हार्ट फेल से संभव है बचाव

कई आंकड़े बताते हैं कि हार्ट फेल से भारत में सालाना 1.8 मिलियन लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं और दुनिया की 2 से 3 प्रतिशत आबादी इससे प्रभावित होती है। हार्ट फेल होना अकसर शरीर की भीतरी हृदय स्थितियों जैसे कोरोनरी आर्ट्री डिजीज, हार्ट अटैक या हाई ब्लड प्रेशर का नतीजा हो सकता है। दूसरे कारणों में हृदय की मांसपेशियों की बीमारी और अरीथीमिया शामिल हैं। इस स्थिति में, हृदय सख्त या कमजोर हो सकता है और उसे पूरे शरीर में खून को प्रभावी ढंग से पंप करने में दिक्कत हो सकती है। इस तरह की स्थिति वाले लोगों को विशेष रूप से कोविड-19 के दौरान ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह कम इम्यूनिटी वाले लोगों को अधिक प्रभावित करता है।
इस बारे में डायरेक्टर-कार्डियक साइंसेज और एचओडी, कैथ लैब कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी कहते हैं, 'हार्ट फेलियर के संदर्भ में कमजोरी और थकान, सांस की तकलीफ जैसे लक्षणों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। पैर या पेट में सूजन, वजन बढ़ना, भूख में कमी, सिर चकराना और खांसी भी इसके लक्षण हो सकते हैं। दिल की बीमारियों, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी स्थितियों के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। हार्ट फेल को रोकने के लिए कुछ सुझावों पर अमल कर सकते हैं।'
- ब्लड प्रेशर और ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रण में रखें।
- धूम्रपान और शराब से दूर रहें। जहां तक संभव हो सके सेकेंड हैंड स्मोक के संपर्क में आने से भी बचें।
- फल, सब्जियां, हेल्दी फैट और साबुत अनाज युक्त आहार लें। सोडियम और चीनी का सेवन कम से कम करें क्योंकि वे हृदय की समस्याओं के लिए बहुत ज़रुरी हैं।
- रोजाना लगभग 30 मिनट तक नियमित तौर पर व्यायाम करें।
- अपना बॉडी वेट कंट्रोल रखें।
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