Yoga Day 2019 : योग गुरु नेहा वशिष्ठ कार्की के अनुसार निरोगी काया के लिए ऐसे करें नियमित योगाभ्यास

Yoga Day 2019 : योगासन हर किसी के लिए बहुत लाभकारी है। लेकिन ये विशेष रूप से महिलाओं के लिए लाभकारी होते हैं क्योंकि उनके शरीर में समय-समय पर बदलाव होते हैं, जिसका व्यापक असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। नियमित योगाभ्यास के जरिए आप तमाम बीमारियों से अपना बचाव कर सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि अनुभवी योग गुरु के निर्देशन में ही योगाभ्यास करें और अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है तो बगैर डॉक्टर की अनुमति के योगाभ्यास न करें।
बद्धकोणासन
यह आसन गर्भाशय में ब्लड की सप्लाई को बेहतर बनाता है और जब गर्भाशय में रक्त की मात्रा बढ़ती है तो उससे होने वाली परेशानियों से भी निजात मिलती है। इस आसन को करने के लिए पहले दोनों पैरों को सामने सीधे रखते हुए दंडासन में बैठ जाएं और मेरूदंड को सीधा रखें। अब श्वांस छोड़ते हुए दोनों पैरों के घुटनों को मोड़ते हुए पैरों के तलवों को एक-दूसरे से मिला दें। इसके बाद दोनों हाथों की सभी अंगुलियों को एक-दूसरे से मिलाकर ग्रिप बनाएं तथा पैरों के पंजों को उसमें रखकर दबाएं। अब मेरूदंड और कंधे को सीधा रखते हुए धीरे-धीरे आगे झुकें और ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। अब श्वांस को छोड़ दें। कुछ सेकेंड तक इसी स्थिति में रहें फिर श्वांस लेते हुए पुन: पहले की स्थिति में आ जाएं।
हलासन
इस आसन का अभ्यास महिलाओं को अवश्य करना चाहिए। यह पेट की समस्याओं के साथ-साथ पैरों के लिए भी अच्छा होता है। साथ ही यह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या को दूर करता है। इस आसन के अभ्यास के लिए पहले पीठ के बल भूमि पर लेट जाएं। एड़ी-पंजे मिला लें। हाथों की हथेलियों को भूमि पर रखकर कोहनियों को कमर से सटाए रखें। अब श्वांस को सुविधानुसार बाहर निकाल दें। फिर दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाते हुए पहले 60 फिर 90 डिग्री के कोण तक एक साथ धीरे-धीरे भूमि से ऊपर उठाते जाएं। घुटना सीधा रखते हुए पैर पूरे ऊपर 90 डिग्री के कोण में आकाश की ओर उठाएं। फिर हथेलियों को भूमि पर दबाते हुए हथेलियों के सहारे पैरों को पीछे सिर की ओर झुकाते हुए पंजों को भूमि पर रख दें। अब दोनों हाथों के पंजों की संधि कर सिर से लगाएं फिर सिर को हथेलियों से थोड़ा-सा दबाएं, जिससे आपके पैर और पीछे की ओर जाएं। इसे अपनी सुविधानुसार जितने समय तक रख सकते हैं रखें, फिर धीरे-धीरे इस स्थिति की अवधि को दो से पांच मिनट तक बढ़ाएं।
सेतुबंधासन
यह आसन मेरूदंड के लिए काफी अच्छा माना गया है। अगर आप इस आसन का अभ्यास करती हैं तो इससे पेल्विक एरिया से संबंधित समस्याओं से निजात मिलती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को कूल्हे की तरफ खींचें। अब दोनों पैरों में थोड़ा अंतर रखकर हाथों-पैरों के टखनों को पकड़ लीजिए। इस बात का ख्याल रखें कि आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर न हों। अब अपनी पीठ, कूल्हे और जांघों के साथ ऊपर की ओर उठने की कोशिश करें। कमर को ज्यादा से ज्यादा ऊपर उठा लें और सिर और कंधे जमीन पर ही रहने दें। ध्यान रखें कि आपकी ठुड्डी आपकी छाती से टच करती हो। इसके बाद सामान्य सांस लें और कुछ देर रुकें। सामान्य स्थिति में आने से पहले अपनी पीठ को जमीन पर लाएं, फिर कमर का ऊपरी हिस्सा और आखिर में कमर जमीन पर ले आएं।
चंद्रभेदी प्रणायाम
