प्राणायाम से मिलती है फेफड़ों को शक्ति, नहीं होती कभी ऑक्सीजन की कमी

प्राणायाम से मिलती है फेफड़ों को शक्ति, नहीं होती कभी ऑक्सीजन की कमी
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आज के दौर में संक्रमण फैला रहा कोराना वायरस, फेफड़ों को ही सबसे अधिक नुकसान पहुंचा कर शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने की प्रक्रिया को बाधित कर रहा है। ऐसे में इस वायरस के कहर से बचने में प्राणायाम काफी मदद कर सकता है।

प्राणायाम शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इसके जरिए शरीर में ऑक्सीजन की अधिक मात्रा पहुंचती है, जो फेफड़ों को शक्ति प्रदान करती है। इससे ना केवल शरीर से अधिक हानिकारक पदार्थ बाहर निकलते हैं, साथ ही फेफड़ों के संक्रमण की संभावना भी कम हो जाती है। सारे देश में कोरोना के संक्रमण के कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। संक्रमण की चपेट में आए लोगों के फेफड़े काफी प्रभावित हो रहे हैं और उन्हें प्राणवायु यानी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। समय पर ऑक्सीजन न मिलने से फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं, जिससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

ऑक्सीजन है जीवन-आधार

मानव जीवन प्राण वायु यानी ऑक्सीजन पर ही निर्भर है। कुछ लोग खान-पान को ही जीवन के लिए सबसे जरूरी समझते हैं, लेकिन जीवन ऑक्सीजन की आपूर्ति पर टिका हुआ है। शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति का काम करता है हृदय और फेफड़ा। हम जो श्वांस लेते हैं, वो प्राण है। इस प्रकार यह इतनी महत्वपूर्ण होती है कि इसके बिना मानव का जीवन ही समाप्त हो जाता है। इसके बिना जीवन ही संभव नहीं है। श्वांस के जरिए जो वायु हम लेते हैं, वो ऑक्सीजन होती है और जो बाहर छोड़ते हैं, वो कार्बनडाई ऑक्साइड होती है। हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऑक्सीजन शरीर के समस्त हिस्सों में पहुंचती है, उसी प्रकार से जिस प्रकार से सभी अंगों में रक्त का संचार होता है। दरअसल, पूरे शरीर में रक्त की नाड़ियों और कोशिकाओं का जाल-सा-बिछा होता है। ये कोशिकाएं बाल से बारीक नलियां होती हैं, इनकी दीवार अत्यंत पतली होती हैं। कोशिकाएं इनसे ऑक्सीजन लेकर, कार्बन डाई ऑक्साइड को छोड़ देती हैं। यह अशुद्ध रक्त शिराओं के जरिए हृदय में पहुंचता है। फिर वहां से फेफड़ों में कार्बन डाई ऑक्साइड पहुंचता है, जो नि:श्वांस के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में फेफड़ों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

क्या है प्राणायाम

फेफड़ों को मजबूत करने में योगाभ्यास बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से प्राणायाम बहुत लाभकारी है। फेफड़ों द्वारा श्वांस को लेना पूरक, श्वांस को छोड़ना रेचक तथा श्वांस को रोकना कुंभक कहलाता है। इन तीनों क्रियाओं को एक रूप देना ही प्राणायाम कहलाता है। प्राणायाम करने से फेफड़े मजबूत होते हैं।

संक्रमण रोकने में सहायक

आज के दौर में संक्रमण फैला रहा कोराना वायरस, फेफड़ों को ही सबसे अधिक नुकसान पहुंचा कर शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने की प्रक्रिया को बाधित कर रहा है। ऐसे में इस वायरस के कहर से बचने में प्राणायाम काफी मदद कर सकता है। प्राणायाम के जरिए फेफड़ों में हम पूरी सांस भरते हैं, फिर छोड़ते हैं। ऐसे में जितनी अधिक ऑक्सीजन हम लेते हैं, शरीर के अंगों को उतना ही फायदा होता है। दरअसल, जब अधिक ऑक्सीजन शरीर में जाती है तो अधिक मात्रा में कार्बन डाई-ऑक्साइड भी बाहर आती है। कार्बन का बाहर आना शरीर की ज्यादा गंदगी का बाहर आना होता है। प्राणायाम करने से न केवल फेफड़े मजबूत होते हैं बल्कि टूट-फूट की भी रिपेयरिंग होती है। प्राणायाम से स्नायु तंत्र की शक्ति बढ़ती है और मस्तिष्क को भी शक्ति मिलती है।

कई अंगों के लिए लाभकारी

प्राणायाम के द्वारा, हमारे शरीर में ऐसी कई शक्तियां जो प्रायः लुप्त अवस्था में रहती हैं, वह जागृत होने लगती हैं। इससे शरीर में अंत:अंगों की शक्ति बढ़ जाती है। प्राणायाम का प्रभाव पूरे शरीर के अंगों पर पड़ता है। प्राणायाम का सकारात्मक प्रभाव स्पाइनल कॉर्ड, किडनी, लीवर, आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत और हृदय पर भी पड़ता है। प्राणायाम के माध्यम से जल्दी-जल्दी अधिक मात्रा में शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकती है। यदि हम नियमित अभ्यास करते रहें तो कोरोना संक्रमण से शरीर में होने वाली ऑक्सीजन की कमी को प्राणायाम के द्वारा काफी सुधारा जा सकता है।

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