022: आज चिकित्सा विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है, प्रिवेंटिव स्क्रीनिंग से लेकर उपचार की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन इतना सब होने के बावजूद मानसिक और शारीरिक रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया (Family Physician Of India) के प्रेसिडेंट डॉ. रमन कुमार (Dr. Raman Kumar) का मानना है कि इसका सबसे प्रमुख कारण हमारी जीवनशैली (Lifestyle) में मानव निर्मित चीजों का बढ़ता इस्तेमाल, प्रकृति से दूरी और बढ़ता प्रदूषण है। लोग सारा दिन कृत्रिम रोशनी में समय बिताते हैं, प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, अपौष्टिक भोजन करते हैं और मशीनों-गैजेट्स के बढ़ते इस्तेमाल के कारण निष्क्रिय जीवनशैली जीते हैं। कोरोना महामारी ने यह साबित कर दिया है कि स्वस्थ जीवन के लिए हमें प्रकृति के साथ अपना तारतम्य पुनः स्थापित करना होगा।
प्रदूषण का दुष्प्रभाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के अनुसार आज विश्व की 92 प्रतिशत जनसंख्या उन क्षेत्रों में रह रही है, जहां वायु प्रदूषण, डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सुरक्षा सीमाओं से अधिक है। इससे ना केवल धरती और प्रकृति की सेहत बिगड़ती है, इसका प्रभाव हमारे शरीर के प्रत्येक अंग की कार्यप्रणाली पर भी पड़ता है। इससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है, साथ ही समयपूर्व बूढ़ा होने की प्रक्रिया भी तेज होती है।
बचाव के उपाय
इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए अधिक प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें, जाना जरूरी हो तो मास्क का इस्तेमाल करें। घर की हवा को साफ रखने और इनडोर पॉल्यूटेंट से बचने के लिए एयर प्युरिफायर लगवाएं। घर की हवा को शुद्ध करने वाले इनडोर प्लांट्स भी लगाएं। जहरीला धुआं फैलाने वाले संसाधनों के बजाय ईकोफ्रेंडली साधनों का उपयोग करें। अधिक से अधिक पौधे लगाएं।
गैजेट्स का ओवरयूज
आज लैपटॉप, स्मार्टफोन, ई-रीडर्स, टैबलेट्स और डेस्कटॉप जैसे गैजेट्स के साथ लोग रोजाना घंटों बिताते हैं। इन्हें इस्तेमाल करते समय जरूरी सावधानियां भी नहीं रखते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो गैजेट्स का बढ़ता इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। इनकी वजह से आर्टिफिशियल लाइट का एक्सपोजर अत्यधिक बढ़ रहा है। इंटरनेशनल डार्क स्काय एसोसिएशन के अनुसार कृत्रिम रोशनी हमारी सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इससे मोटापे, अवसाद, नींद संबंधी विकारों, डायबिटीज, स्तन कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इनके अधिक यूज से इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स से धरती और इसके वातावरण को नुकसान पहुंचता है।
बचाव के उपाय
सप्ताह में एक बार डिजिटल डिटॉक्स जरूर करें। उस दिन गैजट्स का इस्तेमाल बिल्कुन ना करें या बहुत ही कम करें। कुछ समय प्रकृति के करीब बिताएं। ताजी हवा में सांस लें। सूरज की रोशनी को अनुभव करें। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि इससे हमारे स्वभाव पर सकारात्मनक प्रभाव पड़ता है। सुबह या शाम के समय किसी पार्क या बागीचे के खुले-शुद्ध वातावरण में कुछ समय बिताएं।
प्रोसेस्ड-जंक फूड्स
बदली जीवनशैली ने लोगों को इतना व्यस्त बना दिया है कि वो घर पर बने खाने के बजाय रेडी टू ईट फूड्स या इंस्टेंट फूड्स खाना पसंद करते हैं। प्रोसेस्ड फूड आइटम्स को खाना बड़ा सुविधाजनक होता है। डिब्बाबंद जूस, बेकरी आइटम्स, रेडी टू ईट मील्स ने लोगों को कुछ सहूलियत दी है, लेकिन सेहत के लिए खतरा बढ़ा दिया है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार जंक फूड्स का सेवन मोटापे सहित कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। इनमें कैलोरीज तो काफी मात्रा में होती हैं, लेकिन न्यूट्रीशन वैल्यू बिल्कुल नहीं होती है। ऐसे फूड्स के निर्माण, पैकेजिंग और संरक्षण में नेचर के लिए हार्मफुल चीजों का यूज किया जाता है।
बचाव के उपाय
प्रोसेस्ड और जंक फूड्स के सेवन से बचें। सब्जियों और फलों को उनके प्राकृतिक रूप में खाना अच्छा रहता है। अपने डाइट चार्ट में सलाद और फ्रूट चाट को जरूर शामिल करें। एक दिन में तीन बार मेगा मील्स खाने की बजाय छह बार मिनी मील्स खाएं। मील स्किप ना करें, हर तीन-चार घंटे में कुछ खाते रहें। पानी के अलावा दूसरे तरल पदार्थों जैसे-नारियल पानी, नीबू पानी, छाछ या सूप आदि का सेवन भी करें। ये पोषकता से भरपूर होते हैं। दालें, फलियां, अंडे और साबुत अनाज का सेवन करें। ये शरीर को पोषण तो देते ही हैं, पेट भरे होने का अहसास भी दिलाते हैं, जिससे जंक फूड्स आदि खाने का मन नहीं करता है।
बनाए रखें शारीरिक सक्रियता
आज की भागम-भाग वाली जीवनशैली में शारीरिक सक्रियता काफी कम हो गई है। लोग लगातार घंटो बैठे रहते हैं। यह समस्या केवल ऑफिस में काम करने वाले लोगों तक ही सीमित नहीं है। बच्चे और युवा पढ़ाई के कारण घंटों बैठे रहते हैं, जो समय बचता है उसे या तो वो टीवी के सामने बिताते हैं या कंप्यूटर और मोबाइल के साथ। कुछ दूरी तय करने के लिए गाड़ी का यूज और सीढ़ी के बजाय लिफ्ट, एक्सेलेटर का प्रयोग करने से शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अधिकतर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण लंबे समय तक बैठे रहना और शारीरिक गतिविधियों की कमी है। इससे बचने के लिए काम के बीच थोड़ी-थोड़ी देर का ब्रेक लें। इस दौरान स्ट्रेचिंग करें या थोड़ी देर वॉकिंग करें। लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें। बाजार में पैदल घूम-घूमकर शॉपिंग करें। अपने घर के कामों में रुचि लें, घर की साफ-सफाई, बागबानी आदि खुद करें। नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज करें। वीकएंड प्लानिंग में भी आउटडोर एक्टिविटीज को शामिल करें जैसे- साइकलिंग, ट्रैकिंग, स्विमिंग, कोई आउटडोर स्पोर्ट्स।
लेखक- शमीम खान (Shameem Khan)
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