Pregnancy Tips: मॉर्निंग सिकनेस में कब होती है डॉक्टर की जरूरत, जानें लक्षण और बचाव

Tips For Morning Sickness During Pregnancy: मां बनने का अनुभव हर महिला के लिए बहुत स्पेशल होता है। ऐसा कहा जाता है कि महिलाएं मां बनने के बाद जिस खुशी को महसूस करती हैं उसका कोई मेल नहीं होता। एक नन्ही सी जान को दुनिया में लाने की खुशी ही कुछ और होती है, लेकिन जितना इस फीलिंग में सुकून होता है। उतनी ही इस सिचुएशन में प्रॉब्लम्स भी होती हैं, कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस (What Expert Says About Morning Sickness) जैसी समस्या फेस करनी पड़ती है। क्या है यह प्रॉब्लम, इसके प्रमुख लक्षण, इससे बचाव और उपचार के तरीके, इन सभी सवालों का जवाब इंदौर की कंसल्टेंट-गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. आस्था जैन माथुर ने दिया है। जानिए क्या है उनकी राय:-
मॉर्निंग सिकनेस प्रेग्नेंट महिलाओं में होने वाली कॉमन प्रॉब्लम है, जो प्रेग्नेंट (Pregnancy Tips) होने के नौ सप्ताह बाद शुरू होती है और पहली तिमाही के दौरान सबसे अधिक होती है। सामान्य तौर पर दूसरी तिमाही के मध्य से अंत तक इसके लक्षणों में सुधार होने लगता है। लेकिन कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पूरे पीरियड में मॉर्निंग सिकनेस (Tips For Morning Sickness) फील होता है।
मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण (symptoms of morning sickness)
मॉर्निंग सिकनेस के सामान्य लक्षणों में जी मिचलाना और उल्टी शामिल हैं, जो किसी खास प्रकार की गंध, मसालेदार खाने, गर्मी, अत्यधिक लार बनने या कई बार बिना कारण भी हो सकता है।
कब करें डॉक्टर से कंसल्ट (When to consult a doctor)
वैसे तो उल्टी करने की प्रक्रिया प्रेग्नेंट शिशु को नुकसान नहीं पहुंचाती है, लेकिन यह पेट की मांसपेशियों पर दबाव डाल सकती है। इससे पेट के आस-पास के हिस्से में दर्द और सूजन हो सकती है। कई सारे अध्ययनों में मॉर्निंग सिकनेस और मिसकैरेज (गर्भपात) होने के रिस्क के बीच संबंध पाया गया है। फिर भी, लगातार उल्टी (जिसकी वजह से डिहाइड्रेशन और वजन कम होता है) होने से आपके बच्चे को सही पोषण नहीं मिल पाता और जन्म के समय बच्चे का कम वजन होने का रिस्क हो सकता है। ऐसे में अगर यहां बताए जा रहे सिंप्टंप्स दिखने लगें तो डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
- अगर आपको लगातार मितली या उल्टी हो रही हो।
- कम मात्रा में यूरीन हो या फिर उसका रंग गहरा हो जाए।
- लिक्विड निगलने में भी मुश्किल लग रही हो।
- खड़े होने पर चक्कर महसूस हो रहा हो।
- हार्ट बीट्स तेज चल रही हों।
सिवियर मॉर्निंग सिकनेस (severe morning sickness)
ऐसा बहुत कम होता है कि मॉर्निंग सिकनेस एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाए कि वह हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम में बदल जाए। मॉर्निंग सिकनेस की सिवियर कंडीशन को ही हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम कहते हैं। 1000 में से किसी एक प्रेग्नेंट महिला को ऐसी समस्या होती है। इसके लक्षणों में डिहाइड्रेशन, लगातार वॉमिटिंग और वेट लूज होना शामिल हैं। ऐसे में इंट्रावीनस फ्लूएड्स के जरिए न्यूट्रिएंट्स देना पड़ सकता है। मेडिकल ट्रीटमेंट ना कराने से कई प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का डिसबैलेंस, सीरियस एंग्जाइटी या डिप्रेशन, एंब्रयो में न्यूट्रिएंट्स की कमी और लीवर, हार्ट, किडनी और ब्रेन पर प्रेशर पड़ना।
ऐसे करें केयर (How to Care)
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको मॉर्निंग सिकनेस की प्रॉब्लम हो रही है तो बिना अपने डॉक्टर से कंसल्ट किए कोई दवा ना लें। साथ ही ये उपाय भी आजमाएं।
- सुबह के समय सबसे पहले स्वीट क्रैकर्स या ड्राई क्रैकर्स खा लें।
- थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ-कुछ खाती रहें, क्योंकि खाली पेट होने से मितली का अनुभव होता है।
- जितना हो सके लिक्विड डाइट लें। डॉक्टर से पूछकर फलों के जूस, जिंजर टी, वेजिटेबल सूप ले सकती हैं। आप चाहें तो आइस क्यूब चूस सकती हैं।
- डॉक्टर से कंसल्ट कर विटामिन बी6 वाले सप्लीमेंट्स ले सकती हैं।
- लूज ड्रेस पहनें ताकि पेट पर किसी प्रकार का प्रेशर ना पड़े।
- अनावश्यक चलने-फिरने से बचें। ज्यादा चलने ये मॉर्निंग सिकनेस गंभीर हो सकता है। बेहतर है जितना हो सके आराम करें।
बचाव (Prevention)
हालांकि मॉर्निंग सिकनेस से पूरी तरह बचा नहीं जा सकता है। लेकिन बहुत तेज गंध, ज्यादा थकान, मसालेदार या अधिक मीठे खाद्य पदार्थ खाने से मॉर्निंग सिकनेस ट्रिगर हो सकती है। ऐसे में इनसे बचकर मॉर्निंग सिकनेस से बचाव में काफी मदद मिल सकती है।
प्रस्तुति-आभा यादव
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