हल्दी की रंगत से विदाई के आंसुओं तक हिन्दू शादियों में माने जाते हैं ये रीति- रिवाज, जानें इनका महत्व

हल्दी की रंगत से विदाई के आंसुओं तक हिन्दू शादियों में माने जाते हैं ये रीति- रिवाज, जानें इनका महत्व
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हिन्दू शादी में होने वाले रीति रिवाजों के पीछे छिपा है गहरा महत्व, जानिए क्यों हल्दी से लेकर विदाई तक की अहम रस्मों का क्या मतलब है।

Importance Of Hindu Marriage Rituals: भारत (India) में शादी (Marriage) अपने आप में बहुत बड़ा त्योहार होता है। हिंदू (Hindu) धर्म में शादियों के पवित्र रिश्ते का बहुत ज्यादा महत्व होता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत विविधताओं का देश है, यहां कई धर्म हैं, जिनके अपने अलग रीति रिवाज होते हैं। हिंदू विवाह में हर समारोह कुछ अनोखा होता है और हर रस्म के पीछे एक बहुत गहरा अर्थ छिपा होता है। हिंदू शादियां इतनी वेरिएशन वाली होती हैं कि पूरी दुनिया के लोगों का ध्यान उन्होंने अपनी ओर खींचा है। हिंदू शादियों में बड़ी संख्या में मेहमान आते हैं और भव्य दावत होती है। लेकिन शादियां बीएस इतनी ही चीजों तक सिमित नहीं होती है। एक हिंदू विवाह में आपको बहुत सी रस्में जानने का मौका मिलता है, तो चलिए आज हम आपको हिन्दू शादी में होने वाली रस्मों के बारे में बताते हैं:-

हल्दी की रस्म का महत्व

एक हिंदू शादी में हल्दी की रस्म बहुत अहम होती है, इस रस्म के पारम्परिक और स्किनटिफिक दोनों ही रीजन होते हैं। इस रस्म में परिवार के सदस्य दूल्हा और दुल्हन की स्किन और कपड़ों पर हल्दी, तेल और पानी का मिश्रण लगाते हैं। बता दें कि हल्दी की रस्म से ही शादी के फंक्शन्स की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि शादी से हल्दी लगाने से दूल्हा-दुल्हन की स्किन में निखार आ जाता है।

दुल्हन के हाथ-पैर में रचती है महंदी

मेहंदी की रस्म में परिवार और दुल्हन के करीबी दोस्तों को ही बुलाया जाता है। ये समारोह शादी से एक दिन पहले होता है। मेहंदी की रस्म के दौरान, मेंहदी पेस्ट का यूज दुल्हन के हाथों और पैरों पर किया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, मेंहदी जितनी गहरी रंग की होती है, सास अपनी बहू को उतना ही ज्यादा प्यार करती है। वहीं कुछ लोग मेहंदी के रंग को पति के प्यार से जोड़कर भी देखते हैं।

शादी में दुल्हन क्यों पहनती है लाल जोड़ा

हिंदू शादी में परंपरागत रूप से दुल्हन लाल साड़ी या मॉर्डन फैशनेबल लाल लहंगा पहनती है। हालांकि, कई मॉर्डन दुल्हनें आजकल पेस्टल फ्लोरल प्रिंट से लेकर चमकीले पीले और बोल्ड ब्लूज़ तक कई तरह केरंगों को चुनने लगी हैं। जो शानदार कढ़ाई के साथ चमकते हैं। शादी में लाल रंग को इतना महत्व इसलिए दिया जाता है क्योंकि यह सौभाग्य का प्रतीक होता है।

घोड़ी पर क्यों बैठता है दूल्हा

शादी के दिन दूल्हा बारात के लिए घर से निकलने के बाद घोड़ी पर बैठता है। इसके पीछे भी बड़ी वजह है। दरअसल घोड़ी को सभी जानवरों में सबसे चंचल और कामुक माना जाता है। इसलिए दूल्हे को घोड़ी की पीठ पर बिठाया जाता है। जिसका मतलब होता है कि दूल्हे ने इन दोनो बातों को अपने काबू में कर लिया है।

शादी पर क्यों होती है गणेश पूजा?

दूल्हा और बाराती जब विवाह स्थल पर पहुंचते हैं, तो दरवाजे पर कन्या पक्ष के लोग बारात का स्वागत करते हैं। इसके बाद दुल्हन के पिता और उनके रिश्तेदार सभी गणेश जी की पूजा करते हैं। इसके पीछे भी बड़ी वजह है, बता दें कि गणेश पूजा के बाद से ही कन्या के घर में सभी रस्मे शुरू की जाती हैं और इस रस्म के बाद वर पक्ष को मिलनी और उपहार दिए जाते हैं। हिन्दू धर्म में हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजन के साथ होती है।

क्यों करवाई जाती है जयमाल?

जयमाल की रस्म में दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को माला पहनाते हैं। मान्यताओं के मुताबिक दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को माला पहनाकर आपसी रजामंदी के साथ अपनाते हैं। विष्णु पुराण के मुताबिक देवी लक्ष्मी जब समुद्र मंथन से प्रकट हुईं तो उन्होंने भगवान विष्णु को माला पहनाकर पति के रूप में स्वीकार किया था।

सात फेरे और सात वचन

शादी के रिवाजों में दूल्हा-दुल्हन का गठबंधन कर अग्नि को साक्षी मान सात फेरे लिए जाते हैं। पहले तीन फेरो में दुल्हन आगे रहती है बाद के चार फेरों में दूल्हा आगे रहता है। दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे को सात वचन देते हैं। जो कि एक दूसरे को पूरी तरह अपनाने और सात जन्मों तक एक दूसरे का साथ निभाने का प्रतिक होते हैं।

लाल सिंदूर का महत्व

सात फेरों के बाद दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में लाल रंग का सिंदूर भरता है ताकि वह सदा सुहागन रहे और समाज में उसकी पत्नी के रूप में जानी जाए। सिंदूर लगाने की परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण है कि जहां सिंदूर लगाते हैं वहां ब्रह्मरंध्र (मस्तिष्क का मध्यबिन्दु) होता जो सिंदूर लगाने से मन को नियंत्रित रखने में सहायक होता है।

विदाई

विदाई समारोह में दुल्हन आधिकारिक तौर पर अपने पति के साथ एक नया जीवन शुरू करने के लिए अपना घर छोड़ती है। विदाई समारोह के दौरान दुल्हन अपने सिर के ऊपर से चावल चावल और सिक्के फैंकते हुए खुशी और समृद्धि फैलाती हुई अपनी ससुराल चली जाती है।

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