इस प्रणायाम का लाभ यह है कि यह शरीर में शीतलता को बढ़ाता है और उच्च रक्तचाप को कम करता है। साथ ही पेट की गर्मी को भी दूर करता है। चंद्रभेदी प्रणायाम का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले किसी शांत जगह पर आसन बिछाकर सुखासन की अवस्था में बैठें। अब अपनी गर्दन मेरूदंड और कमर को सीधा करें। अब अपने बाएं हाथ को अपने बाएं वाले घुटने पर रखें और दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नाक के छेद को बंद कर दें अथार्त अंगूठे को नाक के छिद्र पर रख दें। अब अपनी बाईं नाक के छिद्र से लंबी और गहरी सांस को धीरे- धीरे भरें और अपने हाथ की अंगुलियों से बाएं नाक के छेद को भी बंद कर दें। अब आपको यहां पर कुंभक करना है अर्थात जितना हो सके अपनी श्वांस को अंदर ही रोकें। अब बाद में दाहिने नथुने से श्वांस को धीरे-धीरे छोड़ दें। अब इस क्रिया को 10 मिनट तक दोहराएं।
शीतली प्राणायाम
यह शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला एक बेहतरीन प्रणायाम है। सर्वप्रथम रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी सुखासन में बैठ जाएं। फिर जीभ को बाहर निकालकर उसे इस प्रकार मोड़ें कि वह एक ट्यूब या नली के आकार जैसी बन जाए। फिर इस नली के माध्यम से ही धीरे-धीरे मुंह से सांस लें। हवा नलीनुमा इस ट्यूब से गुजरकर मुंह, तालु और कंठ को ठंडक प्रदान करेगी। इसके बाद जीभ अंदर करके सांस को धीरे-धीरे नाक के द्वारा बाहर निकालें। इस प्राणायाम का अभ्यास दस बार कर सकते हैं। प्राणायाम का अभ्यास होने के बाद गर्मी के मौसम में इसकी अवधि आवश्यकतानुसार बढ़ा सकते हैं।
अनुलोम-विलोम
महिलाओं को इस प्रणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए। इससे हार्मोनल असंतुलन जड़ से समाप्त होता है। जिससे यौन संबंधी, मूड स्विंग्स, मधुमेह, बांझपन, थाइरॉयड और मेनोपॉज जैसी कई समस्याओं से निजात मिलती है। इस प्राणायाम को करने के लिए अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन या सुखासन में बैठ जाएं। दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से 4 तक की गिनती में सांस को भरें और फिर बाईं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। तत्पश्चात दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और दाईं नासिका से सांस को बाहर निकालें। अब दाईं नासिका से ही सांस को 4 की गिनती तक भरें और दाईं नाक को बंद करके बाईं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 15 मिनट तक कर सकते हैं।
भुजंगासन
यह आसन पेट के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इससे पेट संबंधी समस्याएं जैसे अपच, गैस, एसिडिटी आदि नहीं होती। इस आसन को करने के लिए उल्टे होकर पेट के बल लेट जाएं। इस दौरान एड़ी-पंजे मिले हों और ठोड़ी फर्श को छूती हो। साथ ही कोहनियां कमर से सटी हुई और हथेलियां ऊपर की ओर हों। धीरे-धीरे हाथ को कोहनियों से मोड़ते हुए आगे लाएं और हथेलियों को बाजूओं के नीचे रख दें। ठोड़ी को गरदन में दबाते हुए माथा भूमि पर रखें। पुन: नाक को हल्का-सा भूमि पर स्पर्श करते हुए सिर को आकाश की ओर उठाएं। फिर हथेलियों के बल पर छाती और सिर को जितना पीछे ले जा सकते हैं ले जाएं किंतु नाभि भूमि से लगी रहे। 30 सेकेंड तक यह स्थिति रखें। बाद में श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे सिर को नीचे लाकर माथा भूमि पर रखें। छाती भी भूमि पर रखें। पुनः ठोड़ी को भूमि पर रखें और हाथों को पीछे ले जाकर ढीला छोड़ दें।
लेखिका - सृष्टि
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