इन बातों का रखेंगे ध्यान तो कभी नहीं होगी कोई बीमारी

Health Tips : आज के दौर में ओल्ड और मिड एज के ही नहीं, यंग एज के लोग भी कई तरह की बीमारियों से घिरने लगे हैं। इसका प्रमुख कारण नेचर (Nature) से दूरी ही है। इस बारे में इंटीग्रेटिव-लाइफस्टाइल मेडिसिन एक्सपर्ट और हॉलिस्टिक न्यूट्रीशनिस्ट ल्यूक कौटिन्हो के सजेशंस बहुत इफेक्टिव हो सकते हैं। यहां एक्सपर्ट शिखर चंद जैन की ओर से कुछ टिप्स बताए गए हैं। जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं।
फॉलो करें नेचर रूल : कौटिन्हो कहते हैं कि आपको एक ऐसा सिस्टम फॉलो करना चाहिए, जिसमें हेल्थ की देखभाल रूट लेवल पर हो। अगर आप नेचर के रूल्स का पालन करें तो स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। इसके लिए अपना खान-पान, सोच-विचार, नींद आदि का कुदरत के साथ सही तालमेल रखना होगा। ऐसा करने पर कुदरत (Nature) भी स्वास्थ्य का ख्याल रखेगी और आप विभिन्न रोगों से काफी हद तक सुरक्षित रहेंगे। असल में कुदरत के साथ तालमेल बैठाने पर शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम हो जाता है।
खाने का सही तरीका
हमेशा वैसा ही भोजन करना चाहिए, जिसके लिए कुदरत ने शरीर को तैयार किया है। अन्न और फल-सब्जियों को उनके कुदरती स्वरूप में खाना फायदेमंद होता है। इसलिए प्रोसेस्ड, केमिकलयुक्त, डिब्बाबंद और कृत्रिम स्वाद वाले फूड से दूर रहते हुए ताजा, मौसमी फल (Seasonal Fruits), मेवे (Dry Fruits), सब्जियां (Vegetables), शुद्ध खाद्य तेल, साबुत अनाज आदि खाएं। इनमें तमाम विटामिंस (Vitamins), मिनरल्स (Minerals) और हीलिंग पावर होता है। इसी तरह खाने का समय भी सही रखें। जब आपको भूख हो, तभी खाएं। सिर्फ स्वाद के लिए फिक्स टाइम पर जबरदस्ती खाना आपके पाचन तंत्र (Digestive System) पर प्रतिकूल असर डालेगा। साथ ही आप ओवरवेट (Overweight) और अन्य बीमारियों के भी शिकार हो जाएंगे।
नेचुरल लाइफस्टाइल
हमारा शरीर कुदरत के करीब रहने के लिए बना है। कुदरत की संगत से इसे आराम महसूस होता है, ऊर्जा मिलती है और इससे फिजिकल, मेंटल हेल्थ (Mental Health) भी दुरुस्त रहती है। इसलिए दिन में आपको कुछ समय घर से बाहर जाकर बिताना चाहिए। ताकि आपको सूरज की रोशनी मिले, हरियाली के बीच शुद्ध वायु मिले। आपको डीप ब्रीदिंग (Deep breathing), प्राणायाम (Pranayama), एक्सरसाइज (Exercise), गार्डनिंग (Gardening) जैसी एक्टिविटीज में भी इंवॉल्व होना चाहिए।
सही हो मूवमेंट का तरीका
आपको कुदरत और कुदरत में विचरण करने वाले पक्षियों से कुछ तौर-तरीके सीखने चाहिए। जैसे-जब शरीर अनुमति दे तो खूब घूमिए और जब थक जाएं तो आराम कीजिए। ऐसी एक्सरसाइज कीजिए, जो आपको प्रकृति के नजदीक रहने का मौका देती हो। जैसे पार्क या खुले मैदान में जॉगिंग, वॉकिंग (Walking), जंपिंग (Jumping), स्किपिंग (Skipping), क्लाइंबिंग, हाइकिंग आदि।
सोने का तरीका
हर जीवित प्राणी में एक बायोलॉजिकल क्लॉक होती है। हमारे शरीर को कुदरत ने रात को सोने और सुबह जागने के लिए ही डिजाइन किया है। इसलिए यथासंभव कुदरत के इस नियम और बायोलॉजिकल क्लॉक (Biological Clock) को फॉलो करें। इसके विपरीत जाने पर तरह-तरह की स्वास्थ्य (Health) संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
सोच-विचार का तरीका
एक साथ कई सारे काम ना करें और ना ही एक बार में बहुत सारी चीजों के बारे में सोचें। धैर्यपूर्वक एक बार में एक काम करें और विचारों की गुत्थी में उलझने की बजाय, सही तरीके से चिंतन करना सीखें। किसी भी काम को करने का एक समय निश्चित करें और पूरी तन्मयता के साथ काम करें। जैसे हर पौधे के फूल आने का और फिर फल लगने का एक निश्चित समय होता है, पतझड़ में प्रकृति रिनोवेशन के लिए तैयार होती है और वसंत में पुनर्जन्म के लिए, ठीक उसी प्रकार अपने तन-मन को तैयार करना चाहिए।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS